हेमंत उस पारस की तरह हो गये हैं, जहां हाथ लगाया, वो ही सोना हो गया
जेएमएम हर वर्ग की पार्टी बन सके, इसका प्रयास हेमंत सोरेन को करना चाहिए
हेमंत को एक नये झारखंड की परिकल्पना करनी चाहिए, जिसका विकास दुनिया देख सके

28 नवंबर को हेमंत सोरेन चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेनेवाले हैं। जब-जब हेमंत ने राज्य की कमान संभाली है, तब-तब वह राजनीतिक रूप से निखरते चले गये। हर बार उनमें परिवर्तन देखने को मिला। वह राजनीतिक रूप से परिपक्व होते चले गये और स्वभाव भी विनम्र होता चला गया। कहते हैं, जिस पेड़ में अधिक फल लदा होता है, वही झुकता है। हेमंत सोरेन भी उसी फलदार वृक्ष की तरह होते चले गये। हेमंत उस पारस की तरह हो गये हैं, जहां हाथ लगाया, वो ही सोना हो गया। जेएमएम गठबंधन का प्रदर्शन उसी पारस की देन है। अब हेमंत सोरेन के सामने खुद की शख्सियत को और विस्तार करने का सुनहरा मौका है। फिलहाल उनकी पार्टी जेएमएम को आदिवासियों की पार्टी कहा जाता है। अब हेमंत के सामने मौका है कि जेएमएम का और विस्तार हो सके। जेएमएम हर वर्ग की पार्टी बन सके, इसका प्रयास हेमंत सोरेन को करना चाहिए। यह काम उनके लिए बहुत मुश्किल भी नहीं है। क्योंकि उनके साथ अब कल्पना सोरेन भी हैं। कल्पना सोरेन झारखंड की महिलाओं के लिए प्रेरणा और आदर्श बन चुकी हैं। और महिलाएं क्या कर सकती हैं, उन्होंने इस विधानसभा चुनाव में दिखा दिया। पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने विधानसभा चुनाव में बढ़-चढ़ कर मतदान किया।

जेएमएम का विस्तार हेमंत सोरेन और पार्टी के लिए समय की मांग है। अगर वह अपनी पैठ हर वर्ग के लोगों में बनाते हैं, तो एक ऐसा मंच तैयार हो सकता है, जो उन्हें नेशनल प्लेटफार्म पर स्थापित कर सके। जिस तरीके से हेमंत सोरेन राजनीतिक रूप से मजबूती के साथ स्थापित हो रहे हैं, बार-बार वह खुद को हर मोर्चे पर साबित कर रहे हैं, अब समय आ चूका है कि जेएमएम नेशनल पार्टी के रूप में भी पहचान रखे। उसके लिए उन्हें अभी से काम करना पड़ेगा। सही समय पर सही फैसला ही किसी पार्टी को मजबूती प्रदान कर सकता है। आज जेएमएम उस मोड़ पर है, जहां से वह सक्षम है कि उसमें कुछ और सकारात्मक विस्तार किया जाये और अन्य वर्गों के लिए भी द्वार खोला जाये। उन्हें भी मौका दिया जाये। आज जेएमएम से हर कोई जुड़ना चाहता है। और प्रमुखता से जुड़ना चाहता है। यह इसलिए हो पा रहा, क्योंकि उसे जेएमएम में अपना सुनहरा भविष्य दिख रहा है। हाल के दिनों में जेएमएम ने कई बेड़ियों को तोड़ा भी है। यह प्रयास हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन के प्रयास से ही संभव हो पाया है। अब इस कमाल की जोड़ी को और भी कमाल करने की जरूरत है। झारखंड के विकास के लिए मजबूत और स्थायी सरकार चाहिए और यह तभी संभव है, जब कोई लोकप्रिय दल अपना जनाधार लगातार बढ़ाते रहे।

हेमंत सोरेन इतने बेहतरीन रणनीतिकार हो चुके हैं कि उन्हें शिकस्त देना, विपक्ष के लिए फिलहाल तो संभव नहीं दिखता। हेमंत सोरेन लगातार झारखंड की बेहतरी के लिए योजनाओं पर मंथन कर रहे हैं। जन कल्याणकाली योजनाओं को वह लगातार धरातल पर उतार रहे हैं। उनकी लगभग हर योजना सफल भी हो रही है। उनकी मंईयां सम्मान योजना ने जिस तरह झारखंड के लोगों को जेएमएम के साथ जोड़ा, वह अकल्पनीय है। इस योजना ने हेमंत सोरेन को सत्ता शीर्ष तक पहुंचा दिया। कोई भी नेता जनता के लिए काम करेगा, उसका फल उसे मिलेगा ही। हेमंत सोरेन ने इस योजना को सफल बनाने के लिए बहुत प्रयास किया। उन्होंने हर वो प्रयास किया, जिससे झारखंड की महिलाएं आत्मनिर्भर हो सकें, सशक्त हो सकें।

झारखंड में बिजली बिल ग्रामीणों के लिए एक समस्या जैसी थी, लेकिन हेमंत सोरेन ने 200 यूनिट बिजली बिल फ्री कर उन्हें राहत पहुंचाया। यही नहीं उन्होंने पुराने बिजली बिल को माफ कर दिया। यह ग्रामीणों के लिए बहुत ही सार्थक प्रयास रहा। क्योंकि ज्यादा बिजली बिल बाकी होने के कारण ग्रामीण भयभीत रहते थे। उन्होंने लगता था कि कभी भी बिजली विभाग उन्हें जेल की हवा खिला सकता है। हेमंत सोरेन द्वारा लागू की गयी योजनाओं और उनकी सफलता से पता चलता है कि उनमें विजन की कोई कमी नहीं है। ये झारखंड के लिए अच्छा है। हेमंत सोरेन को हर पल नये आइडियाज पर विचार करने की जरूरत है। क्योंकि नये आइडियाज ही झारखंड को नये झारखंड की ओर ले जा सकेगा। जिस प्रकार से जेएमएम एक नया जेएमएम बन कर उभरा है, उसी प्रकार से हेमंत सोरेन को एक नये झारखंड की परिकल्पना करनी होगी। इसके लिए जरूरी है, जेएमएम का हर वर्ग में विस्तार। जेएमएम को अब एक नेशनल मंच की दरकार। जेएमएम आज उस मोड़ पर है, जहां से वह नेशनल मंच का सपना सफलतापूर्वक देख सकता है। वैसे भी विपक्ष के मंच पर हेमंत सोरेन ऐसे आदिवासी नेता हैं, जिनका सम्मान सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी और लालू यादव से लेकर वामपंथी नेता करते हैं। उन्होंने मंच पर बराबर का दर्जा दिया जाता है। यहां तक कि गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच भी हेमंत सोरेन की अपनी उक अलग पहचान है।

कुल मिला कर जेएमएम का फैलाव हर वर्ग में इसलिए जरूरी है, क्योंकि वह सबको साथ लेकर चलना चाहता है। इस चुनाव में भी देखा गया कि जहां भाजपा और उसके सहयोगी दल लगातार मुसलिम समाज और खुद हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन पर राजनीतिक हमला ही नहीं, व्यक्तिगत हमला कर रहे थे, दूसरी तरफ हेमंत सोरेन सबको जोड़ने की बात कर रहे थे। एक बार भी उन्होंने चुनाव के दरम्यान किसी वर्ग विशेष की बात नहीं की। सबको साथ लेकर चला। इसका सकारात्मक परिणाम भी मिला। जिस जेएमएम को अमूमन आदिवासियों की पार्टी के रूप प्रचारित किया जा रहा था, उस जेएमएम ने कांग्रेस को साथ लेकर राज्य की 28 में 27 आदिवासी सीटें तो जीती हीं, गैर आदिवासी सीटों पर भी दोनों ने परचम लहराया और जेएमएम पिछली बार की तुलना में परफार्मेंस में और सुधार करते हुए 30 से 34 सीटों पर परचम लहरा दिया।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version