कोलकाता। अभिषेक बनर्जी की बेटी को धमकी देने के मामले में पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सात आईपीएस अधिकारियों की सूची जमा की है। इन अधिकारियों में पांच महिलाएं हैं, जिनका मूल निवास बंगाल के बाहर है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि मामले की जांच के लिए बंगाल कैडर के सात आईपीएस अधिकारियों की सूची प्रस्तुत की जाए, जिनमें से कम से कम पांच महिलाएं हों और उनका निवास बंगाल से बाहर हो। राज्य सरकार ने सोमवार को इस आदेश का पालन करते हुए सूची प्रस्तुत की।

कुछ समय पहले आरजी कर अस्पताल कांड के विरोध में एक रैली के दौरान अभिषेक बनर्जी की नाबालिग बेटी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी का मामला सामने आया था। इस मामले में डॉयमंड हार्बर की रेबेका खातून मोल्ला और रमा दास को पुलिस ने सितंबर में गिरफ्तार किया था। आरोप है कि गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने आरोपितों के साथ दुर्व्यवहार किया।

पुलिस की कार्रवाई को लेकर आरोपित महिलाओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें पुलिसकर्मियों पर शारीरिक शोषण का आरोप लगाया गया। इस मामले में पहले सिंगल बेंच और फिर डिवीजन बेंच ने सीबीआई जांच का आदेश दिया। लेकिन राज्य सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जहां अंतरिम स्थगन आदेश दिया गया।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के वकीलों से पूछा कि जवाबी हलफनामा दाखिल करने में देरी क्यों हो रही है। वकीलों ने इसके लिए छह सप्ताह का समय मांगा, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया और जवाब दाखिल करने के लिए सिर्फ सात दिन का समय दिया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी।

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