-तीन दिनों के भीतर रिपोर्ट देने का निर्देश
अररिया। जिले के फारबिसगंज के कौआचार के कविलासा में परमान नदी पर बने पुल का पाया धंसने के बाद सियासत गर्म हो गई है।चूंकि यह पुल भाजपा सांसद प्रदीप कुमार सिंह के गांव में बना था और पिछले चुनाव से लेकर अभी तक एनडीए उपलब्धि बताते हुए इस पुल निर्माण को लेकर जमकर पोस्टर वार किया था।

जिसको लेकर विपक्ष भ्रष्टाचार को लेकर मुखर हो गए हैं और भ्रष्टाचार के कारण पुल के ध्वस्त होने की बात कहकर सोशल मीडिया पर एनडीए नेताओं की जमकर घेराबंदी कर रहे हैं।इस बीच पुल के पाया के ध्वस्त होने के मामले को लेकर ग्रामीण कार्य विभाग की ओर से मामले की जांच की लिए पांच सदस्यीय टीम का गठन किया है,जिसे मामले की जांच कर तीन दिनों के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया है। जांच टीम में ग्रामीण कार्य विभाग के अभियंता, राज्य गुणवत्ता के समन्वयक, ग्रामीण कार्य विभाग के तकनीकी विशेषज्ञ, पुल सलाहकार और आईटीआई पटना के प्राध्यापक प्रोफेसर वैभव सिंघल को शामिल किया गया है। निर्माण के पांच साल के भीतर पुल के पाया के धंस जाने के मामले की जांच कर विभाग ने तीनों के भीतर रिपोर्ट सबमिट करने को कहा है।

कौआचार के कविलासा में 129.02 मीटर लंबे पुल निर्माण को लेकर प्राक्कलित राशि 4 करोड़ 12 लाख रूपये तय किए गए थे। लेकिन टेंडर के दौरान निर्माण एजेंसी कोसी कंस्ट्रक्शन ने प्राक्कलन से कम रेट में जाकर 3 करोड़ 82 लाख 85 हजार रूपये में काम लिया था। पुल निर्माण में करीबन तीन साल लगा। निर्माण एजेंसी के द्वारा 31 मार्च 2021 को पुल निर्माण का कार्य पूरा किया गया था। कल निर्माण के बाद फारबिसगंज विधानसभा सिकटी विधानसभा से सीधा जुड़ गया।सिकटी,कुर्साकांटा,फारबिसगंज,जोगबनी,नरपतगंज के लोगों के आवाजाही के लिए यह सड़क प्रमुख मार्ग बन गया। हालांकि इस सड़क और पुल से होकर भारी वाहनों का परिचालन न के बराबर रहा।बावजूद इसके पुल का पाया धंस जाने को लेकर पुल निर्माण के डिजाइन और कार्य की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

ग्रामीण कार्य विभाग के तकनीकी सलाहकार रमेश कुमार 24 अक्टूबर 2025 को सड़क का जायजा लेने पहुंचे थे तो उन्होंने कौआचार पुल को देखा और पुल का पाया को धीरे धीरे नीचे धंसने की स्थिति में पाया था। जिसको लेकर उन्होंने पल पर तत्काल आवागमन पर रोक लगाने की सिफारिश की थी।जिसको लेकर ग्रामीण कार्य विभाग के अभियंता ने विभाग को सूचना देने के साथ जिला प्रशासन को भी सूचित करते हुए तत्काल पुल से होकर आवागमन पर रोक लगाने को लेकर पत्र लिखा था।

मामले को लेकर ग्रामीण कार्य विभाग के अभियंता चंद्रशेखर कुमार ने बताया कि पुल निर्माण करने वाली एजेंसी को पत्र लिखकर पूछा गया है।पुल अभी डिफेक्ट लाइबिलिटीज पीरियड में है,जिसको लेकर संवेदक को निर्देश दिया गया है। वहीं उन्होंने बताया कि पुल डिजाइन निर्माण करने और पुल निर्माण में शामिल इंजीनियर से भी मामले को लेकर जवाब तलब किया गया है।

उल्लेखनीय हो कि इससे पहले सिकटी में बकरा नदी पर 12 करोड़ रूपये की लागत से बना पुल 18 जून 2024 को गिरकर ध्वस्त हो गया था। पुल निर्माण के बाद एप्रोच पथ का निर्माण हो रहा था और बकरा नदी पर बने पुल का उद्घाटन होना था, लेकिन उद्घाटन से पहले ही करोड़ों की लागत से बना पुल धड़ाम से गिर गया।उस पुल का निर्माण सिकटी प्रखंड क्षेत्र के पड़रिया घाट पर किया गया था।पुल का तीन पिलर नदी में धंस गया था और पुल गिर गया।वहीं दूसरा मामला रानीगंज प्रखंड में बीच खेत में ही पुल निर्माण ग्रामीण कार्य विभाग के द्वारा वैसे स्थान पर कराया गया,जहां न तो पक्की सड़क थी और न जाने की लिए ग्रामीण सड़क ही।बीच खेत में ही पुल का निर्माण कराया गया। एक बार फिर 3 नवंबर 2025 को पांच साल के भीतर ही 3 करोड़ 82 लाख 85 हजार की लागत से बने पुल का पाया का धंस जाने से चुनावी मौसम में विपक्ष भ्रष्टाचार को लेकर हमलावर हो गए हैं।सवालों के कठघरे में खड़े जिले के तीनों पुलों का निर्माण कार्य ग्रामीण कार्य विभाग की ओर से ही कराया गया।

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