लखनऊ:  उत्तर प्रदेश की सियासत में साल बीतते-बीतते बड़ा भूचाल आ गया है। अभूतपूर्व घटनाक्रम के तहत समाजवादी पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और चचेरे भाई रामगोपाल यादव को पार्टी से बाहर कर दिया है। मुलायम ने भारी मन से कहा, ‘रिश्ते से बड़ी उनके लिए पार्टी है। उन्होंने व उनके साथियों ने बड़ी मेहनत से पार्टी को खड़ा किया है और वो उसे टूटने नहीं देंगे। भला कोई बाप बेटे के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करता है लेकिन मुझे करनी पड़ रही है।’

इस घटनाक्रम के साथ ही 25 साल पुरानी सपा मुलायम परिवार के आपसी झगड़े के चलते दो फाड़ होने की कगार पर पहुंच गई है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सामने अपनी सरकार बचाने की भी चुनौती आ खड़ी हुई है। अब मुख्यमंत्री को विधायकों का बहुमत अपने पाले में करके दिखाना होगा। अपने पिता व चाचा शिवपाल से जुड़े विधायकों को अपने साथ लाए बिना अखिलेश के लिए अब बहुमत साबित करना मुश्किल होगा। माना जा रहा है कि मुलायम अखिलेश की जगह किसी दूसरे को सीएम बनाने की तैयारी में हैं।

शनिवार को दिन भर चला सियासी दंगल अखिलेश व रामगोपाल यादव के छह साल के निष्कासन के बाद और तेज हो गया है। अखिलेश यादव द्वारा अपने प्रत्याशियों की सूची जारी करने और इसके बाद पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव द्वारा अलग से राष्ट्रीय अधिवेशन बुला लिए जाने पर सपा मुखिया को अहसास हो गया कि अब पानी सिर से ऊपर हो गया है।

उन्होंने आनन-फानन में पहले तो बेटे व भाई को कारण बताओ नोटिस जारी किया और इसके दो घंटे बाद ही पार्टी से यह कह कर निकाल दिया कि अनुशासनहीनता नहीं चलने दी जाएगी, पार्टी को टूटने नहीं दूंगा। इसके लिए मुलायम ने आनन-फानन में प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर घोषणा कर दी। मुलायम सिंह यादव ने सपा दफ्तर में हुई प्रेस कांफ्रेंस में शाम को कहा कि जो भी एक जनवरी के अधिवेशन में हिस्सा लेगा, उसे पार्टी से निकाला दिया जाएगा। प्रत्याशियों की सूची तय करने का अधिकार केवल पार्टी अध्यक्ष को है। कोई दूसरा इस तरह प्रत्याशी तय नहीं कर सकता।

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