रांची: झारखंड में एक अप्रैल से 1500 शराब की दुकानें और लगभग 100 बार बंद हो जायेंगे। ये सभी दुकानें और बार राज्य के नेशनल और स्टेट हाइवे के 500 मीटर के दायरे में अवस्थित हैं। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के आये आदेश के आलोक में ये दुकानें और बार बंद होंगे। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्गों (नेशनल हाइवे) और राजकीय राजमार्गों (स्टेट हाइवे) से 500 मीटर तक शराब की बिक्री पर रोक लगा दी है। मामले पर गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर, जस्टिस डीवाइ चंद्रचूड़ और जस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच ने सुनवाई की, जिसके बाद यह आदेश दिया गया। मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षतावाली पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि केंद्र एवं राज्य सरकारें राजमार्गों के किनारे शराब की दुकानों के नये लाइसेंस जारी नहीं करेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जिन्हें शराब लाइसेंस पहले दिये जा चुके हैं, उनके लाइसेंस की अवधि 31 मार्च 2017 को समाप्त हो जायेगी और उसके बाद उनके लाइसेंसों का नवीकरण कतई नहीं किया जायेगा।
हटाये जायेंगे विज्ञापन और साइन बोर्ड : सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि सभी हाइवे के किनारे लगे शराब के सारे विज्ञापन और साइन बोर्ड हटाये जायेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि हाइवे से शराब की दुकान की लोकेशन बतानेवाले सभी होर्डिंग या साइन बोर्ड हटाये जायेंगे और राज्यों के मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कराने की निगरानी करेंगे। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने उस अपील पर फैसला सुनाया है, जिसमें गुहार की गयी थी कि उत्पाद कानून में संशोधन करने का निर्देश दिया जाये, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हाइवे (राजमार्ग) के किनारे शराब की बिक्री ना हो। इस पर हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत पर चिंता जताते हुए न्यायालय ने कहा था कि वह राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के किनारे शराब के ठेके बंद करने का आदेश दे सकता है। 7 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक्साइज (उत्पाद) कानून में बदलाव चाहनेवाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
पंजाब को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ‘आपके (पंजाब) में शराब बिक्री के कितने लाइसेंस दिये गये हैं, यह देखना चाहिए। क्योंकि वहां शराब लॉबी काफी ताकतवर है। हर कोई खुश है। एक्साइज डिपार्टमेंट खुश है, एक्साइज मिनिस्टर खुश हैं। सरकार भी इसलिए खुश है, क्योंकि उसे पैसे मिल रहे हैं। अगर कोई शख्स मरता है, तो आपको एक या डेढ़ लाख रुपये देने पड़ते हैं। आपको सोसाइटी की मदद के लिए कुछ करना चाहिए।’ सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि शराब पीकर गाड़ी चलाने से हर साल करीब 1.5 लाख लोग मारे जाते हैं। बता दें कि मामले पर कई याचिकाएं दायर हुई थीं। इसमें एक याचिका में 2015 की परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट के हवाले से कहा गया था कि पिछले साल हुए सड़क हादसे में 1 लाख 46 हजार लोगों की मौत हो गयी और इससे तिगुने जख्मी हो गये।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सड़कों पर हर दिन 1375 दुर्घटनाएं और 400 मौतें होती हैं। इस हिसाब से हर घंटे 57 दुर्घटनाएं और 17 मौतें होती हैं।