झारखंड में ‘सूचना का अधिकार’ कानून महज दिखावा बनकर रह गया है. प्रशासनिक अधिकारियों की बेरुखी के कारण लोगों को मांगी जानकारियां समय से नहीं मिल पा रही हैं. राज्य सूचना आयोग इसके प्रति गंभीर नहीं है ऐसे में आरटीआई कार्यकर्ता काफी परेशान हो रहे हैं.

सूबे की राजधानी रांची में राज्य सूचना आयोग दो सूचना आयुक्तों के भरोसे चल रहा है. राज्य सूचना आयोग में करीब 4 हजार केस लंबित हैं. जिसके कारण आरटीआई कार्यकर्ताओं को एक बार सुनवाई में करीब 6 माह का समय लग जाता है.

अपीलकर्ताओं की हो रही परेशानी के लिए राज्य सूचना आयोग के साथ सरकार भी कम दोषी नहीं है. आयोग में 11 सूचना आयुक्त का पद सृजित हैं जिसमें वर्तमान में मुख्य सूचना आयुक्त के अलावा मात्र एक सूचना आयुक्त है.निचले स्तर पर प्रशासनिक अधिकारी अपनी खामियों को उजागर न हो जाए इसलिए 30 दिनों के भीतर आरटीआई के तहत लिखित जानकारी उपलब्ध नहीं करवाते हैं. उसके बाद द्वितीय स्तर में आयोग में स्टाफ की कमी के चलते अपीलकर्ताओं को समय से सूचना नहीं मिल पाती है. मुख्य सूचना आयुक्त आदित्य स्वरुप ने बताया कि सूचना आयुक्तों की भारी कमी के कारण अपीलों की सुनवाई और उनके डिस्पोजल में काफी समय लगता है.

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