पेरिस। पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने के कारण फ्रांस में फैली अशांति गंभीर रूप लेती जा रही है। इन हालातों ने इस देश में भड़की ताजा हिंसा ने 50 साल पुरानी यादें ताजा कर दी हैं। इससे पहले यहां साल 1975 में ऐसी हिंसा फैली थी। इसके बाद फ्रांस अबतक का सबसे खतरनाक गृह अशांति से जूझ रहा है। स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि शनिवार को कुछ युवाओं ने सेंट्रल पैरिस में कई वाहनों और बिल्डिंगों को आग के हवाले कर दिया। ऐसे में सरकार आपातकाल लागू करने पर विचार कर रही है। फ्रांस सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि हमें कुछ ऐसी कार्रवाई करनी होगी, ताकि ऐसी हरकत फिर न हो।
इस प्रदर्शन को ‘येलो वेस्ट’ का नाम दिया गया है। बड़ी संख्या में लोग आपात स्थिति में पहने जाने वाले पीले रंग के कोट पहन कर प्रदर्शन कर रहे हैं। यह प्रदर्शन शनिवार को उस समय उग्र हो गया, जब इनमें से कुछ लोगों ने वाहनों और बिल्डिंगों में आग लगानी शुरू कर दी। फ्रांस की पुलिस की ओर से शेयर किए जा रहे विडियो में कुछ प्रदर्शनकारियों को पुलिस के वाहनों को निशाना बनाते और उनके शीशे तोड़ते देखा जा सकता है।
एक अन्य विडियो में जलती हुई कारें और प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागते देखे जा सकते हैं। पैरिस में अब तक प्रदर्शन कर रहे 412 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जबकि लगभग 133 लोग घायल हो गए। पुलिस प्रवक्ता ने एक चैनल को बताया कि पेट्रोल की बढ़ी हुई कीमतों और हाइड्रोकार्बन टैक्स बढ़ाने के विरोध में बड़ी संख्या में लोगों के सड़कों पर उतरने के बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई। जब आपातकाल लागू करने को लेकर सरकार के प्रवक्ता से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सरकार के पास यह भी एक विकल्प है।
फ्रांस में क्यों भड़की यह आग
फ्रांस सरकार ने डीजल की कीमतों में 23 फीसदी की बढ़ोत्तरी की- फ्रांस में डीजल कारों का इस्तेमाल आम है। बीते 12 महीनों में देखें, तो यहां 1.71 डॉलर प्रति लीटर तक डीजल की कीमतों में उछाल आया है। साल 2000 के बाद से यह अब तक की सर्वोच्च कीमत है। राष्ट्रपति मैक्रों स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने के मकसद से इस साल पेट्रोल-डीजल में टैक्स वृद्धि की है। इसके चलते प्रति लीटर डीजल में 7.6 सेंट्स और प्रति लीटर पेट्रोल में 3.9 सेंट्स की बढ़ोतरी हुई है। 1 जनवरी 2019 से डीजल में 6.5 सेंट्स प्रति लीटर और पेट्रोल में 2.9 सेंट्स प्रति लीटर की और बढ़ोतरी होगी। इन बढ़ती कीमतों के चलते फ्रांस के आम लोग परेशान हैं और विपक्ष इसे मुद्दा बना रहा है कि मैंक्रो अमीरों और बड़े उद्यमियों के लिए काम कर रहे हैं।
क्यों फूटा गुस्सा
पिछले महीने से शुरू हुआ यह विरोध प्रदर्शन शांत था। अचानक पिछले एक हफ्ते में यह हिंसक हो गया और लोग पीले कोट पहनकर पैरिस की सड़कों पर दिखाई देने लगे। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर हमला बोला, कारों को आग लगा दी, बैंकों और घरों को भी आग के हवाले कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रीय स्मारकों को भी नुकसान पहुंचाया है। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने आर्क डू ट्रौम्फ पर विरोध में राष्ट्रपति मैंक्रों की तस्वीर उकेर दी। पुलिस अब तक दंगे और हिंसा फैलाने के आरोप में 400 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। 23 पुलिसकर्मियों सहित अब तक 133 लोग जख्मी हो चुके हैं, जिनमें कुछ पत्रकार भी शामिल हैं।
1975 की यादें ताजा
इससे पहले फ्रांस में करीब 50 साल पहले ऐसी हिंसा भड़की थी। 1975 में यहां आपातकाल लागू हुआ था, तब हिंसा पैरिस से होते हुए फ्रांस के अन्य शहरों जैसे उत्तरपूर्व के चार्लेविले, पश्चिमके नैनटेस और दक्षिण के मारसिली तक भड़क गई थी।