संथाल झामुमो का गढ़ रहा है और भाजपा झामुमो के इस गढ़ में सेंधमारी करने की जुगत कर रही है। बीते चुनाव मेेंं भाजपा को संथाल में अपनी सेंधमारी के प्रयासों में अच्छी सफलता मिली थी। इससे उत्साहित होकर भाजपा ने संथाल में योजनाओं की गंगा के साथ वादों की जमुना भी बहायी है। वहीं, भाजपा की सेंधमारी के खतरे को भांपते हुए झामुमो, कांग्रेस और राजद के साथ मिलकर गठबंधन के सहारे अपने गढ़ को भाजपा की सेंधमारी से बचाये रखने की हर संभव कोशिश कर रही है। झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन और हेमंत क्षेत्र में चुनावी सभाओं को संबोधित करने में पूरी ताकत से जुटे हुए हैं। वहीं, भाजपा हेमंत से मुकाबले के लिए अन्य नेताओं के अलावा अपने ब्रह्मास्त्र यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जादुई छवि का सहारा ले रही है। वहीं, भाजपा से मजबूत मुकाबले के लिए झामुमो को सशक्त बनाते हुए कांग्रेस उसे पूरा बैकअप दे रही है। संथाल में विभिन्न दलों की लड़ाई का जनता को फायदा मिला है। यहां स्कूलों में नये बेंच-डेस्क आये हैं तो रोड, रेल और वाटर ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी बेहतर हुई है। लेकिन लोकतंत्र में सबसे महत्वूपर्ण जनता की आकांक्षाएं होती हैं। जनता की आकांक्षाओं को जो दल जितना बेहतर साध लेगा, उसके हाथ में उतनी ही बेहतर जीत आयेगी और जो जीता वही सिकंदर की तरह सिकंदर भी वही बनेगा। संथाल की 16 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए विभिन्न दलों में छिड़ी जंग और उससे बननेवाले समीकरण को रेखांकित करती दयानंद राय की रिपोर्ट।
हेमंत को हराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ब्रह्मास्त्र का उपयोग कर रही भाजपा
झारखंड विधानसभा चुनाव अब अपने अंतिम दौर के लिए कदम बढ़ा चुका है। 20 दिसंबर को संथाल की 16 सीटों के लिए मतदान होगा और इसी के साथ झारखंड विधानसभा चुनाव यज्ञ में जनता के मतों की आखिरी आहूति पड़ जायेगी। हालांकि झारखंड मेें हुए चुनावों के नतीजे 23 दिसंबर को आयेंगे। पांचवें चरण की 16 सीटों के लिए चुनावी दंगल में भाजपा, झामुमो, कांग्रेस, झाविमो, आजसू और अन्य दल जोर लगा रहे हैं। इस चुनाव में हेमंत सोरेन दो सीटों दुमका और बरहेट से लड़ रहे हैं और उन्हें उनके गढ़ में परास्त करने के लिए भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया है। 15 को दुमका में प्रधानमंत्री की सभा हो चुकी है और अब 17 दिसंबर को बरहेट में उनकी चुनावी सभा है। इस सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी जादुई छवि का इस्तेमाल पार्टी प्रत्याशियों को जीत दिलाने के लिए जनता से अपील करने में करेंगे। इसके अलावा अमित शाह और योगी जैसे भाजपा के स्टार प्रचारक भी भाजपा की जीत की राह आसान बनाने के लिए सभाएं कर रहे हैं। वहीं, गठबंधन का प्रमुख घटक दल होने के कारण कांग्रेस भी यहां झामुमो के साथ मिलकर धुआंधार चुनाव प्रचार कर रही है। चाहे वह ज्योतिरादित्य सिंधिया हों या शत्रुघ्न सिन्हा या फिर राज बब्बर अपने हर अस्त्र का इस्तेमाल कांग्रेस संथाल में गठबंधन प्रत्याशियों को जीत दिलाने और उनकी जीत की राह आसान करने के लिए कर रही है। प्रियंका भी आनेवाली हैं। संथाल में बीते चुनाव में सबसे अधिक छह सीटों पर झामुमो ने कब्जा जमाया था, इसलिए इन सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए झामुमो हर संभव कोशिश कर रही है। यहां भाजपा की सेंधमारी से बचने के लिए झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जमकर पसीना बहा रहे हैं। शिबू और हेमंत यहां रोज छह से अधिक चुनावी सभाएं कर रहे हैं। झाविमो ने यहां सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारा है और उनकी जीत की राह आसान करने के लिए पार्टी सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी रोज तीन से चार चुनावी सभाओं को संबोधित कर रहे हैं। वहीं सोशल मीडिया के जरिये उनकी सभाओं का संदेश आसानी से लोगों तक पहुंच रहा है।
हेमंत को हराना चाहती है भाजपा
वर्ष 2014 की तरह हेमंत सोरेन इस बार भी दो सीटों दुमका और बरहेट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके मैदान मेें होने के कारण ये दोनों सीटें संथाल की सबसे प्रतिष्ठा वाली सीटें बन गयी हैं। इन दो सीटों पर जहां हेमंत को हराने के लिए भाजपा पुरजोर प्रयास कर रही है, वहीं हेमंत इन दोनों सीटों पर जीत हासिल करने के लिए पुरजोर कोशिश में लगे हुए हैं। दोनों में कोई भी कमतर नहीं है। बीते चुनाव में लुइस मरांडी ने हेमंत सोरेन को दुमका से हरा दिया था और झारखंड सरकार में मंत्री बनने में कामयाब रही थीं। इस बार दुमका मेंं उनके खिलाफ एंटी इन्कंबेंसी फैक्टर काम कर रहा है और अपनी बीती हार से हेमंत भी सबक ले चुके हैं। जाहिर है कि दुमका सीट पर इस बार भी लुइस और हेमंत के बीच फाइट टाइट है। वहीं बरहेट में बीती दफा की तरह इस बार भी हेमंत जीत हासिल करने की हर संभव कोशिश करेंगे। इन दोनों सीटों पर सिर्फ हेमंत ही नहीं, बल्कि झामुमो की ही प्रतिष्ठा दांव पर है। ऐसे में झामुमो भाजपा से निर्णायक लड़ाई के लिए हर दांव आजमा रही है। वहीं, भाजपा भी साम-दाम-दंड-भेद यानी हर अस्त्र का इस्तेमाल कर रही है। यहां झामुमो को हराने के लिए भाजपा क्षेत्र में विकास की गंगा बहाने का दावा कर रही है। पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रदीप वर्मा ने प्रेस बयान जारी कर कहा है कि संथाल में मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में प्रतिबद्धता के साथ काम करते हुए 466 स्कूलों में विद्युतीकरण की व्यवस्था की गयी। उन्होंने कहा कि यहां विकास की फेहरिश्त लंबी है। वहीं 432 स्कूलों में बेंच डेस्क उपलब्ध कराया गया।
वहीं सोमवार को भाजपा नेता एडवर्ड सोरेन ने बयान जारी कर कहा कि हेमंत संथालों के विकास में सबसे बड़े बाधक हैं। जाहिर है कि हेमंत और झामुमो पर हमला बोलने में भाजपा कोई भी अवसर छोड़ना नहीं चाहती। वहीं हेमंत सोरेन भी पूरी तरह भाजपा पर हमलावर हैं। रविवार को नाला के फतेहपुर में आयोजित चुनावी सभा में हेमंत सोरेन ने कहा कि रघुवर सरकार को अबकी बार भगवान भी नहीं बचा पायेंगे। भाजपा सरकार ने किसानों, पारा टीचर और महिला कर्मचारियों के साथ मारपीट की है।
गरीब-गुरबों के बच्चे पढ़ न सकें इसके लिए स्कूलों को बंद कर दिया। छत्तीसगढ़ और यूपी के युवाओं को यहां नौकरी दी जा रही है। चुनाव के बाद भाजपा सरकार महंगाई इतनी बढ़ा देगी कि जनता एक-एक चीज को तरसेगी। इससे बचना है तो गठबंधन की सरकार बनायें। वहीं पाकुड़ में फील्डिंग करते हुए दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने कहा कि झारखंड को अलग कराया, तो इसे चलाने की भी क्षमता रखते हैं। भाजपा पर हमलावर होने में झामुमो से जो कसर बाकी रह रही है, उसे कांग्रेस पार्टी पूरी कर रही है।
रविवार को ही रांची में आयोजित प्रेसवार्ता में झारखंड कांग्रेस के प्रभारी आरपीएन सिंह ने कहा कि नरेंद्र मोदी झारखंड में भूख से मौत, किसानों की आत्महत्या और दुष्कर्म पर एक शब्द नहीं बोलते। जाहिर है कि संथाल की 16 सीटों पर भाजपा और गठबंधन में मुकाबला कांटे का है और झाविमो, आजसू और अन्य दलों के अलावा निर्दलीय इस क्षेत्र में चुनावी समीकरण दिलचस्प बना रहे हैं। संथाल की जामा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है। यहां झामुमो की सीता सोरेन और भाजपा के सुरेन मुर्मू के बीच जंग में आजसू की स्टेफी टेरेसा मुर्मू के आने से लड़ाई में ट्विस्ट आ गया है।
वहीं जामताड़ा में मुकाबला मुख्य रूप से भाजपा और कांग्रेस के बीच है। यहां गठबंधन के प्रत्याशी डॉ इरफान अंसारी हैं, तो भाजपा ने वीरेंद्र मंडल पर दुबारा भरोसा जताया है। यहां आजसू के टिकट पर पूर्व विधायक विष्णु भैया की पत्नी चमेली देवी मैदान में हैं। वहीं बतौर निर्दलीय उम्मीदवार तरुण गुप्ता चुनाव लड़ रहे हैं। इसी तरह नाला सीट पर भाजपा के सत्यानंद झा बाटुल और झामुमो के रवींद्रनाथ महतो में सीधी टक्कर है। आजसू ने यहां माधव चंद्र महतो को टिकट दिया है और भाकपा के टिकट पर कन्हाई मालपहाड़िया मैदान में हैं।
पाकुड़ में मुकाबला कांग्रेस के आलमगीर आलम, आजसू के अकील अख्तर और भाजपा के बेनी प्रसाद गुप्ता में है। राजमहल सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा के सीटिंग विधायक और झामुमो प्रत्याशी मोहम्मद ताजुद्दीन के बीच है।
वहीं बोरियो सीट पर मुकाबला भाजपा छोड़कर आजसू में गये विधायक ताला मरांडी और भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरे सूर्या हांसदा के बीच है। सारठ सीट पर भाजपा सरकार में कृषि मंत्री रणधीर सिंह के सामने पार्टी की ओर से खुद को टिकट दिये जाने के फैसले को सही साबित करने की चुनौती है। वहीं, पोड़ैयाहाट में यहां से तीन बार विधायक चुने गये प्रदीप यादव के सामने अपनी जीत बरकरार रखने की चुनौती है। वहीं गोड्डा सीट पर वर्ष 2016 के उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर अमित मंडल ने जीत हासिल की थी और इस बार भी पार्टी ने उन्हें ही टिकट दिया है। वहीं महगामा सीट पर बीती दफा भाजपा के अशोक कुमार ने जीत दर्ज की थी और इस बार भी पार्टी ने उन्हें ही प्रत्याशी बनाया है। गौरतलब है कि 20 दिसंबर को संथाल की राजमहल, बोरियो, पाकुड़, महेशपुर, शिकारीपाड़ा, नाला, जामताड़ा, दुमका, जामा, जरमुंडी, सारठ, पोड़ैयाहाट, गोड्डा और महगामा सीट पर वोट डाले जायेंगे और चुनाव का नतीजा 23 दिसंबर को आयेगा। संथाल में बीते चुनाव में झामुमो ने छह सीटों बरहेट, लिट्टीपाड़ा, शिकारीपाड़ा, नाला, महेशपुर और जामा पर कब्जा जमाया था। वहीं, भाजपा पांच सीटें राजमहल, बोरियो, दुमका, गोड्डा और महगामा जीतने में सफल रही थी। बीते चुनाव में कांग्रेस को यहां तीन सीटें जामताड़ा, पाकुड़ और जरमुंडी में जीत मिली थी। वहीं झाविमो पोड़ैयाहाट और सारठ से जीतने में सफल रही थी। इस चुनाव में 23 दिसंबर को यह साफ होगा कि संथाल का असली हीरो कौन है। इससे पहले बयानबाजी और वादों-इरादों का दौर चलता रहेगा।