मनीष सिंह
रांची। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और बेरमो विधायक राजेंद्र सिंह उन चंद नेताओं में शुमार हैं, जो जानते हैं कि शासन को कैसे चलाया और संभाला जा सकता है। वह इतने अनुभवी हैं कि कमियों को चिह्नित कर उन्हें दूर कैसे किया जाये, किस समस्या का निपटारा पहले किया जाये, यह भली-भांति समझते हैं। बता दें कि राजेंद्र सिंह में अनुभवों का खजाना समाहित है। आजाद सिपाही के साथ शुक्रवार को उन्होंने लंबी बातचीत की। उन्हें राज्य के मौजूदा हालात और सरकार के सामने पेश आने वाली चुनौतियों का एहसास है। कहते हैं कि फिलहाल तो राज्य का खजाना खाली है। पिछली सरकार काफी कर्ज छोड़ गयी है। इसलिए सबसे पहली प्राथमिकता हेमंत सरकार की यही होनी चाहिए कि रेवेन्यू कैसे बढ़ाया जाये और इसके लिए साल भर पूरे मंत्रिमंडल को किसी भी प्रकार के जश्न से दूर रहने की जरूरत है। फिलहाल सिर्फ काम करने की जरूरत है। पेश है राजेंद्र सिंह की बातचीत के प्रमुख अंश:
सवाल : कांग्रेस के इस बाउंस बैक का क्या राज है? आखिर इतनी शानदार वापसी कैसे हुई?
जवाब: राज्य की जनता पिछली सरकार और उसके शासन से असंतुष्ट थी। कांग्रेस और झामुमो को इसका पूरा आभास था। महागठबंधन ने जनता में भरोसा जगाया। जमीनी मुद्दों पर हमलोगों ने मिलकर जो बात की, उससे लोग कन्विंस हुए और हमें जीत मिली। कांग्रेस की राष्टÑीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और हेमंत सोरेन के बीच काफी पहले समझौता हो गया था कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस झारखंड में गठबंधन को लीड करेगी और विधानसभा चुनाव में मुख्य कमान झामुमो के हाथ में होगी। कांग्रेस ने उसी समय हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री बनाये जाने का वादा किया था, जो आज पूरा हो रहा है। हम उन्हें सरकार चलाने में पूरी तरह सहयोग करेंगे।
सवाल : आप अपनी राजनीतिक यात्रा को किस रूप में देखते हैं?
जवाब: जहां तक हमारी बात है, तो हम कांग्रेस के सिपाही हैं। सब कुछ पार्टी के लिए न्योछावर कर दिया है। इंदिरा गांधी की जेल यात्रा के दौरान मैं अपनी क्लास वन की नौकरी छोड़ आंदोलन में शामिल हुआ और जेल गया। उस समय से लगातार कांग्रेस से जुड़ा हूं और पार्टी को आगे ले जाने की कोशिश कर रहा हूं। अपनी तमाम जिंदगी पार्टी को दे दी है। प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह और उमर सिंघार जैसे नेताओं ने मुझपर भरोसा जताया और उनके भरोसे पर खरा उतरा हूं। आगे भी जो जिम्मेदारी मिलेगी, भली-भांति निभाऊंगा। हमें पूरी उम्मीद थी कि हम जीतेंगे और हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बनेंगे। पर किसी ने ये नहीं सोचा था कि इतनी बड़ी जीत मिलेगी। शपथ ग्रहण के बाद कांग्रेस अपनी घोषणाओं को पूरा करेगी।
सवाल : जनता की आकंक्षाओं पर कैसे खरा उतरेगे?
जवाब : हेमंत सोरेन के पिछले 14 माह के शासन में मैं उनके साथ काम कर चुका हूं। तब मैं विभागों का मंत्री था। स्वास्थ्य मंत्री था। इसके अलावा वित्त और वाणिज्य विभाग की जिम्मेदारी भी संभाल रहा था। ऊर्जा विभाग भी मेरे जिम्मे था। पुराना अनुभव भी है। मुझे अच्छी तरह से पता है कि काम कैसे किया जाता है। पिछली सरकार के कामकाज के तरीकों के कारण राज्य का खजाना खाली है। इसे भरना हमारी पहली प्राथमिकता है। इसके लिए रेवेन्यू काफी जरूरी है। हमें पता है कि रेवेन्यू कैसे आयेगा। राज्य में धन-संपदा की कमी नहीं है। राज्य के संसाधनों का बेहतर उपयोग कर हम राजस्व बढ़ा सकते हैं। राज्य में इतनी खनिज संपदा है। उनका बेहतर उपयोग कर सरकार की आय बढ़ायी जा सकती है। बंद खदानों को खोलकर, उन्हें विकसित कर रेवेन्यू बढ़ाया जा सकता है। कोल इंडिया की सीसीएल, बीसीसीएल और इसीएल जैसी कंपनियां राज्य में स्थापित हैं। इनके जरिये राज्य की कमाई बढ़ायी जा सकती है।
सवाल : शासन कैसे चलायेंगे, मंत्री पद की उम्मीद है क्या?
जवाब : शासन चलाने में कोई परेशानी नहीं है। जनता ने हमें जो जिम्मेदारी सौंपी है, उस पर हम खरा उतरेंगे। काम करने के लिए मुझे किसी मंत्री पद की जरूरत नहीं है। विधायक रहकर भी काफी काम कर सकता हूं। राष्टÑीय अध्यक्ष सोनिया गांधी की मेहरबानी से दो बार कांग्रेस विधायक दल का नेता रहा हूं। हमारे महागठबंधन का लक्ष्य यही है कि जनता से बेहतर शासन मिले। उनकी परेशानियां दूर हों। बुनियादी सेक्टर में हम जमकर काम करेंगे।
सवाल : आम और खास की उम्मीदों पर कैसे खरा उतरेंगे?
जवाब : हां, यह बहुत बड़ी चुनौती है। जो लोग भी मंत्री बनें, सभी को जिम्मेदारी लेनी होगी। मेरा अपना विचार है कि पूरे एक साल हम सभी को जश्न भूल जाना होगा। जश्न नहीं मनाना है, बल्कि सिर्फ काम पर फोकस करना है। चूंकि पिछली सरकार ने राज्य पर इतना कर्ज छोड़ा है कि पहले इसे मेकअप करना है। खजाना भरना है। खजाना कैसे भरें, इसकी चिंता करनी है। चूंकि मैं आॅल इंडिया इंटक का अध्यक्ष हूं, माइंस वेलफेयर एसोसिएशन का अध्यक्ष भी हूं, इसलिए पता है कि कहां, किसको, कैसे आगे लेकर बढ़ना है। बच्चों को पढ़ाना है, बेटियों को पढ़ाना है, सबकी समस्याएं दूर करनी हैं। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में हम सबको मिलकर सभी चुनौतियों का सामना करना है। जहां भी वह कहेंगे, हम काम करेंगे।