वाकया नौ दिसंबर का है। रांची से भाजपा के लोकसभा सांसद संजय सेठ ने भाजपा के अरगोड़ा स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों से कहा कि हेमंत सोरेन दुमका और बरहेट दोनों सीटों से हार रहे हैं। वे दो सीटों से इसलिए चुनाव लड़ रहे हैं, क्योंकि उन्हें भरोसा नहीं है कि वे जीत सकते हैं। संजय सेठ के इस बयान के निहितार्थ पर गौर करें तो यह साफ तौर पर निकलकर सामने आता है कि झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा का मुख्य टारगेट झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ही हैं। बीते विधानसभा चुनाव में हेमंत को दुमका में लुइस मरांडी के हाथों हार मिली थी और अब भाजपा हेमंत को दुमका और बरहेट दोनों सीटों से हारता देखना चाहती है। वहीं हेमंत सोरेन दोनों सीटों पर जीत दर्ज कर यह साबित करने की कोशिश करेंगे कि संथाल में झामुमो के किले अभेद्य रहें। असल में भाजपा और झामुमो के दमखम की असली परीक्षा तो संथाल में ही होनी है। जहां भाजपा राष्टÑीय पार्टी होने के अपने गौरव के साथ मैदान में उतरी हुई है, वहीं झामुमो क्षेत्रीय पार्टी की अपनी धाक को सुरक्षित रखने के लिए पूरी ताकत झोंके हुए हैं। हेमंत सोरेन संथाल के दौरे पर हैं और अपने इस किले को भाजपा की सेंधमारी से बचाये रखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। झामुमो का संथाल का किला ढहाने और झामुमो की उसे बचाने की कोशिशों और खुद को बेहतर बनाने की रणनीति को रेखांकित करती दयानंद राय की रिपोर्ट।
झामुमो के गढ़ संथाल परगना की 16 सीटों पर 20 दिसंबर को मतदान होगा। इन सीटों पर मुख्यमंत्री रघुवर दास तथा झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के दमखम की असली परीक्षा होगी। असली परीक्षा इसलिए, क्योंकि संथाल झामुमो का गढ़ माना जाता है और वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में झामुमो ने 16 में से सात सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं भाजपा के लिए संथाल इसलिए महत्वपूर्ण है कि बीते चुनाव में उसे यहां से पांच सीटों पर जीत मिली थी और इस बार पार्टी 65 प्लस का जो लक्ष्य लेकर चल रही है, उसका आखिरी लेकिन महत्वपूर्ण पड़ाव संथाल ही है। झामुमो के इस गढ़ में सेंधमारी के लिए रघुवर दास ने यहां जबर्दस्त फील्डिंग की है। संथाल को फोकस करते हुए यहां कई कार्यक्रम सीएम ने किये हैं। उनके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अमित शाह और अन्य दिग्गज नेता भी संथाल में भाजपा को बढ़त दिलाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं, पर झामुमो को भी भाजपा की इस सेंधमारी की कवायद का एहसास है। यही कारण है कि झामुमो ने अपने किले को मजबूत रखने के लिए हर संभव प्रयास किया है और कर भी रही है। हेमंत सोरेन खुद यहां दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं, जिसमें दुमका और बरहेट सीट शामिल है। दुमका सीट पर बीती दफा उन्हें हार का सामना करना पड़ा था पर बरहेट से उन्हें जीत मिली थी। इस बार वे दोनों सीटें जीतना चाहेंगे और भाजपा की कोशिश यही रहेगी कि उन्हें इनमें से एक भी सीट जीतने न दिया जाये। झामुमो की संथाल की तीन सीटों बरहेट, लिट्टीपाड़ा और शिकारीपाड़ा में जबर्दस्त पकड़ है और वर्ष 2000 से 2014 तक इन सीटों पर वह अजेय रही है। वहीं जामा सीट पर शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन ने चुनाव जीता और विधायक बनने में कामयाब रही थीं। जाहिर है कि झामुमो का यह किला इस बार भी मजबूत बना रहे इसका प्रयास पार्टी कर रही है, वहीं भाजपा इस किले में सेंधमारी में लगी हुई है। संथाल में भाजपा की जीत की राह आसान करने के लिए भाजपा के राष्टÑीय कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने दस दिसंबर को दुमका में संथाल परगना की आठ विधानसभाओं की कोर कमेटी की बैठक में हिस्सा लिया और जीत की रणनीति तैयार की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आखिरी चुनावी सभा संथाल के साहिबगंज में ही रखी गयी है। संथाल की 16 सीटों पर 20 दिसंबर को मतदान होना है, ऐसे में भाजपा को उम्मीद है कि नरेंद्र मोदी की सभा से पार्टी के प्रत्याशियों को मजबूती मिलेगी और इसका असर चुनाव परिणामों में दिखेगा।
भाजपा के तीन मंत्रियों के सामने सीट बचाने की चुनौती
झारखंड की राजनीति के जानकारों का कहना है कि संथाल परगना के संबंध में किसी निष्कर्ष पर पहुंचना अभी संभव नहीं है। इस क्षेत्र से अप्रत्याशित परिणाम विधानसभा चुनाव में आ सकते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह झामुमो का किला रहा है, पर यह भी निर्विवाद है कि इसमें भाजपा ने सेंधमारी कर ली है। दुमका से झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन का लोकसभा चुनाव हारना और बीते विधानसभा चुनाव में दुमका से ही हेमंत सोरेन की लुइस मरांडी के हाथों पराजय से यह जरूर साफ हो गया है कि झामुमो पूरी तरह अजेय नहीं है। इस किले में भाजपा की सेंधमारी की कोशिश एक हद तक सफल रही है। लेकिन यह भी सच्चाई है कि इस सेंधमारी के परिणामों को समझकर हेमंत सोरेन ने पार्टी की पूरी ताकत संथाल में लगा दी है। वे खुद भी संथाल में कैंप कर गये हैं। यहां भाजपा के तीन मंत्रियों लुइस मरांडी, राज पलिवार और रणधीर सिंह के सामने अपनी सीट बचाने की चुनौती है। भाजपा ने इस क्षेत्र में विकास की जो योजनाएं चलायी हैं, उसकी बदौलत यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि संथाल का हित सबसे बेहतर वही समझती है। देवघर को एम्स दिलाया है तो दुमका में मेडिकल कॉलेज। साहेबगंज में गंगा पर पुल और बंदरगाह को भी भाजपा सरकार अपनी बड़ी उपलब्धियों के तौर पर भुनाना चाहती है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ ने कहा कि पार्टी संथाल परगना में बीते विधानसभा चुनाव की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करेगी। संथाल में चलायी जा रही योजनाओं का पार्टी को फायदा मिलेगा। पार्टी अपने 65 प्लस के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। वहीं झामुमो के जिला प्रवक्ता डॉ तनुज खत्री का कहना है कि संथाल की 16 में से 11 सीटों पर झामुमो के उम्मीदवार खड़े हैं। संथाल जानता है कि उसकी अस्मिता की रक्षा तीर-धनुष की बदौलत ही हो सकता है। इन सभी सीटों पर पार्टी मजबूत है और जीत हासिल करेगी। भाजपा को संथाल की याद चुनाव के समय आती है और यह संथाल की जनता से छिपा नहीं है, जबकि हेमंत सोरेन यहां की जनता के लिए हमेशा उपलब्ध रहते हैं। गौरतलब है कि संथालपरगना में कुल 18 सीटें हैं, जिनमें से 16 सीटों पर 20 दिसंबर को मतदान होगा वहीं दो सीटों मधुपुर और देवघर में 16 दिसंबर को मतदान होगा। यहां चौथे चरण में मतदान होना है।
संथाल परगना फैक्ट फाइल
>>संथाल परगना की 16 सीटों पर 20 दिसंबर को होगा मतदान
>>संथाल की 16 में से सात सीटें एसटी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित
>>बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाड़ा, महेशपुर, शिकारीपाड़ा, दुमका और जामा एसटी के लिए आरक्षित
>>राजमहल, पाकुड़, जामताड़ा, जरमुंडी, पोड़ैयाहाट, महगामा, सारठ, नाला और गोड्डा है सामान्य सीटें
>>ये 16 सीटें राज्य के छह जिलों के अंतर्गत आती हैं
>>इन सीटों पर 40 लाख तीन हजार 183 वोटर मतदान करेंगे, इनमें 20 लाख 49 हजार 140 पुरुष और 19 लाख 54 हजार 13 महिला वोटर हैं
>>मतदाताओं के लिए यहां कुल 5389 बूथ बनाये गये हैं। इनमें 269 शहरी और 5120 ग्रामीण क्षेत्रों में हैं
>>बीते चुनाव में संथाल की 16 में से सात सीटों पर झामुमो का कब्जा था। पांच पर भाजपा के उम्मीदवार विजयी हुए थे और तीन सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी
>>सारठ सीट पर झाविमो के टिकट पर रणधीर सिंह जीते थे, पर बाद में वह भाजपा में शामिल हो गये थे।