नयी दिल्ली। किसान आंदोलन के 35वें दिन सरकार और किसानों के बीच 36 का आंकड़ा टूटता दिखा। कृषि कानूनों पर किसान संगठनों और केंद्र के बीच बुधवार को विज्ञान भवन में सातवें दौर की बैठक हुई। पांच घंटे तक चली मीटिंग में सरकार थोड़ी झुकी, तो किसान भी थोड़े नरम पड़े। सरकार ने किसानों की चार में से दो मांगें मान लीं। बाकी दो मांगों पर बातचीत के लिए चार जनवरी की तारीख तय की गयी है। बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बैठक अच्छे वातावरण में हुई। किसान नेताओं ने चार मुद्दे चर्चा के लिए रखे थे, उनमें दो विषयों पर आपसी रजामंदी सरकार और यूनियन के बीच बन गयी है। इधर, किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि दो मसलों पर सहमति बनी है। अब बाकी दो मुद्दे अगली बैठक में देखे जायेंगे। जब तक पूरा समाधान नहीं हो जाता, हमारा धरना चलता रहेगा।
पराली और इलेक्ट्रिसिटी पर केंद्र और किसानों में रजामंदी
तोमर ने कहा कि किसानों की मांग में पहली एन्वायरनमेंट से संबंधित आॅर्डिनेंस में किसान और पराली से संबंधित थीं। उनका कहना था कि किसान को इसमें शामिल नहीं किया जाना चाहिए। सरकार और किसानों के बीच इस मुद्दे पर सहमति बन गयी है। दूसरा- इलेक्ट्रिसिटी एक्ट, जो अभी आया नहीं है। उन्हें लगता है कि किसानों को इससे नुकसान होगा। किसानों को सिंचाई के लिए जो सब्सिडी दी जाती है, उसे जारी रहना चाहिए। इस मांग पर भी दोनों के बीच रजामंदी बन गयी है।
एमएसपी को कानूनी दर्जे पर फिलहाल सहमति नहीं
तोमर ने कहा कि किसान यूनियन ने तीन कानूनों को वापस लेने की बात कही। हमने अपने तर्कों से उन्हें यह बताने की कोशिश की है कि किसान की कठिनाई कहां है? जहां कठिनाई है, वहां सरकार खुले मन से विचार को तैयार है। एमएसपी के विषय में भी सरकार पहले भी कहती रही है कि यह पहले से है और जारी रहेगी। उन्हें ऐसा लगता है कि एमएसपी को कानूनी दर्जा मिलना चाहिए। कानून और एमएसपी पर चर्चा जारी है। हम चार तारीख को दो बजे फिर इकट्ठा होंगे और इन विषयों पर चर्चा को आगे बढ़ायेंगे।
किसानों और सरकार की अगली बैठक चार को
अब चार जनवरी को केंद्र और किसानों के बीच बातचीत होगी। हालांकि, बुधवार को लंच के दौरान तब बात बनने के आसार दिखे थे, जब किसानों के साथ मंत्रियों ने खाना खाया था। किसान दाल-रोटी तो अपनी ही लाये थे, पर इस बार लंच में उनके साथ कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल हुए थे।

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