रांची। झारखंड के आइएएस अधिकारी और कथाकार रणेंद्र को श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान के लिए चुना गया है। उन्हें यह सम्मान अगले वर्ष 31 जनवरी को आयोजित होनेवाले समारोह में दिया जायेगा। आलोचक डॉ नित्यानंद तिवारी की अध्यक्षतावाली चयन समिति ने उनका चयन इस पुरस्कार के लिए किया है। चयन समिति में वरिष्ठ कथाकार चंद्रकांता, कवि-पत्रकार विष्णु नागर, लेखक प्रोफेसर रविभूषण, आलोचक मुरली मनोहर प्रसाद सिंह और वरिष्ठ कवि डॉ दिनेश कुमार शुक्ल के नाम शामिल हैं। पुरस्कार के लिए चुने जाने पर इफको के प्रबंध निदेशक डॉ उदय शंकर अवस्थी ने उन्हें ट्वीट के जरिये बधाई दी है। रणेंद्र को पुरस्कार के रूप में 11 लाख रुपये और प्रशस्ति पत्र दिया जायेगा।
आदिवासी जीवन को लेखनी का विषय बनाया
रांची के जनजातीय शोध संस्थान के निदेशक के पद पर तैनात रणेंद्र का जन्म 10 फरवरी 1960 को बिहार के नालंदा मेें हुआ। उन्होंने आदिवासी जीवन को अपनी लेखनी का विषय बनाया। अपनी रचनाओं में वे वैश्वीकरण और विकास के दौर में आदिवासी समुदायों के भीतर हो रहे सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों की बारीकी से पड़ताल करते हैं। अपने पहले उपन्यास ‘ग्लोबल गांव के देवता’ से वे साहित्य जगत में चर्चा में आये। ‘गायब होता देश’ उनका दूसरा उपन्यास है, जिसमें मुंडा आदिवासियों के जीवन संघर्ष का चित्रण किया गया है। कहानी और उपन्यास के साथ उन्होंने कविताएं भी लिखी हैं। अब तक उनके दो कहानी संग्रह ‘रात बाकी और अन्य कहानियां’ तथा ‘छप्पन छुरी बहत्तर पेंच’ प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी कविताओं का संकलन ‘थोड़ा स्त्री होना चाहता हूं’ के नाम से प्रकाशित है। शास्त्रीय संगीत के घरानों पर आधारित उनका उपन्यास ‘गूंगी रुलाई का कोरस’ जल्द ही प्रकाशित होनेवाला है।
2011 में शुरू किया गया था सम्मान
श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान वर्ष 2011 में शुरू किया गया था। यह सम्मान हर साल ऐसे हिंदी लेखक को दिया जाता है, जिसकी रचनाओं में मुख्यत: कृषि और ग्रामीण जीवन, हाशिये के लोग, विस्थापन से जुड़ी समस्याएं तथा आकांक्षाओं और संघर्षों का चित्रण किया गया हो। अब तक यह सम्मान विद्यासागर नौटियाल, शेखर जोशी, संजीव, मिथिलेश्वर, अष्टभुजा शुक्ल, कमलाकांत त्रिपाठी, रामदेव धुरंधर, रामधारी सिंह दिवाकर और महेश कटारे को दिया गया है।
कथाकार रणेंद्र को श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान
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