झारखंड को जिस मुकाम पर पहुंचना था, नहीं पहुंच पाया : हेमंत सोरेन
रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष सह राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि पिछले 19 वर्षों तक राज्य में सरकार थी। लेकिन झारखंडी भावनाओं को दरकिनार किया जाता रहा। 21 वर्षों में झारखंड को जिस मुकाम पर पहुंचना था, नहीं पहुंच पाया। हमें जनता की भावनाओं को सर्वोपरि रखना है। हेमंत सोरेन शनिवार को झामुमो के 12वें महाधिवेशन में बोल रहे थे। झामुमो के महाधिवेशन में पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन लगातार दसवीं बार पार्टी के निर्विरोध अध्यक्ष बने। जबकि सर्वसम्मति से हेमंत सोरेन को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया।
इस अवसर पर हेमंत सोरेन ने कहा कि हमे जनहित में जनता की भावनाओं को पूरा करना है। प्रदेश की जनता ने हमें बड़ी जिम्मेवारी दी है। इस जिम्मेवारी का हमें निर्वहन करना है। झामुमो विकास की राजनीति करता है। राज्य के पिछड़े, गरीबों, वंचितों की चिंता हमें हैं। इसलिए सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं जिसका लाभ लोगों को मिल रहा है। हम जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरे ऐसा हमारा प्रयास है। पार्टी में कार्यकर्ता सर्वोपरि हैं। सोरेन ने कहा कि सांगठनिक रूप से पार्टी को बड़ा मुकाम हासिल करना है। इस दिशा में भी तेजी से काम किया जाएगा। यहां के आदिवासी, मूलवासी, अल्पसंख्यक, मजदूर, किसान हमारी पूंजी हैं। इन सब के सहयोग से हमें झारखंड की बागडोर मिली है। हमारा प्रयास होगा कि इनकी भावनाओं को ठेस ना पहुंचे। झारखंड अलग राज्य बनने के बाद पहली बार पूर्ण रूप से सरकार चलाने का दायित्व पार्टी को मिला है। हम जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड जल, जंगल और जमीन के लिए जाना जाता है।इसका संवर्धन भी हमारी जिम्मेदारी है। पार्टी के महाधिवेशन के अवसर पर पार्टी के संविधान संशोधन सहित कई राजनीतिक, आर्थिक प्रस्ताव रखे गए।
महाधिवेशन में राजनीतिक प्रस्ताव पारित
पार्टी के महाधिवेशन में राजनीतिक प्रस्ताव पारित किया गया। झारखंड राज्य गठन के साथ ही राजनीतिक व्यवस्था के तहत जिस सत्ता का संचालन दो-तिहाई वर्षों से ज्यादा भाजपा के हाथ में रही ने शोषक, अराजक एवं कारपोरेट लुटेरों के स्वार्थ पूर्ति के लिए नियम कानून बनाए एवं उन्हें लाभान्वित करने का योजनाएं तैयार की। झारखंडी पहचान एवं अस्तित्व को समाप्त करने की पराकाष्ठा तब हुई जब 2014 में केंद्र में तथा राज्य में भाजपा की सरकार स्थापित हुई। तत्कालीन मंत्री मंडल द्वारा मूलवासी आदिवासियों की जमीन की लूट, उनके रोजगार की लूट, उनकी शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त, स्वास्थ्य सेवाओं को कारपोरेट घरानों के अस्पतालों को सौंपने पर मजबूर कर, किसानों को आत्महत्या के लिए मजबूर तथा नि:शक्तों भुखमरी के कारण अकाल मृत्यु की ओर ढकेला गया, जिससे त्रस्त होकर राज्य की जनता ने भाजपा शासन के खिलाफ हेमंत सोरेन पर विश्वास व्यक्त करते हुए अपने नेतृत्व करने का आशीर्वाद प्रदान किया। महाधिवेशन में मंत्री मिथिलेश ठाकुर, हफीजुल हसन, चंपई सोरेन, स्टीफन मरांडी, सुप्रियो भट्टाचार्य, बसंत सोरेन, जोबा मांझी, मनोज कुमार पांडेय आदि उपस्थित थे।