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हाल में संपन्न गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चुनाव और दिल्ली नगर निगम के चुनाव परिणामों से सबसे अधिक चिंता कांग्रेस के खेमे में है। हिमाचल प्रदेश की सत्ता में वापसी के बावजूद कांग्रेस की चिंता का कारण आम आदमी पार्टी का लगातार बढ़ता कद है। पहले दिल्ली और फिर पंजाब में आप के हाथों बुरी तरह पराजित होनेवाली कांग्रेस को गुजरात चुनाव परिणाम से राजस्थान की चिंता सता रही है। आप ने जिस तरह गुजरात में अपना विस्तार किया है और 13 फीसदी वोट लेकर राष्ट्रीय पार्टी बन गयी है, उसके बाद से इस बात के कयास लगाये जाने लगे हैं कि राजस्थान में अगले साल होनेवाले विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल पूरी ताकत से मैदान में उतरेंगे। दिल्ली, पंजाब और गुजरात के चुनाव परिणामों ने यही साबित किया है कि जहां भी कोई तीसरा दल मजबूती से ताल ठोकता है, कांग्रेस या तो पराजित हो जाती है या तीसरे स्थान पर खिसक जाती है। यदि यह सिलसिला राजस्थान में भी जारी रहा, तो फिर कांग्रेस को बचानेवाला कोई नहीं रहेगा। न केवल राजस्थान, बल्कि छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में भी आप लगातार अपने विस्तार में लगी हुई है। उधर राजस्थान में हाल के दिनों में भाजपा ने जो आक्रामक रुख अपनाया है और चाहे कन्हैयालाल हत्याकांड का मामला हो, या फिर करौली हिंसा, या फिर तीन सौ साल पुराने मंदिर को ध्वस्त किये जाने का, उसने अशोक गहलोत सरकार को हर मुद्दे पर घेरा है। इससे भी कांग्रेस के अंदर खलबली है। अभी राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही कांग्रेस सत्ता में है और यदि इन दोनों राज्यों में उसकी हार होती है, तो फिर 2024 के आम चुनावों के लिए उसके पास कोई संभावना नहीं बचेगी। राजस्थान में कांग्रेस की इसी चिंता का विश्लेषण कर रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत के अलावा आम आदमी पार्टी के कांग्रेस को दिये झटके की चर्चा भी हर तरफ हो रही है। राजनीतिक हलकों में आप के तेजी से बढ़ते उभार की आहट अन्य राज्यों में भी देखी जाने लगी है। दरअसल, आम आदमी पार्टी ने भाजपा के गढ़ गुजरात में इंट्री के साथ ही 12.9 फीसदी वोट हासिल कर कांग्रेस का पूरा खेल बिगाड़ दिया। वहां पिछले चुनाव में 42.2 फीसदी वोट के साथ 77 सीट हासिल करने वाली कांग्रेस सिर्फ 17 सीटों पर सिमट कर रह गयी है। आप ने दिल्ली, पंजाब और दिल्ली नगर निगम से लगातार कांग्रेस को मुकाबले से बाहर कर दिया है, जिसके बाद माना जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल आने वाले साल में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में भी मजबूती से दावा पेश करेंगे।
राजस्थान के संदर्भ में देखा जाये, तो कांग्रेस के वोट कटने का नुकसान भाजपा के लाभ के रूप में दर्ज हो सकता है, जिसके बाद राज्य में हर पांच साल के बाद सत्ता बदलने का रिवाज बरकरार रहने का परिदृश्य बनता दिख रहा है। ऐसे में भाजपा सरकार में वापसी कर सकती है। हालांकि आप ने राजस्थान को लेकर अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन कई जिलों में उसका संगठन विस्तार तेजी से हो रहा है, खासकर उन इलाकों में, जो पंजाब से सटे हुए हैं।
गुजरात की सेंध का दूरगामी असर
गुजरात में आप के कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने के बाद राजस्थान के समीकरणों पर खासा चर्चा हो रही है। गुजरात में 2022 के चुनावों में आम आदमी पार्टी को पांच सीटें मिली हैं। पार्टी को जहां 12.9 फीसदी वोट मिले हैं, वहीं 35 सीटों पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी वोट हासिल करने में दूसरे नंबर पर रहे हैं। इन सीटों पर आप और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच वोट का अंतर बेहद कम है। इससे साफ है कि यदि आप का प्रत्याशी मैदान में नहीं उतरता, तो कई सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी जीत सकते थे। हालांकि राजस्थान के विधानसभा चुनावों में आप ने कुछ खास प्रदर्शन नहीं किया है। आप को 2018 के विधानसभा चुनावों में राजस्थान में 0.4 फीसदी वोट मिले थे। वहीं अब पंजाब, दिल्ली और गुजरात के बाद लगातार आप को लेकर हवा बदल रही है।
कांग्रेस के वोट बैंक में नुकसान
राजस्थान में कांग्रेस के परंपरागत वोटरों में मुस्लिम, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोग हैं, जिसे आप अपने फ्री वाले फॉर्मूले से पूरी तरह साधने की कोशिश करेगी। आम आदमी पार्टी का फ्री मॉडल हिट भी है। इसके अलावा शहरी इलाकों में आप का दिल्ली मॉडल जनता के बीच खासा चर्चित रहा है। वहीं अरविंद केजरीवाल के लगातार हिंदुत्व को लेकर दिये बयानों से भी पार्टी को काफी फायदा होता है।
40 से अधिक सीटों पर बिगड़ सकता है खेल
आप की राजस्थान में आहट को लेकर माना जा रहा है कि पार्टी 40 से अधिक सीटों पर कांग्रेस के रास्ते में रोड़ा अटका सकती है। पंजाब में बीते दिनों आम आदमी पार्टी ने सरकार बनायी है। ऐसे में पंजाब की सीमा से लगे राजस्थान के हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर में आप को फायदा हो सकता है। इन जिलों में 18 विधानसभा सीटें हैं, जहां पार्टी इन दिनों काम कर रही है। वहीं गुजरात की सीमा से लगे आदिवासी और अनुसूचित जनजाति वाले इलाकों पर भी आप की नजर है, जहां बांसवाड़ा, सिरोही, डूंगरपुर और उदयपुर की विधानसभा सीटों पर आप कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है।
कांग्रेस का अंदरूनी कलह भी दिखायेगा असर
आप के बढ़ते असर के साथ कांग्रेस की चिंता का एक बड़ा कारण राजस्थान में उसके भीतर का कलह है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच का विवाद थम नहीं रहा है। तमाम प्रयासों के बावजूद दोनों में से कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। ऐसे में कांग्रेस को लग रहा है कि आप इस स्थिति का फायदा उठायेगी, जो स्वाभाविक भी है। कांग्रेस आलाकमान हिमाचल प्रदेश की जीत के बाद, उसमें सचिन पायलट की सफल भूमिका से प्रभावित भी दिख रही है। चर्चा जोरों पर है कि सचिन पायलट को इसका इनाम मिल सकता है।
इन तमाम परिस्थितियों के मद्देनजर अभी पूरी तरह आश्वस्त नहीं हुआ जा सकता है, क्योंकि चुनाव अभी दूर है। लेकिन कांग्रेस के अंदर राजस्थान को लेकर जो हलचल है, उससे तो यही लगता है कि पार्टी आखिरी लड़ाई के लिए मन बना रही है। कांग्रेस मान चुकी है कि यदि राजस्थान की सत्ता में उसकी वापसी नहीं हुई, तो फिर 2024 के लिए उसके पास कोई संभावना नहीं बचेगी। कांग्रेस नेता कहते हैं कि गुजरात में जरूर आप ने नुकसान पहुंचाया है, लेकिन राजस्थान में इस पार्टी का आधार नहीं है, जबकि कांग्रेस के पास यहां गहलोत-पायलट जैसे नेता हैं। वहीं आप के पास नेता के नाम पर कोई नहीं है। हर राज्य की अपनी अलग परिस्थिति होती है। इसलिए आप यहां ज्यादा वोट नहीं ले पायेगी। लेकिन राजस्थान में आप के प्रदेश प्रभारी विनय मिश्रा ने कहा कि पिछले दिनों कांग्रेस में गुटबाजी साफ तौर पर सामने आ गयी। इसके बाद हमें राजस्थान से काफी फोन आने लगे हैं। हमारे सोशल मीडिया अकाउंट पर फॉलोअर भी तेजी से बढ़े हैं। इस वक्त भाजपा और कांग्रेस दोनों में बड़ी संख्या में नेतृत्व को लेकर भारी संघर्ष की स्थिति है। इसलिए लोगों को दिख रहा है कि कांग्रेस-भाजपा में अब भविष्य नहीं बचा है। ऐसे में लोग हमारी पार्टी की तरफ रुख कर रहे हैं।
इन तमाम परिस्थितियों को देखते हुए तो यही लगता है कि आप कांग्रेस को राजस्थान में जबरदस्त नुक्सान पहुंचाने वाली है, जिसका फायदा भाजपा को मिलता दिख रहा है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आयेगा, तस्वीर और साफ होती दिखाई पड़ेगी। क्या होगी राजस्थान में कांग्रेस की रणनीति इस् पर सबकी नजर है। क्या राहुल गांधी मैदान में कूदेंगे या गायब रहेंगे, यह भी देखने वाली बात होगी। कैसे मोदी और अमित शाह की जोड़ी राजस्थान को साधेगी यह भी देखना मजेदार होगा। उम्मीद तो यही है कि राजस्थान का चुनाव मजेदार होने वाला है। पोलटिकल ड्रामा भरपूर दिखने वाला है। बयानों के तीर भी तैयार हो रहे होंगे। आरोप-प्रत्यारोप की सामाग्री भी इकट्ठी हो रही होगी। मुद्दे भी छांटे जा रहे होंगे। वैसे राजस्थान की जनता भी इस बार कमर कस कर बैठी है। गुजरात में तो मोदी की सुनामी आयी थी। इस बार देखना है कि राजस्थान में आंधी कौन लाता है।