सरकार के कमिटमेंट को जरूर पूरा किया जायेगा
रांची। झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि ठंड बढ़ रही है, लेकिन राजनीति गर्म हो रही है। राज्य सरकार विधानसभा के मौजूदा सत्र में फिर से स्थानीयता का विधेयक लायेगी। इस राज्य के लिए लड़ाई आदिवासी, मूलवासियों के लिए थी। ऐसे में उनके साथ इस सरकार के कमिटमेंट को जरूर पूरा किया जायेगा। सुप्रियो भट्टाचार्य ने शनिवार को झामुमो के केंद्रीय कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस कर राज्यपाल पर भी हमला बोला। कहा कि वर्ष 2022 में दो महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कर राज्यपाल के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया था। इसमें स्थानीयता का मुद्दा और सरना धर्म कोड की बात थी। राज्यपाल ने स्थानीयता विधेयक को ऐसे ही लौटा दिया। इसके बाद उसने अपना सवाल जरूर दर्ज करने को कहा गया। इसके बाद उन्होंने अपने सवाल, सुझाव को दशार्ते हुए भेजा, उनके भेजे गये सलाह, संदेश में कही न कहीं बहुत बड़ा एक राजनीतिक संदेश भी है। इसमें जो बातें कही गयी है, जिन संवैधानिक प्रावधान के उल्लंघन की बातें हैं, वह भ्रम फैलाने का एक शिगूफा है।
विधेयकों पर राज्यपाल मार बैठे कुंडली
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि कई राज्यों में ऐसी नीति है जहां तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियां स्थानीय के लिए तय हैं, ऐसे में यहां राज्यपाल ने पांच सालों के लिए स्थानीय को तृतीय, चतुर्थ श्रेणी में आरक्षण का प्रावधान करने और फिर इसकी समीक्षा करने की बात कर पेंच फंसाया है। सुप्रियो के मुताबिक जब हमलोग इस राज्य के लिए लड़ाई लड़ रहे थे। आदिवासियों के सम्मान की बात करते थे, ऐसे में स्थानीयता के विधेयक को 5 सालों में नहीं बांधा जायेगा, सरकार चालू सत्र में पुन: इसे लायेगी यह पूर्व में सर्व सम्मत से पारित विधेयक था। राज्यपाल ने जिस तरह से संदेश दिया है, यह तरीका ठीक नहीं। वे कई दिनों तक विधेयक पर कुंडली मार कर बैठे रहे. सरना पर भी कुंडली मारे बैठे रहे। स्थानीयता झारखंड की पहचान अस्मिता से जुड़ा मामला है। राज्य की जो परिस्थितियां हम देखते हैं, उसमें यहां का मूलवासी, आदिवासी प्रभावित होता रहा है। उन्हीं के लिए इस राज्य की लड़ाई थी। इसे कमजोर कैसे कर सकते हैं। ऐसे में लोगों के साथ कमिटमेंट को हर हाल में पूरा किया जायेगा दोबारा इस विधेयक के राजभवन जाने पर राज्यपाल को इसे पारित करने की मजबूरी होगी। सुप्रियो के मुताबिक वे पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि राज्य सरकार अपने राज्य के लोगों के अधिकार के लिए किसी भी हद तक जायेगी। तय करेगी कि यहां की नौकरियों में कोई गैर झारखंडी ना आ सके. खलियान हमारी पहचान है।