-साहिबगंज में टोल प्लाजा टेंडर विवाद से शुरू हुई जांच जा पहुंची खनन घोटाले तक
-जानिये: शराब घोटाला, टोल प्लाजा विवाद, मनरेगा घोटाला, माइनिंग घोटाला, कैश कांड, घूसकांड और मनी लांड्रिंग का एक-दूसरे से क्या है कनेक्शन
-एक-एक कर बेनकाब हो रहे अवैध खनन के किरदार

झारखंड एक बार फिर सुर्खियों में है। कारण हैं काले खेल में शामिल किरदार। ये किरदार ऐसे हैं, जिनका चेहरा देख कर लगता है कि इनका चयन उस खेल में उनकी महारत को देख कर किया गया हो। काले खेल की इस पटकथा में क्या नहीं है। राजनेताओं-अधिकारियों का समन्वय, पेशेवर अपराधियों की टीम, सत्ता गलियारे के हाई प्रोफाइल दलाल और इनका पिछलग्गू स्थानीय पुलिस प्रशासन। ये गलत को सही दर्शाने और मुद्दों से भरमाने में माहिर हैं। एक सामान्य से प्रतीत होनेवाले मामले की जांच की परतें कुछ ऐसे खुल रही हैं, जैसे प्याज के छिलके। हर परत में कुछ नया है। एक तरफ जहां सर्दियों के इस मौसम में झारखंड का तापमान लगातार गिर रहा है, वहीं दूसरी तरफ सीबीआइ, इडी, आयकर और दूसरी जांच एजेंसियों की रफ्तार हर दिन तेज हो रही है। हर दिन कुछ नये किरदारों के नाम सामने आ रहे हैं। नये-नये खेल उजागर हो रहे हैं। नयी-नयी कहानियों का पदार्पण हो रहा है। इन कहानियों के सामने आने के बाद से अब यह महसूस होने लगा है कि 22 साल में झारखंड को भ्रष्टाचार के काले खेल ने कितना खोखला किया है। इन किरदारों की जीभ पाताल तक पहुंच चुकी है। लालच इस कदर हावी है, जो झारखंड को लगातार खोखला कर रही है। सबसे ज्यादा अजूबा यहां की नौकरशाही को लेकर सामने आ रहा है। उन लोगों ने क्या-क्या प्लॉट नहीं तैयार किये हैं। जिनसे उम्मीद की जा रही थी कि वे झारखंड को विकास के पंख लगायेंगे, वे खुद काले खेल में आकंठ डूब गये। झारखंड में भ्रष्टाचार के इस काले खेल में शामिल किरदारों और कड़ियों की गुत्थी के बारे में विस्तार से बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
झारखंड में चल रहे काले खेल की जांच में जुटी इडी ने कई किरदारों को बेनकाब किया है। इनमें कई ऐसे भी हैं, जिनका नकाब जरा मोटा है। जितना मोटा नकाब, उतना गहरा रहस्य। झारखंड का साहिबगंज जिला रहस्यों से भरा है। काले खेल के रहस्यों से।
रात के सन्नाटे में धूल उड़ाते ट्रकों, गंगा नदी के ऊपर तैरते मालवाहक जहाजों और रेल मार्ग से बाहर जाते अवैध स्टोन चिप्स ने झारखंड को कितना खोखला किया है, इस रहस्य पर से पूरा परदा उठना अभी बाकी है। रहस्य तो यहां इंसानी जानों से भी जुड़ा है, जो असमय काल के शिकार हो गये और गंगा में समा गये। टोल प्लाजा टेंडर विवाद और एक मंत्री के वायरल फोन कॉल ने लालच की तलहटी में छुपे भ्रष्टाचार के काले खेल का राज खोल दिया। बरहेट के विधायक प्रतिनिधि, बड़बोले और ओवर कॉनफिडेंस की बीमारी से ग्रसित पंकज मिश्रा ने अपनी हरकतों से इडी को आश्वस्त कर दिया कि हो न हो, काले खेल की कमान इन्हीं के हाथों में है। इडी ने साहिबगंज से जुड़े अवैध माइनिंग और उनके कारोबार का पन्ना पलटना शुरू किया। पन्ना पलटते ही किरदार उभर कर सामने आने लगे। पंकज मिश्रा के साथ दाहू यादव, सुनील यादव, बच्चू यादव और वहां के डिस्ट्रिक्ट माइनिंग अफसर का पदार्पण हुआ। ये संदेह के घेरे में पाये गये। इडी रेस हुई। तह तक जाने की कोशिश करने लगी। उसे कुछ महीने भटकना पड़ा। इस दौरान पंकज मिश्रा ताव खा गये। उनकी हेकड़ी देखते ही बनती थी। बात-बात में उन्होंने सबको हड़काना शुरू किया। इडी को स्पष्ट चेतावनी दे दी कि गिरफ्तार करके दिखाओ। यहां तक कह दिया कि जिस दिन हमारे कार्यकर्ता सड़क पर उतर गये, तो भागने की जगह नहीं मिलेगी। ऐसे में आखिर तेज आवाज के सहारे अपने सच को कैसे छिपाया जा सकता था। चेतावनी के बाद इडी रेस हुई। दूसरी ओर इडी मनरेगा घोटाले की भी जांच कर रही थी। इडी के हाथ आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल तक पहुंच गये। छापा पड़ा। झारखंड चौंक गया। भ्रष्टाचारियों की लॉबी में हड़कंप मच गया। मोबाइल फोन की घंटियां बजने लगीं। कई अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने लगे। पूजा सिंघल के सीए सुमन कुमार के यहां से 19 करोड़ 31 लाख कैश बरामद हुए। पूरा शहर दंग रह गया। नोटों के बंडलों की तसवीर वायरल होने लगी। इडी ने पैसों का सोर्स खंगालना शुरू किया। पता चला कि डीएमओ स्तर के अधिकारियों ने पूजा सिंघल की खूब सेवा की है। इन पैसों में उनके द्वारा पहुंचाये गये पैसे भी शामिल थे। कड़ी से कड़ी जुड़ने लगी। जांच मनरेगा घोटाले की और तार जुड़ गया साहिबगंज अवैध माइनिंग घोटाले से। मुंबई में पेटी, झारखंड में किलो का एक ही मतलब है, यानी लाख। यह दो नंबरी लोगों की भाषा है। पैसों की हेराफेरी और मनी लांड्रिग के खेल में इस शब्द का खूब प्रयोग हुआ।
एक-एक कर जुड़ने लगीं कड़ियां
पूजा सिंघल और मनी लांड्रिंग की बात हो और प्रेम प्रकाश का नाम न आये, यह कैसे मुमकिन है। प्रेम प्रकाश को झारखंड के सबसे बड़े पावर ब्रोकर के तौर जाना जाता है।
अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग से लेकर ठेका-पट्टा मैनेज करना उसके लिए बायें हाथ का खेल हो गया था। यहां एक और नाम का जिक्र करना जरूरी है। वह नाम है कोलकाता के व्यवसायी अमित अग्रवाल का। इडी का दावा है कि अमित अग्रवाल की नजदीकियों के कारण ही आइएएस पूजा सिंघल को खनन विभाग का सचिव बनाया गया। समझा जा सकता है कि सिस्टम में इन किरदारों की जड़ें कहां तक जम गयी थीं। अब प्रेम प्रकाश का नाम आये और दर्जनों नौकरशाहों के दुलारे विशाल चौधरी का नाम न आये, यह भी कैसे मुमकिन है। सो, इडी ने उसे भी रडार पर ले लिया। नाम निशित केसरी का भी उजागर हुआ। निशित केसरी पूजा सिंघल के अलावा झारखंड के एक और वरिष्ठ आइएएस अधिकारी का काफी करीबी रहा है। उस पर आरोप है कि उसने अपनी कंस्ट्रक्शन कंपनी में बड़े पैमाने पर मनी लांड्रिंग का पैसा निवेश किया है। उधर साहिबगंज, पाकुड़ और दुमका पर इडी की विशेष नजर थी। इडी द्वारा यहां के डीएमओ की गतिविधियां संदेह के घेरे में पायी गयीं।
डीसी की जांच रिपोर्ट पर उठा सवाल
इडी की जांच ने पंकज मिश्रा, दाहू यादव और बच्चू यादव की गतिविधियों ने सिस्टम की पोल खोल दी। साहिबगंज डीसी का किरदार भी यहां उभर कर आने लगा। साहिबगंज में देर रात जब जलयान हादसा हुआ था, तब उस जलयान पर सवार कई ओवरलोडेड ट्रक गंगा में समा गये थे। उन ट्रकों में कई चालक और खलासी भी थे, जो डूब गये। यह भी एक रहस्य है कि कितनों की इस दौरान मौत हुई। गंगा की धारा गवाह है कि रात के अंधेरे में झारखंड को कैसे खोखला किया गया। मामला राज्यसभा तक उठा। तत्कालीन कमिश्नर चंद्रमोहन कश्यप ने साहिबगंज के डीसी रामनिवास यादव से इस घटना की रिपोर्ट मांगी। रिपोर्ट अधूरी पायी गयी। कमिश्नर ने सवाल खड़े किये। इडी का दावा है कि रिपोर्ट मिलने के बाद तत्कालीन कमिश्नर चंद्रमोहन कश्यप को एक फोन आता है। फोन पर पंकज मिश्रा होते हैं। वह कमिश्नर चंद्रमोहन कश्यप को कहते हैं कि रिपोर्ट पर डीसी से ज्यादा सवाल-जवाब नहीं किया जाये। वही रिपोर्ट आगे फॉरवर्ड करें, जो डीसी ने बनायी है। इस घटना से समझा जा सकता है कि पंकज मिश्रा का वहां के प्रशासन पर कितना दबदबा था। कमिश्नर चंद्रमोहन कश्यप और पंकज मिश्रा के फोन कॉल को इडी ने इंटरसेप्ट कर लिया। उन दोनों के बीच 2 जून 2022 को यह बातचीत हुई थी। इधर धीरे-धीरे इडी कड़ियों को जोड़ रही थी। छापा का सिलसिला भी जोर पकड़ रहा था। पंकज मिश्रा से लेकर प्रेम प्रकाश के यहां छापा पड़ा। करोड़ों की गड्डियों के साथ कई अवैध दस्तावेज और पैसों की हेराफेरी का मामला सामने आया। पंकज मिश्रा के खाते में करोड़ों के ट्रांजैक्शन की बात सामने आयी।
यह भी उजागर हुआ कि साहिबगंज में हिस्ट्रीशीटर दाहू यादव और बच्चू यादव पंकज मिश्रा के लिए काम करते थे। इन दोनों पर दर्जनों गंभीर केस पहले से दर्ज हैं। इडी ने पंकज मिश्रा, प्रेम प्रकाश और बच्चू यादव के खिलाफ जो चार्जशीट दायर की है, उसमे दाहू यादव उर्फ राजेश यादव का बार-बार जिक्र है। फिलहाल दाहू फरार है और बाकी के तीनों जेल में बंद। दाहू यादव साहिबगंज का नामी बदमाश रहा है। पंकज मिश्रा ने दाहू यादव का खूब इस्तेमाल किया। इसके एवज में दाहू की भी कमाई खूब फली-फूली। कहा तो यहां तक जा रहा है कि पंकज मिश्रा ने हर ट्रक पर उसका कमीशन बांध रखा था। वह पंकज मिश्रा के लिए वसूली भी करता था। वहां के व्यापारियों को डराता-धमकाता भी था। साहिबगंज के पत्थर व्यापारी और लीजधारक पंकज मिश्रा के डीलर लाइसेंस के अधीन व्यापार करने को विवश थे। खरीद-बिक्री के दौरान होनेवाले मुनाफे को पंकज मिश्रा के खाते में जमा किया जाता था। पंकज मिश्रा के एक बैंक खाते में सिर्फ भगवान स्टोन ने 4.87 करोड़ रुपये जमा किये थे। जांच में पंकज मिश्रा ने पहले तो भगवान स्टोन के मालिक भगवान भगत को पहचानने से ही इनकार कर दिया था, लेकिन बाद में पहचान लिया।
प्रतिदिन होती रही 2000 ट्रकों से अवैध ढुलाई
साहिबगंज में इडी की जांच के दौरान पाया गया कि यहां से प्रतिदिन औसतन 2000 ट्रकों से स्टोन चिप्स और बोल्डर बाहर भेजा जाता था। इनमें अवैध परिवहन भी शामिल थे। अब यहां पर टोल प्लाजा का जिक्र करना उचित होगा। जिस टोल प्लाजा टेंडर में गड़बड़ी के चलते इडी ने पंकज मिश्रा को रडार पर लिया था, वह टोल प्लाजा छह अन्य टोल प्लाजा से जुड़ा था। ये उन रास्तों पर बने थे, जहां से अवैध माइनिंग के ट्रकों को बाहर भेजा जाता था। ये सारे टोल प्लाजा पंकज मिश्रा के नियंत्रण में थे। वहीं इडी ने प्रेम प्रकाश के देश भर में फैले 17 ठिकानों पर भी छापा मारा था। यह छापा अवैध खनन और मनरेगा घोटाले में मनी लांड्रिंग के क्रम में मारा गया। प्रेम प्रकाश नेताओं और अधिकारियों का चहेता रहा है। इस छापे में प्रेम प्रकाश के यहां से दो एके 47 और 60 गोलियां भी बरामद की गयी थीं। कई अहम दस्तावेज भी इडी के हाथ लगे। बता दें कि प्रेम प्रकाश का इससे पहले की सरकार में सिक्का चलता रहा है। उस पहुंच उस समय भी शीर्ष अधिकारियों तक थी।
भाजपा सरकार में भी प्रेम प्रकाश का जलवा
भाजपा की सरकार में अंडा बेचते-बेचते प्रेम प्रकाश की इंट्री शराब व्यापार में भी हो गयी। अंडा बेचने का काम जब बंद हुआ, तो उसने शराब व्यापार में इंटी ले ली।
प्रेम प्रकाश को उस दौरान शराब की सरकारी दुकानों में मैनपावर उपलब्ध कराने का ठेका मिला। तब उसने सिर्फ अरगोड़ा की एक दुकान से 1 मार्च 2018 से 28 मार्च 2018 तक एक लाख 47 हजार 373 रुपये की महंगी शराब पी ली थी। प्रेम प्रकाश के लोग भी उसी दुकान से 31 मई 2018 से 20 जुलाई 2018 तक एक लाख 76 हजार 417 रुपये की शराब लेकर चले गये। बिक्री संबंधित लेखा में शराब लेने का तो जिक्र था, लेकिन उसके भुगतान का जिक्र नहीं था। अपराध को छिपाने के लिए स्टाक रजिस्टर में हेराफेरी की गयी थी। इसके बाद उत्पाद विभाग ने पूरे राज्य की शराब दुकानों का जायजा लिया, तो पता चला कि केवल अरगोड़ा की दुकान से ही यह हेराफेरी नहीं की गयी है, बल्कि पूरे राज्य में प्रेम प्रकाश ने अपनी पहुंच का फायदा उठा कर करीब सात करोड़ रुपये का वारा-न्यारा कर दिया था। इडी इस मामले को खंगाल रही है। प्रेम प्रकाश अपने फ्लैट्स में अकसर पार्टियां करता रहता था। इसमें कई वीआइपी भी शामिल होते थे। आरोप है कि पार्टियों में लड़कियां भी शामिल होती थीं। इन पार्टियों की बदौलत प्रेम प्रकाश ने पूरे झारखंड में अपनी पैठ बना ली। यूंही उसे सत्ता गलियारे का दलाल नहीं कहा जाता। यहां ध्यान देनेवाली बात यह है कि इडी ने झामुमो के पूर्व कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल से मई महीने में ही पूछताछ कर ली थी। कहा जा रहा है कि उस पूछताछ ने इडी को कई महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध करायीं। उसी पूछताछ में रवि केजरीवाल ने अमित अग्रवाल और पंकज मिश्रा का राज उगला। जाहिर है, इडी ने उसके हिसाब से भी रणनीति बनायी होगी। उधर नेताओं और नौकरशाहों का चहेता विशाल चौधरी अपनी पत्नी संग बैंकॉक भागने वाला था। उस पर इडी ने पहले ही लुक आउट नोटिस जारी किया था। उसे विदेश जाने की मनाही थी। विशाल चौधरी पर आरोप है कि उसने अवैध खनन से नेताओं और नौकरशाहों तक पहुंचने वाले काले धन का निवेश किया। पूर्व में विशाल चौधरी के ठिकानों पर हुई इडी की छापेमारी में करोड़ों के लेनदेन से संबंधित दस्तावेज मिले थे।
सात मामलों का क्या है कनेक्शन, खंगाल रही है इडी
वहीं मौका पाकर घूसकांड मामले में इडी ने अमित अग्रवाल को भी लपेटे में ले लिया। कैश दो, पीआइएल मैनेज करो कांड में। पूछताछ के बाद इडी ने अमित अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया। राहत के लिए अग्रवाल सुप्रीम कोर्ट तक गये, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कहा। सुनवाई के दौरान जेल में बंद अमित अग्रवाल को हाइकोर्ट ने करारा झटका दे दिया। उनका केस अब सीबीआइ देखेगी। उधर एक और चर्चित कैश कांड को इडी ने टेकओवर कर लिया है। वही कैश कांड, जिसमें कांग्रेस के तीन विधायक इरफान अंसारी, नमन विक्सल कोंगाड़ी और राजेश कच्छप 50 लाख कैश के साथ कोलकाता में गिरफ्तार हुए थे।
कांग्रेस के बेरमो विधायक जयमंगल उर्फ अनूप सिंह ने इन तीनों विधायकों पर रांची के अरगोड़ा थाने में जीरो एफआइआर किया था। आरोप लगाया कि कांग्रेस के इन तीनों विधायकों की मंशा मौजूदा हेमंत सरकार को गिराने की थी। इडी की टीम अरगोड़ा थाना पहुंच गयी। उसने जीरो एफआइआर की कॉपी ले ली। उसके बाद वह रांची कोतवाली थाने से भी एफआइआर की कॉपी ले गयी है। दोनों एफआइआर अनूप सिंह ने सरकार गिराने की साजिश को लेकर की थी। जाहिर है, इडी अनूप सिंह और तीनों विधायकों से पूछताछ करेगी। राज खुलेंगे। कड़ियां जुड़ेंगी। पैसे किसके थे, वह भी सामने आयेगा। कोलकाता में ही पैसे क्यों धराये वह भी गुत्थी खुलेगी। अमित अग्रवाल का झारखंड की राजनीति में क्या प्रभाव है, वह भी सामने आयेगा। क्या है शराब घोटाला, टोल प्लाजा विवाद, मनरेगा घोटाला, माइनिंग घोटाला, कैश कांड, घूस कांड और मनी लॉन्ड्रिंग का एक दूसरे से कनेक्शन इसे समझने के लिए कुछ दिन और इंतजार करना होगा। इडी और सीबीआइ के अगले कदम का इंतजार करना होगा।

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