रांची । झारखंड सरकार ने सरकारी भूमि हस्तांतरण नीति 2023 लागू कर दिया है। राजस्व भूमि सुधार विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दिया है। नये सिरे से लीज रेंट भी तय किया गया है। भूमि के लीज बंदोबस्ती के लिए पूरी प्रक्रिया निर्धारित की गयी है। लीज पर जो भूमि दी गयी है उसमें अगले पांच साल के भीतर वह कार्य लीजधारकों को करना होगा, अगर किसी कारणवश लीजधारक अपना कार्य पूरा नहीं कर पाता है तो संबंधित जिले के उपायुक्त इसकी समीक्षा करेंगे। डीसी की अनुशंसा पर अब दो साल का अधिकतम अवधि विस्तार उस कार्य के लिए भू-राजस्व विभाग दे सकेगा।
अब उचित कारण बता अधिकतम 7 सालों के लिए जमीन पर विकास कार्य करने या प्लाट इत्यादि स्थापित करने का लीजधारकों को समय मिलेगा। पहले पांच साल में योजना जमीन पर नहीं उतरी तो भू-वापसी होती थी। सारी स्थिति ठीक रही तो लीज नवीकरण भी किया जायेगा। नवीकरण का आवेदन नहीं देने पर जमीन वापस ली जायेगी।
नयी नीति के तहत लीज पर दी गयी
भूमि पर सबलीज दिये जाने के पहले कैबिनेट की स्वीकृति लेनी होगी। सरकारी भूमि पर लीजधारक द्वारा थर्ड पार्टी राइट क्रिये जाने के लिए भी कैबिनेट की स्वीकृति ली जायेगी। निजी कंपनियों को सामाजिक कार्यों के लिए भी जमीन दी जा सकेगी। धार्मिक कार्यों के लिए भी जमीन देने के लिए स्पष्ट नीति बनी है।

बता दें कि राज्य में वर्तमान में गैरमजरूआ भूमि के लीज बंदोबस्ती, स्थानांतरण के लिए कई संकल्प, परिपत्र जारी किये गये हैं, लेकिन उक्त परिपत्रों के कार्यान्वयन में कई कठिनाइयां आ रही थीं। सीएम के निर्देश पर उपरोक्त कठिनाई को दूर करने के लिए अध्यक्ष, निदेशक भू-अर्जन, भू-अभि लेख एवं परिमाप निदेशालय की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय कमेटी गठित की गयी थी। इस कमेटी में अपर सचिव उद्योग, उप सचिव वित्त, अवर सचिव राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग को सदस्य बनाया गया था।
समिति द्वारा झारखंड, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, हरियाणा, महाराष्ट्रा, मध्यप्रदेश, बिहार एवं छत्तीसगढ़ राज्यों की नीति का अध्ययन किया गया जिसकी रिपोर्ट सरकार को 20 अक्टूबर 2023 को समर्पित कर दी गयी।
जारी अधिसूचना के अनुसार लीज के तहत ली गयी जमीन स्थायी रूप से हस्तांतरण के तहत अगर एक एकड़ हो तो एक लाख रुपये रेंट व अन्य लगान, सेस इत्यादि को मिलाकर 4 लाख छह हजार रुपये लिये जायेंगे। 30 वर्षों के लिए जमीन ली गयी है तो एक एकड़ भूमि के लिए 1.52 लाख रुपये, 99 वर्ष के लीज के लिए प्रति एकड़ 2.73 लाख रुपये लिया जायेगा। जिले के उपायुक्त की अनुशंसा पर मंत्री की सहमति लेते हुए सरकार से लीज बंदोबस्ती की मंजूरी लेनी होगी।
इस तरह की नीति सामान्यता: लीज की बंदोबस्ती 30 वर्षों के लिए होगी। अपवाद स्वरूप अधिकतम 99 वर्षों तक की जा सकेगी। झारखंड सरकार के विभिन्न विभागों, संस्था, उपक्रम को नि:शुल्क स्थायी हस्तांतरण होगा।
भारत सरकार के संस्था एवं उनके विभिन्न उपक्रमों को अपवाद स्वरूप स्थायी हस्तांरण किया जायेगा। इन्हें छोड्कर अन्य निजी संस्थान, प्रतिष्ठान, कंपनी को सरकारी भूमि की स्थायी हस्तांतरण नहीं किया जायेगा। सरकारी भूमि, गैर मजरूआ आम भूमि को छोड़कर निम्न के साथ किया जायेगा।
झारखंड सरकार के विभिन्न विभागों, संस्थान, उपक्रम, भारत सरकार के विभिन्न संस्थ एवं उपक्रम, अन्य किसी राज्य सरकार के संस्था एवं उपक्रम, निजी संस्था द्वारा सामाजिक कार्य यथा स्वास्थ्य, शैक्षणिक संवाएं उपलब्ध कराने के लिए औद्योगिक, खनन कार्य के लिए निजी संस्था द्वारा सामाजिक कार्य तथा स्वास्थ्य सेवाएं, शेक्षणिक सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए तथा औद्योगिक, खनन कार्य छोड़कर अन्य कार्यो के निमित लीज बंदोबस्ती केवल तब किया जाये जब सरकारी भूमि उक्त संस्थान के प्रोजेक्ट की भूमि में समाविष्ट हो एवं उक्त सरकारी भूमि का क्षेत्रफर उक्त संस्थान के प्रोजेक्ट भूमि में समाविष्ट हो एवं उक्त समाविष्ट सरकारी भूमि म का क्षेत्रफल संस्थान के प्रोजेट की कुल भूमि के क्षेत्रफल का 20 प्रतिशत से अधिक न हो एवं उक्त संस्थान के द्वारा परियोजना से संबंधित गैर सरकारी भूमि का क्रय कर लिया गया हो तथा इसके प्रमाण के साथ ही समाविष्ट सरकारी भूमि के लीज बंदोबस्ती का प्रस्ताव संस्थान द्वारा दिया गया हो। जंगल झाड़ी किस्म की भूमि के हस्तांतरण के क्रम में वन संबंधित विभिन्न एक्ट, नियम का अनुपालन किया जाना चाहिए। भूमि पर भवन हो तो उसकी राशि जमा की जानी चाहिए।

ये कठिनाई थी
वर्तमान में 30 वर्षों की अवधि के लिए लीज बंदोबस्ती की प्रक्रिया निर्धारित है तथा 30 वर्षों से अधिक अवधि के लिए स्पष्ट प्रावधान नहीं है।

वर्तमान में लीज अवधि पूर्ण होने के बाद लीज नवीकरण की प्रक्रिया एवं शर्तों का निर्धारण 15 अक्टूबर 2003 के आलोक में किया जाता है। लीज बंदोबस्ती के शर्तों का अनुपालन न होने की स्थिति में संबंधित भूमि की वापसी के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं है। नॉन प्रोफिटेबल, चैरीटेबल, धार्मिक संस्थानों को परिभाषित नहीं किया गया है। सरकारी भूमि के हस्तांतरण के लिए वर्तमान में बिना राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के अनुमोदन के जिलों में राशि जमा की जाती है।

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