-स्कूल-कॉलेजों के युवा सबसे ज्यादा प्रभावित, पुलिस बेफिक्र
रांची। सूखे नशे ने लोगों का सुख चैन तो छीन ही लिया है। अब लोगों के वंश और नस्लों पर भी बन आयी है। शराब के बाद सूखा नशा युवाओं की नसों में इस कदर दौड़ने लगा है कि परिवार के परिवार बर्बादी के कगार पर पहुंच गये हैं। राजधानी रांची भी अब इससे अछूता नहीं रहा है। रांची के चौक-चौराहों से लेकर गलियों तक में सस्ते और सुलभ नशे का कारोबार फल-फूल रहा है। शहर में चाय की टपरी की आड़ में युवाओं को हरी और सफेद पुड़ियों में गांजा और ब्राउन सुगर परोसा रहा है। सब कुछ स्पष्ट होते हुए भी पुलिस मौन है। सस्ते और सुलभ नशे का कारोबार सिर चढ़कर बोल रहा है। सूखे नशे की लत में युवाओं का भविष्य अंधकार में पहुंच रहा है और आबकारी और पुलिस इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है। शहर में चाय की बिक्री की आड़ में युवाओं को हरी और सफेद पुड़ियों में गांजा और ब्राउन सुगर परोसा जा रहा है। नशे की ऐसी लत लग चुकी है कि सुबह से ही स्कूल और कालेजों के युवा पान की दुकानों पर परिक्रमा करते नजर आते हैं। सब कुछ स्पष्ट होते हुए भी पुलिस चुप्पी साधे हुए है।
चाय की दुकानों पर खुलेआम सप्लाई
धूम्रपान, चरस, गांंजा, चरस और ब्राउन सुगर का कारोबार खूब फल-फूल रहा है। स्कूल-कालेजों के सामने थैले में पुड़िया रखकर नशा कारोबारी धूमते नजर आते हैं। युवाओं को गांजा की पुड़िया 80 रुपये और ब्राउन सुगर 300 रुपये में 10 ग्राम मुहैया करा दी जाती है।
ब्रेड पर विक्स और हाथों में इंजेक्शन
युवाओं को सूखे नशे की ऐसी लत लग चुकी है कि स्मैक, चरस और ब्राउन सुगर-गांजा बेअसर होने के बाद अब युवा घातक नशा करके जीवन को भी संकट में डाल रहे हैं। नशेड़ी युवा अब ब्रेड पर विक्स लगाकर उसमें स्मैक मिलाकर और साथ में इंजेक्शन लगाते हैं। इससे करीब आठ घंटे तक नशे का असर रहता है। नशीली टेबलेट मेडिकल स्टोर पर आसानी से मुहैया हो रही है।