नई दिल्ली । उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को राज्यसभा में हरित क्रांति के जनक प्रो. एम.एस. स्वामीनाथन को श्रद्धांजलि अर्पित की।

संसद सत्र के पहले दिन राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा,”उनके योगदान से भारत को सूखाग्रस्त, खाद्य आयातक देश से उठ कर खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर घोषित होने में मदद मिली।”

उल्लेखनीय है कि प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक और भारत की हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले एम.एस. स्वामीनाथन का 98 वर्ष की आयु में इस साल 28 सितंबर को चेन्नई में निधन हो गया। स्वामीनाथन भारत में कृषि क्षेत्र में 1960 के दशक में शुरू हुए सुधार के प्रमुख वास्तुकार थे। जब 1965 और 1966 में सूखे ने कृषि को प्रभावित किया और देश में खाद्य संकट पैदा हो गया, तो कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने बड़े पैमाने पर भुखमरी की स्थिति की भविष्यवाणी की। इसके बाद के वर्षों में स्वामीनाथन ने वैज्ञानिक नवाचार और प्रशासनिक कौशल के साथ भारत को बड़े पैमाने पर आयातक से खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर राष्ट्र में बदल दिया।

स्वामीनाथन ने उस समिति का भी नेतृत्व किया जिसने किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य उत्पादन की भारित औसत लागत का 50 प्रतिशत करने की सिफारिश की थी। स्वामीनाथन को भारत की हरित क्रांति का नेतृत्व करने के लिए प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार, पद्म विभूषण और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार के अलावा कई अन्य राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।

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