प्रशांत झा
‘… बोलो टूटे तारों पर, कब अंबर शोक मनाता है, जो बीत गयी सो बात गयी।’ हरिवंश राय बच्चन की यह कविता जीवन के लिए सटीक है। जी हां, वर्ष 2023 बीत गया। अब उस पर शोक और खुशी मनाने से क्या होगा। नया वर्ष 2024 आ गया। आज संकल्प का दिन है। आज स्वागत का दिन है। आज खुशियों का दिन है। हम सभी इसका स्वागत करते हैं। बीते वर्ष से शिक्षा लेते हैं और आगे वढ़ते हैं। झारखंड के लिए वर्ष 2024 महत्वपूर्ण है। इस वर्ष सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक सभी क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटित होनी तय है। हम कामना कर सकते हैं कि ये सभी राज्य को बेहतरी की ओर ले जायें, जिससे राज्यवासी प्रगति की ओर बढ़ें।
2023 राजनीतिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण वर्ष रहा। झारखंड ने अपने गठन का 23 साल पूरा किया। हेमंत सरकार ने देखते-देखते चार साल पूरे कर लिये। विधायक कैश कांड, मुख्यमंत्री को इडी समन, राजभवन में चुनाव आयोग का लिफाफा मामला, भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के रूप में मिलना, पांचवीं विधानसभा में चार साल बाद अमर कुमार बाउरी के रूप में विपक्ष का नेता मिलना, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का ओड़िशा का राज्यपाल बनना, पूर्व शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का निधन और उनकी पत्नी बेबी देवी का मंत्री बनना समेत कई राजनीतिक घटनाएं चर्चित रहीं। वहीं, भूमि घोटाला, अवैध खनन घोटाला समेत अन्य मामलों का इडी ने राज खोला। सांसद धीरज साहू के यहां आयकर छापा जैसी घटनाएं सुर्खियों में रहीं। इसने सामाजिक तान-बाना पर प्रभाव डाला। उधर, ऐसी कोई सरकार नहीं होती जो काम नहीं करती। कम या ज्यादा कुछ न कुछ समाज में जुड़ता ही है। हेमंत सरकार ने भी चार साल में राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, समाजिक सुरक्षा हर क्षेत्र में कुछ न कुछ जोड़ने का प्रयास किया। अबुआ आवास योजना, सावित्री बाई फुले योजना, छात्रवृति योजना, पेंशन समेत कई जनहित के कदम उठाये।
कहते हैं, जो बोआ है, वह काटना तो होगा ही। वर्ष 2023 की इन सभी घटनाओं का असर 2024 में तो दिखेगा इससे इंकार नहीं किया जा सकता। इससे इतर वर्ष 2024 में कई नये आयाम जुड़ने के द्वार खुल रहे हैं। अप्रैल-मई में लोकसभा का चुनाव होगा। झारखंड में 14 सीटें हैं। भाजपा-आजसू (एनडीए) के पास 12 सीटें हैं और कांग्रेस-झामुमो (आइएनडीआइए) के पास एक-एक सीट। फिलहाल दोनों गठबंधन तैयारी में जुटी है। इस चुनाव के खत्म होने और केंद्र में सरकार बनने के कुछ महीने बाद अक्टूबर-नवंबर में झारखंड विधानसभा का चुनाव होगा। राज्य में 81 सीटें हैं। इसके लिए राजनीतिक दलों के बीच रस्साकसी शुरू हो जायेगी। यानी यह पूरा वर्ष चुनाव और सरकार गठन के नाम ही रहेगा। लिहाजा यह वर्ष महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस वर्ष जो हम बोयेंगे, वह फसल अगले पांच साल काटनी होगी।