रांची। राज्य सरकार ने झारखंड प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारियों की अंतिम वरीयता सूची जारी कर दी है। 925 पदाधिकारियों की सूची जारी की गयी है जो बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 के अधीन अंतिम संवर्ग विभाजन के बाद पारस्परिक एवं एकल आधार पर स्थानांतरण के बाद झारखंड प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारियों झारखंड लोकसेवा आयोग द्वारा अनुशंसित तथा नियुक्त पदाधिकारियों को छोड़कर अंतिम वरीयता सूची जारी की गयी है।
यानि इनमें वैसे पदाधिकारी हैं जो बिहार लोकसेवा आयोग के अनुशंसा से नियुक्त हुए थे और झारखंड गठन के बाद पारस्परिक या एकल आधार पर स्थांतरित होकर झारखंड आये थे। कार्मिक विभाग ने एक संकल्प पूर्व में जारी किया था और इसमें म्यूचल ट्रांसफर कराके आने वाले पदाधिकारी की वरीयता उस वक्त राज्य में कार्यरत पदाधिकारियों के समान ही तय की गयी थी।
ऐसे में झारखंड सचिवालय सेवा के पदाधिकारी संजय कुमार ने हाइकोर्ट में एक वाद दायर किया था और झासस के अलावा वैसे सभी सेवा के पदाधिकारी जो म्यूचल ट्रांसफर या एकल ट्रांसफर आये थे उनकी वरीयता पर सवाल खड़ा किया था। मामले पर 8 दिसंबर 2020 को आदेश पारित हुआ और इसी आलोक में नये सिरे से वरीयता निर्धारण के लिए आपत्ति ली गयी। कार्मिक के पुराने संकल्प को विलोपित किया गया। आपत्तियों के निराकरण के बाद अंतिम वरीयता सूची जारी की गयी है। अब ये पदाधिकारी झारखंड में नियुक्त वरीय पदाधिकारियों से न्यून वरीयता में रहेंगे। हालांकि, इनमें अधिकारी अभी प्रमोशन पाकर उच्च पदों पर काबिज हैं।