कोलकाता। कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा (एनएससीबीआई) अपने 100 साल पूरे होने का जश्न मनाने जा रहा है। यह हवाईअड्डा, जिसे पहले दमदम एयरपोर्ट के नाम से जाना जाता था, 1924 में शुरू हुआ था।

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) के प्रवक्ता राजेश कुमार ने सोमवार को “हिन्दुस्थान समाचार” को बताया कि दिसंबर के तीसरे हफ्ते से शुरू होकर मार्च 2025 तक चलने वाले इस कार्यक्रम में कई खास आयोजन होंगे। 100 शानदार वर्षों का जश्न मनाते हुए, कोलकाता एयरपोर्ट पश्चिम बंगाल की आत्मा और दुनिया को जोड़ने वाला गेटवे बना रहा। यह हवाईअड्डा इतिहास, संस्कृति और आधुनिकता का प्रतीक है।”

इस मौके पर ऐतिहासिक प्रदर्शनियां, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पैनल चर्चाएं और हस्ताक्षर अभियान आयोजित किए जाएंगे। इस कार्यक्रम में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री किंजरापु राम मोहन नायडू और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शामिल होने की संभावना है।

एयरपोर्ट का ऐतिहासिक सफर
कोलकाता एयरपोर्ट की शुरुआत 1900 के दशक की शुरुआत में कलकत्ता एरोड्रम के रूप में हुई थी। 1924 में केएलएम एयरलाइंस की फ्लाइट्स यहां नियमित रूप से उतरने लगीं। इसी साल दो मई को फ्रांस के पायलट दोइस का आगमन और 14 नवंबर को रात में पहली फ्लाइट की टॉर्चलाइट में लैंडिंग हुई।

ब्रिटिश शासन के दौरान यह एयरपोर्ट उत्तरी अमेरिका, यूरोप और एशिया को जोड़ने वाला एक अहम पड़ाव था। 1929 में बंगाल फ्लाइंग क्लब की स्थापना ने इसे और खास बना दिया।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह हवाईअड्डा व्यावसायिक उड़ानों के लिए एक प्रमुख गंतव्य बना। 1940-60 के दशक में एयर फ्रांस, एयरोफ्लोट और पैन एम जैसी एयरलाइंस के लिए यह एक प्रमुख ठहराव स्थल था।

1990 के दशक में इसका नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा रखा गया और इसके आधुनिकीकरण की शुरुआत हुई। 2013 में नए टर्मिनल के उद्घाटन के बाद यह भारत आने-जाने के लिए एक प्रमुख द्वार बन गया।

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