काठमांडू। नेपाली कांग्रेस ने केवल बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत चीन की परियोजनाओं से संबंधित समझौतों में किसी भी कीमत पर ऋण स्वीकार न करने का ऐलान किया है। सोमवार को पार्टी की केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक में पार्टी ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि बीआरआई को लेकर पार्टी की नीतियों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की चीन यात्रा के दौरान नेपाल ने चीन के बीआरआई कार्यान्वयन को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। नेपाल ने चीन की आपत्ति के बाद समझौते के दस्तावेज से ‘अनुदान’ शब्द को हटाकर सिर्फ आर्थिक सहायता कर दी है, जिसको लेकर नेपाली कांग्रेस के भीतर काफी असंतुष्टि है। कई नेताओं ने सार्वजनिक रूप से इसका विरोध किया है। बीआरआई को लेकर पार्टी के भीतर विरोध बढ़ने के बाद बैठक कर इस बात को स्पष्ट कर दिया गया है।

केंद्रीय कार्य समिति की बैठक के बाद कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. प्रकाश शरण महत ने बताया कि बीआरआई के तहत जिन परियोजना का चयन किया जाएगा उस पर आर्थिक सहयोग को लेकर फिर से समझौता करने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने तय किया है कि किसी भी परियोजना में ऋण लेकर उसे आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। महत ने कहा कि स्वयं प्रधानमंत्री ओली ने चीन से लौटते ही विमानस्थल पर ऋण के नहीं, बल्कि अनुदान में समझौता होने की बात कही है। इसलिए उन पर भरोसा कर इस विवाद को आगे नहीं बढ़ाने की बात तय की गई है।

उन्होंने कहा कि बीआरआई पर समझौता के बाद प्रत्येक परियोजना के लिए अलग-अलग समझौतों की आवश्यकता होगी। नेपाल केवल अनुदान आधारित योजनाओं को स्वीकार करेगा, न कि ऋण के आधार पर। उन्होंने यह भी कहा कि नेपाल किसी भी देश या दाता एजेंसी से ऋण स्वीकार करने की स्थिति में नहीं है, पोखरा हवाई अड्डे के उदाहरण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि एक बार पहले नेपाल चीन के ऋण जाल में फंस चुका है। पोखरा एयरपोर्ट निर्माण का चीन से ऋण लेकर किया गया है, जिसका ब्याज भी चुका पाने की अवस्था में नेपाल नहीं है।

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