रांची। मात्र 200 के लिए की गयी 31 साल पूर्व की गयी हत्या के चार सजायाफ्ता किशुन पंडित, जमादार पंडित, लखन पंडित एवं लक्खी पंडित (इनमें से लखन पंडित की पूर्व में ही मृत्यु हो चुकी है) की सजा से मुक्ति का आदेश झारखंड हाइकोर्ट ने दिया है। हाइकोर्ट की खंडपीठ ने हत्या के मामले में चारों अभियुक्त की अपील पर फैसला सुनाते हुए उनकी आजीवन कारावास की सजा को रद्द करते हुए उन्हें मुक्त करने का आदेश दिया है। खंडपीठ ने चश्मदीद गवाह मृतक के पुत्र के बयान को नहीं माना। पूर्व में हाइकोर्ट ने उनकी अपील पर सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रखा था। जिस पर हाइकोर्ट का अब फैसला आया है।

दरअसल तीन सितंबर 1993 में देवघर के जसीडीह थाना क्षेत्र में नन्नू लाल महतो की हत्या हुई थी। इस मामले में देवघर के निचले अदालत ने 6 जून 1997 को चार आरोपियों लखन पंडित, जमादार पंडित, लक्खी पंडित एवं किशुन पंडित को आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी। इसके बाद इनकी ओर से सजा के खिलाफ पटना हाइकोर्ट में अपील दाखिल की गयी थी। वर्ष 1997 में इन चारों अभियुक्तों को पटना हाइकोर्ट से जमानत मिली थी। बाद में झारखंड गठन के बाद यह मामला झारखंड हाइकोर्ट में ट्रांसफर हुआ था। इस दौरान अपीलकर्ता की ओर से किसी अधिवक्ता ने पैरवी नहीं की थी। जिससे 24 साल तक किया मामला लंबित रहा था। झारखंड हाइकोर्ट ने नवंबर 2024 में इस मामले में एमिकस क्यूरी नियुक्त किया, इसके बाद मामले में बहस हुई थी। हाइकोर्ट की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था।

घटना के संबंध में बताया जाता है कि लखन पंडित ने नुनु लाल महतो से 200 रुपये यह कहते हुए उधार लिया था कि खेती में उसके खेत पर काम कर वह पैसा लौटा देगा। लेकिन लखन पंडित ने खेती में काम में योगदान नहीं दिया और न ही नुनु लाल महतो का पैसा लौटाया। इसके बाद 3 सितंबर 1993 को नुनु लाल लखन पंडित के गांव बिस्वरिया उससे पैसा वापस मांगने रात 6:00 बजे गया था। लेकिन वह घर नहीं लौटा था। इसके बाद उसके परिजन खोजने बिस्वरिया गांव पहुंचे। जहां नुनु लाल के बेटे भैरव महतो ने देखा कि उसके पिता को लखन पंडित सहित अन्य आरोपी घेर कर रखे हुए, वे टांगी और लाठी से लैस थे। उन्होंने नुनु लाल महतो की पिटाई की थी, जिससे वे अचेत हो गये थे। नुनु लाल महतो के बेटे भैरव महतो को भी उनकी ओर से जान से मारने की धमकी दी थी, जिसके बाद वे वहां से भाग गये। बाद में दूसरे दिन एक दूसरे गांव में नन्नू लाल महतो की लाश मिली थी।

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