रांची। बैंक अधिकारी बनकर करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले अपराधियों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सजायफ्ता गणेश मंडल, संतोष मंडल और अंकुश कुमार मंडल की सजा के खिलाफ क्रिमिनल अपील पर सुनवाई झारखंड हाइकोर्ट में हुई। मामले में तीनों अभियुक्तों की ओर से जमानत के लिए दायर हस्तक्षेप याचिका (आइए) को कोर्ट ने सुना। हाइकोर्ट की एकल पीठ ने इन तीनों सजायफ्ता की सजा को निलंबित रखते हुए उन्हें सशर्त जमानत प्रदान कर दी है। जमानत की शर्त के तहत उन्हें प्रति माह संबंधित थाने में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी। इनका जमानतदार उसी गांव का होगा जिसकी उस जिले में अचल संपत्ति है। कोर्ट ने इडी को छूट दी है कि अगर इन तीनों की इसी तरह की क्राइम में फिर से संलिप्त पाती है तो इडी इनकी जमानत खारिज करने के लिए दुबारा अदालत आ सकती है। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अमित कुमार ने पक्ष रखा। वही इडी की ओर से अधिवक्ता एके दास एवं सौरव कुमार ने पैरवी की।

बता दें कि रांची के पीएमएलए के विशेष अदालत ने जुलाई 2024 में मामले में 5 आरोपियों गणेश मंडल, संतोष मंडल, प्रदीप मंडल, पिंटू मंडल, अंकुश कुमार मंडल को 5-5 साल की सश्रम कैद की सजा सुनायी थी। साथ ही उन पर ढाई-ढाई लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। गणेश मंडल, संतोष मंडल ने पीएमएलए कोर्ट द्वारा सुनाई गयी सजा को हाइकोर्ट में चुनौती दी है। दरअसल, ये सभी अभियुक्त जामताड़ा जिले के नारायणपुर थाना क्षेत्र के मिरगा गांव निवासी हैं। इन आरोपियों पर फर्जी पते पर सिम कार्ड लेने और बैंक अधिकारी बनकर लोगों को कॉल करके साइबर अपराध करने का आरोप है। मामले में इडी की ओर से 24 गवाहों को प्रस्तुत किया था। साथ ही काफी संख्या में दस्तावेज को चिह्नित कराया गया है। इडी ने साइबर अपराध के किसी मामले में पहली बार छह अगस्त 2018 को मनी लाउंड्रिंग के तहत मामला दर्ज किया था। जांच पूरी करते हुए इडी ने 27 मई 2019 को पांचों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। मामले में पांचों आरोपियों के खिलाफ 13 दिसंबर 2019 को आरोप गठित किया गया था।

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