-राज्यपाल ने दिया नैतिक मूल्यों और सामाजिक दायित्व का संदेश
पूर्वी सिंहभूम। दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों की वर्षों की मेहनत, अनुशासन और दृढ़ संकल्प का प्रतीक होता है। यह केवल डिग्री प्राप्त करने का अवसर नहीं, बल्कि जीवन के एक नए चरण में प्रवेश का संकेत भी है। झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने बुधवार को जमशेदपुर स्थित श्रीनाथ विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए ये बातें कही।

राज्यपाल ने अपने संबोधन के दौरान विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अपने जीवन में ज्ञान के साथ-साथ नैतिक मूल्यों, संवेदनशीलता और सामाजिक दायित्व को भी समान रूप से महत्व दें। रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार प्राप्त करना नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक का निर्माण करना भी है। विद्यार्थियों को चाहिए कि वे समाज और राष्ट्र के विकास में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएं। राज्यपाल ने राज्य में स्थापित निजी विश्वविद्यालयों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का पूर्णतः पालन करें। साथ ही विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराएं और अकादमिक अनुशासन को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय प्रबंधन से सक्रिय एवं प्रभावी प्लेसमेंट व्यवस्था विकसित करने पर विशेष बल दिया, ताकि अधिक से अधिक विद्यार्थियों को बेहतर रोजगार के अवसर मिल सकें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को शिक्षा, उद्योग और समाज के बीच एक सशक्त सेतु के रूप में कार्य करना चाहिए, जिससे विद्यार्थियों को व्यावहारिक ज्ञान के साथ उद्योग जगत की आवश्यकताओं के अनुरूप कौशल प्राप्त हो सके। इसके साथ ही राज्यपाल ने विश्वविद्यालय द्वारा सामाजिक दायित्वों के निर्वहन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर एवं प्रतिभावान विद्यार्थियों को सहयोग प्रदान करने तथा विश्वविद्यालय के आसपास के क्षेत्रों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में सक्रिय सहभागिता करने का आह्वान किया।

राज्यपाल ने ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति–2020’ के उद्देश्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों को नवाचार, कौशल विकास और आत्मनिर्भरता से जुड़ी शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य विद्यार्थियों को केवल डिग्रीधारी नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर, सृजनशील और समाज के प्रति उत्तरदायी बनाना है। समारोह में बड़ी संख्या में विद्यार्थी, शिक्षक, विश्वविद्यालय के अधिकारी और अभिभावक उपस्थित रहे। दीक्षांत समारोह के दौरान विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की गईं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की गई।

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