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    Home»देश»कश्मीरियों और फौजियों की तरह मैंने अपनों को खोने का दर्द सहा: राहुल
    देश

    कश्मीरियों और फौजियों की तरह मैंने अपनों को खोने का दर्द सहा: राहुल

    राहुल की भारत जोड़ो यात्रा का श्रीनगर में हुआ समापन
    adminBy adminJanuary 30, 2023No Comments4 Mins Read
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    श्रीनगर। भारी बर्फबारी के बीच राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा सोमवार को श्रीनगर में खत्म हो गयी। यह 145 दिन पहले 7 सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू हुई थी। राहुल ने क्लोजिंग सेरेमनी के दौरान शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में 35 मिनट तक लंबी स्पीच दी। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और आरएसएस का जिक्र किया और भाजपा पर हमला बोला।
    राहुल ने कहा कि मैं अब जम्मू-कश्मीर के लोगों से और सेना-सुरक्षा बलों से कुछ कहना चाहता हूं। मैं हिंसा को समझता हूं। मैंने हिंसा सही है, देखी है। जिसने हिंसा नहीं देखी है, उसे यह बात समझ नहीं आयेगी। जैसे मोदीजी हैं, अमित शाहजी हैं, संघ के लोग हैं, उन्होंने हिंसा नहीं देखी है। डरते हैं। यहां पर हम चार दिन पैदल चले। गारंटी देता हूं कि भाजपा का कोई नेता ऐसे नहीं चल सकता है। इसलिए नहीं कि जम्मू-कश्मीर के लोग उन्हें चलने नहीं देंगे, इसलिए क्योंकि वे डरते हैं। कश्मीरियों और फौजियों की तरह मैंने अपनों को खोने का दर्द सहा है। मोदी-शाह यह दर्द नहीं समझ सकते।
    भारी बर्फबारी के बीच कार्यकर्ता जमे रहे
    श्रीनगर में सुबह में भारी बर्फबारी हुई। इसके बाद भी कार्यकर्ताओं का उत्साह कम नहीं हुआ। सुबह से कार्यालय के बाहर कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ देखी गयी। उधर, राहुल यहां भी अलग रंग में दिखे। उन्होंने बहन प्रियंका के साथ बर्फबारी का लुत्फ उठाया। दोनों एक-दूसरे पर बर्फ उछालते नजर आये।
    आसान लगा, लेकिन था मुश्किल:
    राहुल ने कहा कि मुझे थोड़ा अहंकार था, उतर गया। मैं कन्याकुमारी से चला था। पूरे देश में चले हम लोग। सच बताऊं तो मुझे लगा कन्याकुमारी से कश्मीर चलने में मुश्किल नहीं होगी। फिजिकली ये काम मुश्किल नहीं होगा। ये मैंने सोचा था। शायद मैं काफी वर्जिश करता हूं, इसलिए थोड़ा सा अहंकार आ गया, जैसे आ जाता है। मगर फिर बात बदल गयी। पांच-सात दिन चलने के बाद जबरदस्त प्रॉब्लम हुई थी। थोड़ा अहंकार उतर गया। मैं सोचने लगा कि जो 3500 किलोमीटर हैं, उन्हें चल पाऊंगा कि नहीं। मुझे जो आसान काम लगा, वह काफी मुश्किल हो गया। किसी न किसी तरह से मैंने ये काम पूरा कर लिया।
    इस टी-शर्ट का रंग, लाल कर दो:
    राहुल ने कहा कि मैं जम्मू से कश्मीर जा रहा था, तब मेरी सुरक्षा की बात हो रही थी। मुझसे कहा गया कि पैदल चलने पर आप पर ग्रेनेड फेंका जायेगा। मैंने कहा, चार दिन चलूंगा, बदल दो इस टी-शर्ट का रंग, लाल कर दो। देखी जायेगी। मगर जो मैंने सोचा था, वही हुआ। जम्मू-कश्मीर के लोगों ने मुझे हैंड ग्रेनेड नहीं दिया, अपना दिल खोल कर प्यार दिया। गले लगे। मुझे खुशी हुई कि उन सबने मुझे अपना माना। प्यार से बच्चों ने, बुजुर्गों ने आंसुओं से मेरा यहां स्वागत किया। मैं अब जम्मू-कश्मीर के लोगों से और सेना-सुरक्षा बलों से कुछ कहना चाहता हूं। देखिए मैं हिंसा को समझता हूं।
    मैंने वह जगह देखी, जहां दादी को गोली मारी थी
    राहुल ने कहा कि मैं 14 साल का था। जो मैं अभी कह रहा हूं, ये बात प्रधानमंत्री और अमित शाह जी को नहीं समझ आयेगी। ये बात कश्मीर को समझ आयेगी। सीआरपीएफ और आर्मी के परिवार वालों को समझ आयेगी। उन्होंने मुझे कहा कि दादी को गोली लग गयी। फिर मुझे गाड़ी में वापस ले गये, मुझे स्कूल से उठाया। फिर मैंने वह जगह देखी, जहां मेरी दादी का खून था। पापा आये, मां आयीं। मां हिल गयी थीं, बोल नहीं पा रही थीं। जो हिंसा करवाता है, मोदीजी हैं, अमित शाहजी हैं, अजित डोभाल जी हैं… वे दर्द को समझ नहीं सकते। हम दर्द को समझ सकते हैं। अपनों को खोने वालों के दिल में क्या होता है, जब फोन आता है तो कैसा लगता है, वह मैं समझता हूं, मेरी बहन समझती है।

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