काठमांडू। नेपाल में सीपीएन (यूएमएल) के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली और राजशाही के समर्थकों के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। राजशाही समर्थकों और ओली के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो रहा है।
सीपीएन (यूएमएल) समर्थित किसान संघ के कार्यक्रम में रविवार को ओली ने राजशाही समर्थकों को दलाल बताते हुए कहा, ‘राजशाही को केवल दलाल, मूर्ख, मूर्ख, स्वार्थी, अज्ञानी ही मानते हैं।’ ओली की इन टिप्पणियों के बाद राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) के प्रवक्ता मोहन श्रेष्ठ ने सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें अपना बयान तुरंत वापस लेने के लिए कहा। श्रेष्ठ ने तर्क दिया कि ओली ने भी पूर्व में राजशाही स्वीकार की थी, तो वह भी दलाल और मूर्ख हैं।
पिछले हफ्ते ओली ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को कड़ी चेतावनी देते हुए चुप रहने को कहा था। शाह की ओर से संवाद सचिवालय ने बयान जारी कर ओली को मर्यादा में रहने को कहा है। पिछले कुछ समय से नेपाल में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह और उनके समर्थकों की गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं। ओली को पूर्वी जिले के एक कार्यक्रम में विरोध का सामना करना पड़ा और उन्होंने इसके लिए राजसत्ता समर्थकों को जिम्मेदार ठहराया।
दरअसल, नेपाल में 28 मई, 2008 को राजशाही का अंत हुआ और गणतंत्र की स्थापना हुई। इसके बाद आरपीपी के अलावा मुख्यधारा की किसी भी पार्टी ने राजशाही और हिंदू राष्ट्र का मुद्दा नहीं उठाया। हालांकि, राजशाही समर्थकों के संगठित होने से प्रधान मंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड, विपक्षी यूएमएल अध्यक्ष केपी ओली और अन्य शीर्ष नेताओं को खतरा दिखाई देने लगा है।