धनबाद: धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन बंदी धनबाद भाजपाईयों के लिए गले का फांस बन गया है। धनबाद-बोकारो के भाजपाई जहां धनबाद चन्द्रपुरा बंद लाइन के वैकल्पिक व्यवस्ािा तलाशने में जुटे हैं। वहीं विरोधी दल धनबाद चन्द्रपुरा रेल लाइन बंदी के विरोध में आंदोलनरत रहकर भाजपा को घेरने और कोसने में जुटी है। महा आंदोलन का ताना बाना बुना जा रहा है। विरोधी खेमा इस मुद्दे को हथियार के रुप में इस्तेमाल करने की जुगत में है। एक साथ सभी विरोधी दल आंदोलनरत हैं।
इनका साथ आमजन और समाजिक संगठन भी दे रहा है। बुधवार को कतरास नागरिक मंच के सदस्यों ने सिर मुंडन कराया। साथ ही मजदूरों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। कतरास, बाघमारा, धनबाद, चंद्रपुरावासियों ने नर्मदेश्वर मंदिर के प्रांगण में महा बैठक कर रेलवे, बीसीसीएल, डीजीएमएस, सरकार के खिलाफ लोगों ने बड़ा आंदोलन का शंखनाद किया। वहीं रेल बंदी के खिलाफ मां दुर्गा भवानी फोर्स ने कतरास स्टेशन पर एकदिवसीय धरना दिया गया। पूर्व बियाडा अध्यक्ष बिजय झा, जदयू नेता पूर्व मंत्री जलेश्वर महतो समेत अन्य धरना पर बैठे थे। इधर, रेल बंदी को लेकर संयुक्त मोर्चा के बैनर तले कतरास स्टेशन से पदयात्रा तथा कतरास क्षेत्रीय कार्यालय पर प्रदर्शन किया। रेल बंदी के विरोध में आयोजित महाबैठक में शामिल होने से पहले कतरासगढ़ स्टेशन पर सिर टेकने पूर्व मंत्री समरेश सिंह पहुंचे।
गौरतलब हो कि भारतीय रेलवे बोर्ड ने धनबाद-चंद्रपुरा रेल मार्ग पर 15 जून से रेल परिचालन सदा के लिए बंद करा दिया है। कोयला खनन के कारण भूमिगत आग के रेल पटरियों तक आ जाने और हादसे की आशंका के मद्देनजर यह फैसला किया गया। यह दूसरा मौका है, जब रेल मार्ग बंद किया गया। इसके पहले 2001-02 में धनबाद-झरिया मार्ग को सदा के लिए बंद कर दिया गया था। केंद्र की तत्कालीन वाजपेयी सरकार के समय लिये गये इस फैसले का जम कर विरोध हुआ था।
इसके बाद भूमिगत आग के कारण ही साल 2011 में भागा रेल मार्ग से पैसेंजर व एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन बंद किया गया था। धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन बंदी का असर बीसीसीएल एवं पावर प्लांटों पर भी पड़ा है। इस रेल लाइन से रोजाना बीसीसीएल का 19 रैक कोयले की ढुलाई होती थी। लाइन बंदी के बाद 14 रैक कोयला ही बीसीसीएल डिस्पैच कर पा रहा है। ऐसे में 18 हजार टन कोयला रोज फंस रहा है। बीसीसीएल के कोयले पर निर्भर कई पावर प्लांट संकट में हैं। सालाना 8.5 मिलियन टन कोयले की ढुलाई धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन से होती थी। यानी वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने से बीसीसीएल की अर्थव्यवस्था को करारा झटका लग सकता है।
तस्वीर है: 28 डीएचएन 01, 02, 03 सिर मुंडन कराते लोग, कतरास स्टेशन पर धरना देते, संयुक्त बैनरल तेल पदयात्रा करते