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    Home»झारखंड»रांची»पूछ रहे हैं भगत बाल्मिकी: क्या दलित होना अभिशाप है?
    रांची

    पूछ रहे हैं भगत बाल्मिकी: क्या दलित होना अभिशाप है?

    आजाद सिपाहीBy आजाद सिपाहीJuly 8, 2017No Comments5 Mins Read
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    रांची: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को खाना खिलाने पर किराये के मकान से निकाल दिये गये भाजपा के दलित नेता भगत बाल्मिकी का परिवार खुद को ठगा महसूस कर रहा है। भगत बाल्मिकी और उनका परिवार यही कह रहा है कि आखिर तीन दशक से समाज और संगठन की सेवा करने का उन्हें यह फल क्यों मिला। क्या दलित होना अभिशाप है। केंद्रीय मंत्री को घर में खाना खिलाकर आखिर परिवार ने क्या गलती कर दी, जो मकान मालिक ने उन्हें चंद घंटों में मकान खाली करने का फरमान सुना दिया। 4 साल से बसाये गये आशियाने के चंद मिनटों में उजड़ने के सदमे से भगत बाल्मिकी का परिवार चाह कर भी नहीं निकल पा रहा है। दुख की इस घड़ी में भगत बाल्मिकी और उनके परिवार को इस बात का भी गम है कि जो लोग उस वक्त नितिन गडकरी के साथ उनके घर भोजन करने आये थे उन्होंने अब तक उनकी सुध नहीं ली है। भगत बाल्मिकी ने कहा कि प्रदेश के कई बड़े भाजपा नेता उस वक्त आये थे, उन्हें उम्मीद थी कि वे दुख की इस घड़ी में भी जरुर आयेंगे, लेकिन वे नहीं आये।

    पैसे के अभाव में भी 800 रुपये खर्च कर गडकरी के लिए बनाया था भोजन
    भगत बाल्मिकी भाजपा एससी मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने समाज और संगठन के लिए खूब काम किया है। इतने सालों में उन्होंने भले ही इज्जत कमा ली, लेकिन पैसे नहीं कमाये। साधारण तरीके से अपना घर चलाते हैं। वे भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता तो हैं ही, साथ ही पटेल चौक पर स्थित महावीर मंदिर की भी देखरेख करते हैं। 30 साल से वे हरमू इलाके में रह रहे हैं। पहली बार इतने बड़े दुख का पहाड़ उन पर और उनके परिवार पर टूटा है। पैसे के अभाव में भी उन्होंने 800 रुपये खर्च नितिन गडकरी की आवभगत में की। बड़े प्यार और उत्साह से गडकरी और अन्य नेताओं के लिए पनीर और पालक की सब्जी, दाल, चावल, सत्तू के पराठे, बेसन की सब्जी, दही, अचार, पापड़, मिठाई और आम का इंतजाम किया। भगत बहुत खुश थे कि एक केंद्रीय मंत्री एक छोटे से दलित कार्यकर्ता के घर पधारे और उनके यहां भोजन किया, लेकिन उनकी यह खुशी ज्यादा दिन नहीं रह सकी। मकान मालिक को यह डर सताने लगा कि कहीं रसूखदार लोगों के साथ संपर्क वाले भगत उसके घर पर ही कब्जा न कर लें। इसलिए मकान मालिक ने उन्हें घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया।

    नियम के मुताबिक ही मिल सकता है आवास : सीपी सिंह
    नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि भगत बाल्मिकी के घर से निकाले जाने की खबर उन तक पहुंची है। उन्होंने कहा कि जहां तक भगत बाल्मिकी को आवास देने का सवाल है, तो ऐसा किसी भी तरह का प्रोविजन नहीं है। आवास बोर्ड के नियम के मुताबिक ही उन्हें आवास आवंटित किया जा सकता है। सरकार में कोई भी काम नियम के दायरे में होता है। सीपी सिंह ने कहा कि अगर नियम से हटकर आवास आवंटित किया जायेगा, तो इससे सरकार और विभाग पर सवाल उठ सकता है।

    मंत्री चाहें, तो दे सकते हैं मकान :भगत बाल्मिकी
    भगत बाल्मिकी ने कहा कि नगर विकास मंत्री विशेष परिस्थितियों में आवास दे सकते हैं। भगत ने कहा कि वे अंतिम व्यक्ति हैं अगर मंत्री चाहें तो उन्हें आवास मिल सकता है। वे इसकी घोषणा कर सकते हैं। इसके अलावे अगर भू-राजस्व मंत्री अमर बाउरी भी अपने अधिकार का प्रयोग कर उन्हें 2 कट्ठा जमीन दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि वे भूमिहीन हैं और 30 साल से हरमू इलाके में रह रहे हैं। इसलिए सरकार उन्हें नियम के मुताबिक जमीन आवंटित करवा सकती है।

    खबर छपने के बाद लोगों ने ली भगत बाल्मिकी की सुध
    आजाद सिपाही में खबर छपने के बाद भगत बाल्मिकी के परिवार की सुध लेने के लिए पार्टी के कार्यकर्ता और सामाजिक संगठन के लोग आगे आ रहे हैं। शुक्रवार सुबह से ही भगत बाल्मिकी के नये जर्जर मकान में उनके करीबियों, पार्टी कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठन से जुड़े लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया। भाजपा अरगोड़ा मंडल के कार्यकर्ताओं ने उनसे मिलकर इस घटना पर दुख जताया और कहा कि परिवार की मदद के लिए वे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ से मिलकर बात करेंगे, साथ ही नगर विकास मंत्री से मिलकर भगत बाल्मिकी को आवास बोर्ड का मकान दिलाने की मांग करेंगे।

    प्रिंस अजमानी ने की परिवार की मदद
    इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स के वाइस प्रेसिडेंट प्रिंस अजमानी ने भगत बाल्मिकी के नये जर्जर मकान पहुंचकर परिवार को एक महीने का राशन मुहैया कराया। साथ ही घर के टूटे हुए दरवाजों और खिड़कियों को बनवाने का भी जिम्मा लिया। प्रिंस ने कहा कि जिस रात भगत बाल्मिकी अपना घर खाली कर रहे थे, सूचना मिलने पर वे भी उनके घर पहुंचे थे। उन्होंने देखा, घर का पूरा सामान अस्त-व्यस्त था। भारी बारिश के बीच घर के लोग कैंडल की रोशनी में घर का सारा सामान समेट रहे थे। उन्होंने कहा कि जिस आदमी ने तीस साल तक संगठन के लिए मेहनत किया, आज उनके साथ कोई खड़ा नहीं दिख रहा।

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