विशेष
-चुनावी अखाड़े में राज्यसभा के दिग्गजों को उतारेगी भाजपा
-तीन राज्यों में सांसदों-केंद्रीय मंत्रियों को उतारने की रणनीति रही बेहद सफल
भाजपा हाल के विधानसभा चुनावों में अपने कई सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव में उतार चुकी है। इनमें से ज्यादातर जीते भी हैं और उन्हें जीत के बाद राज्य में जिम्मेदारी भी दी गयी है। इसी प्रयोग को भाजपा अब लोकसभा चुनाव 2024 में भी अपनाने जा रही है। पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में राज्यसभा के दिग्गज सांसदों को भी मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है। इन सांसदों को इसके बारे में बता दिया गया है और तैयारी शुरू करने के लिए कहा गया है। दरअसल, भाजपा का एक अघोषित नियम रहा है, जिसके तहत पार्टी अपने किसी भी नेता को लगातार तीसरी या चौथी बार राज्यसभा भेजने से परहेज करती है। यही कारण है कि पार्टी ने इन नेताओं को एक बार फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी इस बार भी इस नीति का कठोरता से पालन करेगी। ऐसे में यदि उन्हें संसद में बने रहना है, तो लोकसभा में आ सकते हैं। इन दिग्गज सांसदों में से कुछ ने पार्टी आलाकमान से दिल्ली से लोकसभा का चुनाव लड़ने की इच्छा भी व्यक्त की, लेकिन पार्टी ने लगभग सभी को अपने-अपने गृह राज्य में सीट ढूंढ़ने को कहा है। बताया यह भी जा रहा है कि ऐसे दिग्गज राज्यसभा सांसदों को प्रोत्साहित करने और कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा स्वयं भी लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि राज्यसभा के दिग्गजों के मैदान में उतरने से लोकसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में वातावरण बनेगा। क्या है भाजपा की रणनीति और कौन-कौन दिग्गज इस बार चुनावी अखाड़े में उतर सकते हैं, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
केंद्र में लगातार तीसरी बार मोदी सरकार बनाने के मिशन को कामयाब करने के लिए भाजपा जी-तोड़ प्रयास कर रही है। चुनाव प्रचार अभियान को अंतिम रूप देने के अलावा पार्टी के तमाम नेताओं की भूमिका भी तय की जा चुकी है। जहां तक लोकसभा चुनावों के लिए प्रत्याशियों के चयन की बात है, तो यह काम भाजपा बहुत पहले ही शुरू कर चुकी थी और अब यह कार्य अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है। पार्टी उम्मीदवारों की पहली सूची जल्द जारी होने की अटकलों के बीच चर्चा यह भी है कि इस बार भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। बता दें कि अमित शाह ने भी 2019 में भाजपा अध्यक्ष पद पर रहते हुए अपना पहला लोकसभा चुनाव गुजरात के गांधीनगर से लड़ा था।
क्या है भाजपा की नयी रणनीति
इस नयी रणनीति के तहत भाजपा ने लोकसभा चुनावों में प्रत्येक सीट पर 50 प्रतिशत से ज्यादा मत हासिल करने के लिए अपने संगठन के तंत्र को दुरुस्त करने के बाद उम्मीदवारों के तौर पर ऐसी फौज उतारने का निर्णय लिया है, जिसके आगे नामांकन भरते हुए विपक्ष के नेताओं को हार का भय पहले दिन से सताने लगे। इसके लिए भाजपा उम्मीदवारों के चयन के लिए कड़े और बड़े पैमाने तय करके आगे बढ़ रही है। हाल ही में भाजपा की ओर से अपने सांसदों के बारे में जनता की राय जानने के लिए नमो एप पर एक सर्वे भी शुरू किया गया था, जिस पर लोगों ने जो फीडबैक दिया, उसको पार्टी ने काफी गंभीरता के साथ लिया है। हाल में संपन्न पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान देखने को मिला था कि पार्टी ने कई सांसदों को विधानसभा का चुनाव लड़ाया और यह फॉर्मूला काफी सफल साबित हुआ था। यही नहीं, भाजपा हाल में कई चुनावों में बड़ी संख्या में उम्मीदवारों को बदल कर नये चेहरों को मौका देने का सफल प्रयोग भी कर चुकी है। इसीलिए माना जा रहा है कि लोकसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों के चयन में भी भाजपा हाल के अनुभवों को देखते हुए निर्णय लेगी।
चुनाव प्रबंधन के लिए सब कुछ चाक-चौबंद
उल्लेखनीय है कि भाजपा आलाकमान ने साल 2023 के अंत में राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में अपने चुनावी अभियान को अंतिम रूप दे दिया था और अब नये साल पर पार्टी मुख्यालय में वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक में उम्मीदवार चयन से जुड़े मुद्दों पर गौर किया गया। बताया जा रहा है कि इस बैठक में एक कमेटी का भी गठन किया गया, जो कि असंतुष्ट नेताओं से संपर्क कर उन्हें मनाने का काम करेगी। साथ ही कमेटी यह भी देखेगी कि चुनावों के दौरान दूसरे दलों से आने वाले किन लोगों को भाजपा में शामिल कराना है और किन्हें नहीं। बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में अन्य दलों के कई कद्दावर नेता और समाज के विभिन्न क्षेत्रों की मशहूर हस्तियां भाजपा में शामिल होने वाली हैं।
जल्द जारी हो सकती है प्रत्याशियों की पहली सूची
जहां तक लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के उम्मीदवारों की बात है, तो बताया जा रहा है कि पहली सूची जल्द ही जारी हो सकती है। पहले माना जा रहा था कि यह सूची मकर संक्रांति के बाद आयेगी, लेकिन अब माना जा रहा है कि यह सूची पहले भी आ सकती है। दरअसल भाजपा ने पिछले साल पहली बार पितृपक्ष के दौरान ही मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के उम्मीदवारों की एक सूची जारी कर दी थी, जिसको लेकर सवाल उठे थे कि शुभ मुहूर्त और शुभ-अशुभ का खास ध्यान रखने वाली भाजपा ने आखिर पितृपक्ष में कैसे अपनी सूची जारी कर दी। लेकिन समय से पहले उम्मीदवारों की घोषणा करना पार्टी के पक्ष में गया। इसीलिए माना जा रहा है कि जिन सीटों पर भाजपा को पिछले चुनावों में जीत नहीं मिली थी या जहां भाजपा का अच्छा प्रदर्शन नहीं रहा था, वहां के उम्मीदवारों की सूची शीघ्र ही सामने आ सकती है, ताकि उम्मीदवारों को प्रचार के लिए अच्छा-खासा समय मिल सके। साथ ही एक ओर जहां अन्य दल अभी सीटों के बंटवारे पर चर्चा ही नहीं शुरू कर पाये हैं, वहीं भाजपा अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर विपक्ष पर मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल कर लेना चाहती है।
राज्यसभा के दिग्गजों को उतारने की तैयारी
बताया जा रहा है कि भाजपा ने इस बार बड़ी संख्या में अपने राज्यसभा सांसदों को भी लोकसभा चुनाव लड़ाने का फैसला किया है, ताकि संसद के ऊपरी सदन में लंबे समय से जमे चेहरों की जगह नये चेहरों को मौका दिया जा सके। इसके लिए तय किया गया है कि भाजपा शासित राज्यों के चुनिंदा राज्यसभा सांसदों को लोकसभा चुनाव लड़ाया जायेगा। भाजपा शासित राज्यों का चयन इसलिए किया गया है, ताकि सीट छोड़ने वाले व्यक्ति की जगह आसानी से पार्टी का दूसरा उम्मीदवार राज्यसभा पहुंच सके। इसके अलावा उन राज्यसभा सांसदों को भी चुनाव लड़ने के लिए कहा जा रहा है, जिनका कार्यकाल हाल ही में खत्म हुआ या जल्द ही खत्म होने वाला है। यह भी बताया जा रहा है कि कुछ राज्यसभा सांसदों ने खुद भी पार्टी से आग्रह किया है कि उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ने का अवसर दिया जाये। इसके अलावा पार्टी ने ऐसे सांसदों को उस नीति के बारे में भी बता दिया है, जिसके तहत किसी नेता को अधिकतम दो बार ही राज्यसभा में भेजा जाता है।
ये दिग्गज लड़ सकते हैं लोकसभा चुनाव
जानकारी के अनुसार, भाजपा के राज्यसभा सांसदों में महाराष्ट्र से प्रकाश जावड़ेकर, पीयूष गोयल और नारायण राणे, ओडिशा से धर्मेंद प्रधान, गुजरात से मनसुख मांडविया, हिमाचल प्रदेश से भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, उत्तर प्रदेश से दर्शन सिंह, अनिल जैन, डॉ सुधांशु त्रिवेदी, डॉ दिनेश शर्मा, कांता कर्दम, नीरज शेखर और सुरेंद्र सिंह नागर, छत्तीसगढ़ से सरोज पांडेय, केरल से वी मुरलीधरन, बिहार से राकेश सिन्हा और सुशील कुमार मोदी, जम्मू-कश्मीर से गुलाम अली, राजस्थान से अश्विनी वैष्णव, असम से भुवनेश्वर कालिता, सर्बानंद सोनोवाल, मध्य प्रदेश से ज्योतिदारित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी और त्रिपुरा से बिप्लब कुमार देब का नाम लोकसभा चुनावों के संभावित उम्मीदवारों की सूची में बताया जा रहा है। इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और पूर्व सांसद सैयद जफर इस्लाम का नाम भी लोकसभा के संभावित उम्मीदवारों में बताया जा रहा है। यह भी चर्चा है कि महाराष्ट्र में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए कुछ विधायकों को भी लोकसभा चुनाव लड़ने का अवसर दिया जा सकता है। एक उप राज्यपाल का भी लोकसभा चुनाव लड़ना तय बताया जा रहा है।
बहरहाल, आधिकारिक रूप से सूची जारी होने तक अभी कई संभावित नामों की चर्चा चलती रहेगी, लेकिन एक बात पक्की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी यह तय कर चुकी है कि किसी सांसद के साथ स्थानीय स्तर पर उपजी नाराजगी का असर पार्टी के चुनावी प्रदर्शन पर नहीं पड़ने देना है। इसलिए भाजपा के उम्मीदवारों की सूची निश्चित रूप से सबको चौंकाने वाली ही होगी।