विशेष
-राज्य की सभी 14 सीटों पर भाजपा और विपक्ष में होगा सीधा मुकाबला
-इंडी अलायंस में सीट शेयरिंग पर 7-5-1-1 का फॉर्मूला हुआ फाइनल
-पहली बार कोडरमा में होगा भाजपा और भाकपा माले के बीच मुकाबला
लोकसभा चुनाव की गहमा-गहमी के बीच झारखंड में विपक्षी इंडी अलायंस ने सीट शेयरिंग को अंतिम रूप दे दिया है। हालांकि इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन और कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर के बीच एक दिन पहले हुई बातचीत में फॉर्मूले पर सहमति की बात छन कर सामने आ रही है। वैसे अभी जिस फॉर्मूले पर सहमति की बात कही जा रही है, उसमें कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं है, क्योंकि जिन तीन सीटों पर पेंच फंसा था, वहां गठबंधन में शामिल पार्टियों ने आपसी सहमति बना ली है। बताया जा रहा है कि सिंहभूम सीट कांग्रेस ने झामुमो के लिए और कोडरमा सीट भाकपा माले के लिए छोड़ दी है। उधर लोहरदगा सीट पर झामुमो ने अपना दावा छोड़ दिया है। इस तरह अब संभावना जतायी जा रही है कि राज्य की सभी 14 संसदीय सीटों पर अब भाजपा और विपक्षी गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिलेगा। जहां तक भाजपा की बात है, तो उसके लिए विपक्ष से सीधे मुकाबले का अनुभव नया नहीं है, क्योंकि पिछले चुनाव में भी लगभग सभी सीटों पर ऐसा ही हुआ था और खूंटी और लोहरदगा को छोड़ कर सभी सीटों पर जीत का बड़ा अंतर रहा था। सीट शेयरिंग की आधिकारिक घोषणा के साथ इंडी अलायंस के उम्मीदवारों के एलान का इंतजार है, जो भाजपा के उम्मीदवारों को चुनौती देंगे। क्या है झारखंड में इंडी अलायंस के सीट शेयरिंग का फॉर्मूला और क्या होगा राज्य में मुकाबले की तस्वीर, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
लोकसभा चुनाव की गहमा-गहमी के बीच झारखंड में विपक्षी इंडी अलायंस ने सीट शेयरिंग को अंतिम रूप देकर बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है। सूत्रों की मानें तो झामुमो और कांग्रेस के बीच हुई बैठक में इस फॉर्मूले को अंतिम रूप दे दिया गया है। अब इस फॉर्मूले की औपचारिक घोषणा कांग्रेस आलाकमान करेगा। फॉर्मूले पर सहमति मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के साथ झारखंड मंत्रालय में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर की मुलाकात के दौरान बनी। बैठक में राजद और भाकपा माले का कोई प्रतिनिधि मौजूद नहीं था, लेकिन कहा जा रहा है कि फॉर्मूले पर दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व की सहमति ले ली गयी है। इस बैठक में एकजुट होकर चुनाव लड़ने और अधिक से अधिक सीट जीतने को लेकर रणनीति बनायी गयी। इंडी अलायंस की समन्वय समिति चुनाव से जुड़े बाकी सभी बिंदुओं पर मंथन करने के बाद सीट शेयरिंग का एलान करेगी। बैठक में झारखंड में लगातार भ्रमण के बाद मिले फीडबैक पर भी विस्तार से चर्चा हुई।
सभी सीटों पर होगा सीधा मुकाबला
इंडी अलायंस में सीट शेयरिंग तय हो जाने के बाद अब झारखंड के सभी 14 संसदीय क्षेत्रों में मुकाबले की तस्वीर साफ हो गयी है। इन सभी सीटों पर इंडी गठबंधन में शामिल दल एकजुट होकर लड़ेंगे और सभी पर भाजपा को सीधा मुकाबला करना होगा। इसमें केवल भाकपा का पेंच है, जिसने आठ सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है। यदि भाकपा इस घोषणा पर अड़ी रहती है, तो फिर हजारीबाग और राजमहल जैसी सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है।
इस फॉर्मूले पर बनी है सहमति
इंडी अलायंस के घटक दलों के भीतर से जो जानकारी छन कर सामने आयी है, उसके अनुसार कांग्रेस राज्य की सात लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार देगी। झामुमो को पांच सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करना है, जबकि राजद और भाकपा माले को एक-एक सीट पर प्रत्याशी उतारना है। जानकारों का मानना है कि जिन तीन सीटों को लेकर इंडी अलायंस में पेंच फंसा था, उसे भी हल कर लिया गया है। कांग्रेस ने सिंहभूम सीट झामुमो के लिए छोड़ दी है, जबकि कोडरमा सीट उसने भाकपा माले को दे दी है। उधर लोहरदगा सीट पर झामुमो ने अपना दावा छोड़ दिया है। फॉर्मूले के तहत कांग्रेस रांची, हजारीबाग, खूंटी, लोहरदगा, धनबाद, गोड्डा और चतरा सीट से उम्मीदवार देगी। झामुमो के कोटे में सिंहभूम, जमशेदपुर, गिरिडीह, दुमका और राजमहल सीट दी गयी है। राजद को पलामू सीट से उम्मीदवार देने को कहा गया है, जबकि कोडरमा से भाकपा माले लड़ेगी।
कितना कारगर होगा यह फॉर्मूला
सीट शेयरिंग तय हो जाने के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि इंडी अलायंस का यह फॉर्मूला कितना कारगर हो सकेगा। यह सही है कि सीधा मुकाबला होने से सभी सीटों पर रोमांचक मुकाबला देखने को मिलेगा, लेकिन 2019 के चुनाव परिणामों पर नजर डालने से स्पष्ट हो जाता है कि इंडी अलायंस के एकजुट होकर लड़ने से कोई खास अंतर नहीं आनेवाला है। पिछली बार भी लगभग सभी सीटों पर सीधा मुकाबला ही हुआ था। पिछले चुनाव में राज्य की जिन 11 सीटों पर भाजपा और एक सीट पर उसकी सहयोगी आजसू जीती थी, उनमें से खूंटी और लोहरदगा को छोड़ कर हर सीट पर जीत का अंतर काफी बड़ा था। खूंटी और लोहरदगा में जीत का अंतर बहुत कम रहा था, लेकिन इस बार भाजपा ने लोहरदगा से समीर उरांव को उतार कर स्थिति में सुधार की कोशिश की है। इस बार इंडी अलायंस की तरफ से कहा जा रहा है कि यह महत्वपूर्ण नहीं है कि कौन कितनी सीट पर लड़ेगा। चुनावी मैदान में जीतने वाले उम्मीदवार को उतारा जायेगा। सीट के आंकड़े महत्वपूर्ण नहीं हैं। इस बार परिस्थितियां बदली हुई हैं।
इंडी अलायंस के पास जिताऊ उम्मीदवार का टोटा
तमाम दावों और सीधे मुकाबले में भाजपा को पटखनी देने के दावों के बीच यह भी देखना दिलचस्प है कि इंडी अलायंस के पास जिताऊ उम्मीदवार हैं या नहीं। भाजपा ने 11 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है, लेकिन विपक्ष की तरफ से अब तक किसी उम्मीदवार का नाम तय नहीं है। राजमहल सीट से विजय हांसदा एक बार फिर झामुमो की तरफ से उतरेंगे, यह लगभग तय है। इसके अलावा कांग्रेस के पास गोड्डा के अलावा कहीं भी मजबूत उम्मीदवार नहीं है। उधर झामुमो भी ऐसे उम्मीदवारों के नामों पर मंथन कर रहा है, जो भाजपा को मजबूत टक्कर दे सकें। जहां तक कांग्रेस की बात है, तो वहां अभी उम्मीदवारों के नाम पर विचार ही चल रहा है। वैसे भी जिन सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार उतारेगी, उनमें से अधिकांश पर भाजपा का दबदबा है। सच तो यह है कि गीता कोड़ा के भाजपा में शामिल हो जाने के बाद कांग्रेस के पास ऐसा कोई उम्मीदवार ही नहीं है, जो अपने बूते मतदाताओं को प्रभावित कर सके। कुछ हद तक लोहरदगा में सुखदेव भगत टक्कर देने की स्थिति में हैं। खूंटी में अगर कालीचरण मुंडा को टिकट मिलता है, तो वह अर्जुन मुंडा के लिए कुछ हद तक चुनौती पेश कर सकते हैं, लेकिन अगर दयामनी बारला को टिकट मिलता है, तो वहां भी मुकाबला एकतरफा होना तय है। वैसे अर्जुन मुंडा ने खूंटी में पहले की अपेक्षा अपनी स्थिति काफी मजबूत की है। उन्होंने दर्जनों बड़ी योजनाओं को यहां धरातल पर उतारा है। केंद्रीय मंत्री बनने के बाद उनका चेहरा बड़ा हुआ है। अभी चुनावी मुद्दों पर कोई बात ही नहीं हुई है, जबकि भाजपा ने मोदी सरकार के कामकाज और मोदी की लोकप्रियता पर वोट मांगने का फैसला कर लिया है।
झारखंड में शुरू से ही हिचकोले खा रहा था इंडी अलायंस
झारखंड में सत्तारूढ़ तीन पार्टियों, झामुमो, कांग्रेस और राजद की मिली-जुली सरकार चल रही है और ये तीनों दल इंडी अलायंस में शामिल हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर भाकपा के एलान के बाद इस अलायंस को बरकरार रखना एक बड़ी चुनौती बन गयी थी। झारखंड में इंडी अलायंस में इन तीन दलों के अलावा भाकपा, माकपा और भाकपा माले शामिल हैं। जदयू इस अलायंस से बाहर निकल चुका है। गठबंधन के भीतर शुरू से ही मतभेद की बातें सामने आने लगी थीं। ये मतभेद खास कर सीट शेयरिंग के मुद्दे पर ही थे, लेकिन अब मतभेद सुलझा लिये गये हैं, तो इसका कुछ असर होना स्वाभाविक है।