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    Home»विशेष»रणनीतिक रूप से बेहद सफल रहा पीएम मोदी का पूर्वोत्तर दौरा
    विशेष

    रणनीतिक रूप से बेहद सफल रहा पीएम मोदी का पूर्वोत्तर दौरा

    shivam kumarBy shivam kumarSeptember 16, 2025No Comments7 Mins Read
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    विशेष
    देश की विकास यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं ‘सेवेन सिस्टर्स’
    पीएम मोदी के दौरे से इन राज्यों को मिला है नया भरोसा और प्रोत्साहन
    मजबूत रिश्ते की बुनियाद गढ़ गये पीएम मोदी, जीता भरोसा

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन पूर्वोत्तर राज्यों- मिजोरम, मणिपुर और असम की यात्रा के दौरान जो घोषणाएं हुईं, वे महत्वपूर्ण तो हैं ही, इन्हें ऐतिहासिक भी कहा जाये, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। प्रधानमंत्री ने देश की विकास यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहीं ‘सेवेन सिस्टर्स’, यानी पूर्वोत्तर भारत के तीन राज्यों का दौरा कर उन्हें भरोसे और प्रोत्साहन की नयी संजीवनी दी है। दो साल पहले मणिपुर को जातीय हिंसा में झोंकनेवाली ताकतों को पीएम मोदी के दौरे से करारा झटका लगा है। जातीय हिंसा के बाद मणिपुर के अपने पहले दौरे में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिया गया शांति का संदेश महत्वपूर्ण है। उनका यह कहना कि मणिपुर ही वह भूमि थी, जहां पहली बार भारतीय राष्ट्रीय सेना ने राष्ट्र ध्वज फहराया था, राज्य के गौरवपूर्ण अतीत और स्वतंत्रता संग्राम में इसकी भूमिका को रेखांकित करता है। राज्य को भारत माता के मुकुट का रत्न बताते हुए कुकी बहुल हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित चुराचांदपुर के लिए 7300 करोड़ रुपये से अधिक और मैतेई बहुल इंफाल के लिए करीब 1200 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की घोषणा कर प्रधानमंत्री ने पीड़ितों को यह संदेश देने की कोशिश की है कि सरकार और समूचा देश उनके साथ है। राजनीति में कई फैसले रणनीतिक आधारों पर लिये जाते हैं। पिछले दो वर्षों में मणिपुर का मुद्दा देश के भीतर और बाहर जिस तरह से उठाया गया, वह किसी से छिपा नहीं है। यह भी नहीं भूला जा सकता कि किस तरह यूरोपीय संघ की संसद में मणिपुर को लेकर प्रस्ताव पारित हुआ, जिसे सरकार ने देश का आंतरिक मामला बताते हुए उचित ही खारिज कर दिया था। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मणिपुर में शांति बनी रहे और प्रधानमंत्री मोदी के दौरे ने जो उम्मीदें जगायी हैं, वे पूरी हों। अपनी मिजोरम यात्रा में प्रधानमंत्री ने आठ हजार करोड़ रुपये से भी अधिक की सैरांग-बैरवी रेल लाइन का शुभारंभ किया है, जो इस मायने में ऐतिहासिक है कि यह पहली बार मिजोरम की राजधानी को भारतीय रेल नेटवर्क से जोड़ेगी। जाहिर है कि इससे मिजोरम के किसान और व्यवसायी देश भर के बाजारों तक आसानी से पहुंच सकेंगे। कई क्षेत्रों में रोजगार बढ़ेंगे, सो अलग। असम यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य को करीब 12 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात दी है, जो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को यकीनन सहारा देंगी। कुल मिलाकर देखें, तो प्रधानमंत्री का पूर्वोत्तर दौरा केवल परियोजनाओं तक सीमित नहीं, यह एक दृष्टि का प्रतिबिंब है। म्यांमार से हो रही घुसपैठ समेत विभिन्न समूहों के बीच विश्वास बहाली की चुनौतियां बेशक हैं, लेकिन पूर्वोत्तर में प्रधानमंत्री ने शांति के साथ विकास का जो पैगाम दिया है, वह जमीनी स्तर पर दिखे भी, तो यह सबसे बड़ी कामयाबी होगी। देश के विकास में क्या है पूर्वोत्तर भारत का योगदान और पीएम मोदी के दौरे ने कैसे इसको बढ़ावा दिया है, बता रहे हैं आजाद सिपाही के संपादक राकेश सिंह।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वोत्तर भारत के तीन राज्यों, मिजोरम, मणिपुर और असम की दो दिवसीय यात्रा पूरी कर चुके हैं। उनका यह दौरा कई मायनों में ऐतिहासिक तो है ही, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। पीएम मोदी ने अपने दौरे के दौरान जहां हिंसा प्रभावित मणिपुर को शांति का मरहम लगाया, वहीं मिजोरम को रेल लाइन का शानदार उपहार सौंपा और असम को कई सौगातें देकर पूर्वोत्तर भारत को भरोसे और प्रोत्साहन की नयी संजीवनी प्रदान की है। इन राज्यों में पीएम मोदी ने बार-बार पूर्वोत्तर भारत को देश के विकास का इंजन बताते हुए राष्ट्रीय एकता में उनके शानदार योगदान को याद किया।

    क्या है पूर्वोत्तर भारत का योगदान
    पूर्वोत्तर क्षेत्र अब भारत के विकास मानचित्र की परिधि पर नहीं है, बल्कि यह अब मजबूती से देश के विकास के केंद्रबिंदु में है। दूरदर्शी नीति निर्माण, रिकॉर्ड निवेश और मंत्रालयों में समन्वित निष्पादन द्वारा समर्थित, पूर्वोत्तर में उल्लेखनीय परिवर्तन देखा जा रहा है। बेहतर रेल और सड़क कनेक्टिविटी से लेकर डिजिटल पहुंच, आर्थिक निवेश और समावेशी विकास पहल तक, हर प्रयास इस क्षेत्र को अवसर और समृद्धि के निकट ला रहा है। जैसे-जैसे बुनियादी ढांचा मजबूत हो रहा है और आकांक्षाएं गहरी हो रही हैं, पूर्वोत्तर एक विकसित भारत का एक प्रमुख वाहक बनने की ओर अग्रसर है, जहां हर पहाड़ी, घाटी और गांव देश के साझा भविष्य का भाग है।

    पहले पूर्वोत्तर भारत को एक सुदूर सीमांत क्षेत्र के रूप में देखा जाता था
    दरअसल, दशकों से पूर्वोत्तर भारत को एक सुदूर सीमांत क्षेत्र के रूप में देखा जाता था, जो संस्कृति में समृद्ध था, लेकिन इसकी पूरी क्षमता का प्रयोग करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी थी। क्षेत्र के लोगों, जिनमें मिजोरम के जीवंत समुदाय भी सम्मिलित हैं, समृद्ध परंपराओं और सामाजिक सद्भाव के लिए जाने जाते हैं, ने लंबे समय तक प्रतीक्षा करते हुए विकास की राह देखी। केंद्र सरकार के एक्ट इस्ट विजन के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र हाशिये से मुख्यधारा में आ गया है। जिसे कभी एक सुदूर कोने के रूप में देखा जाता था, वह अब भारत की विकास गाथा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। रेलवे, राजमार्गों, हवाई संपर्क और डिजिटल बुनियादी ढांचे में अभूतपूर्व निवेश ने मिजोरम की बांस से ढकी पहाड़ियों से लेकर सिक्किम की चोटियों और असम के चाय बागानों तक आठ राज्यों में विकास को नयी गति दी है। आज यह क्षेत्र न केवल बदला हुआ है, बल्कि बेहतर संपर्क, मजबूत अर्थव्यवस्थाओं और उद्देश्य की एक नयी भावना के साथ सशक्त भी है। पूर्वोत्तर भारत की कहानी अब शांति, प्रगति और समृद्धि की है, जो विकसित भारत का सच्चा प्रतीक है।

    पूर्वोत्तर को सशक्त बनाना मोदी सरकार का उद्देश्य
    मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में समावेशी विकास में तेजी लाने के लिए एक्ट इस्ट दृष्टिकोण के अंतर्गत परिवर्तनकारी पहलों की एक शृंखला लागू की है। यह रणनीतिक ढांचा पूर्वोत्तर को दक्षिण पूर्व एशिया के साथ भारत के जुड़ाव के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार के रूप में स्थापित करता है, साथ ही संतुलित विकास भी सुनिश्चित करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते भी हैं कि हमारे लिए पूर्व का अर्थ है सशक्त बनाना, कार्य करना, मजबूत करना और परिवर्तित करना। यह एक मार्गदर्शक दर्शन है, जो क्षेत्र में हर नीतिगत पहल को रेखांकित करता है। बुनियादी ढांचे और डिजिटल संपर्कता से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आजीविका तक ये प्रयास आठ राज्यों में अवसर सृजित करने, पहुंच में सुधार और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने पर केंद्रित हैं।

    देश की पूर्वोत्तर सीमा की मजबूती
    इन विकास योजनाओं को गति देने के साथ पीएम मोदी के दौरे ने देश की पूर्वोत्तर सीमाओं की रणनीतिक मजबूती की तरफ केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर किया है। तमाम कूटनीतिक प्रयासों के बावजूद देश का पूर्वोत्तर हिस्सा आज भी हमारे दुश्मनों और आंतरिक उपद्रवी तत्वों की निगाह में खटक रहा है। घुसपैठ की समस्या से लेकर अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में चीन की अवांछित गतिविधियां और रणनीतिक रूप से देश की सुरक्षा के लिए अहम चिकन नेक की मजबूती भारत सरकार के लिए हमेशा से चिंता का विषय रही हैं। पीएम मोदी के दौरे ने इन मुद्दों को पूरी तरह खत्म तो नहीं किया, लेकिन देश को एक भरोसा जरूर दे गया कि देश को अब पूर्वोत्तर को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। इस मायने में पीएम मोदी का दौरा ऐतिहासिक रहा है। पीएम मोदी के दौरे की ऐतिहासिकता को नया आयाम तब मिलेगा, जब उनकी घोषणाओं को जमीन पर उतारा जायेगा और यह चुनौती बहुत बड़ी तो नहीं ही है।

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