पूर्वी सिंहभूम। शहर में शनिवार की देर रात जारी संवाद 2025 नामक कार्यक्रम की शुरुआत इस बार और भी खास रही, क्योंकि यह आयोजन झारखंड के 25वें राज्य स्थापना दिवस और धरती आबा बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती को समर्पित था।
कार्यक्रम की शुरुआत मुंडा, संथाल और उरांव जनजातियों की पारंपरिक प्रार्थनाओं से हुई। इसके बाद हो जनजाति की परंपरा के अनुसार अखड़ा शुद्धिकरण की रस्म ने पूरे माहौल को पवित्रता और सामुदायिक एकता की भावना से भर दिया। टाटा स्टील फ़ाउंडेशन से जुड़े बच्चे, जिन्होंने खेल प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर देश का नाम रोशन किया है, ने अखड़ा में आदिवासी बुज़ुर्गों का स्वागत कर समारोह को और सजीव बनाया।
इस विशेष अवसर पर संथाल समुदाय के देश परगना बैजू मुर्मू, तोरोप परगना और संथाल के दशमथ हांसदा, हो समुदाय के पीर मांकी गणेश पात पिंगुआ तथा भूमिज समुदाय के प्रधान उत्तम सिंह सरदार जैसे सम्मानित प्रतिनिधि उपस्थित रहे। पद्मश्री चामी मुर्मू और पद्मश्री जनुम सिंह सोय ने अपनी उपस्थिति और प्रेरक व्यक्तित्व से आयोजन की गरिमा को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया। इनके साथ तोलोंग सिकि के जनक डॉ. नारायण उरांव और पाहन नियारें हेरेंज भी महत्वपूर्ण रूप से शामिल हुए। कार्यक्रम की विशिष्टताओं में टाटा स्टील फ़ाउंडेशन के चेयरमैन टी. वी. नरेंद्रन, डायरेक्टर डी. बी. सुंदरा रामम और सीईओ सौरव रॉय की मौजूदगी भी प्रमुख रही। सौरव रॉय ने संवाद को आदिवासी समुदायों की सदियों पुरानी ज्ञान-परंपरा और सांस्कृतिक विविधता का जीवंत मंच बताया।
दिनभर संवाद के विभिन्न सत्रों में आदिवासी व्यंजनों की परंपरा पर विचार-विमर्श, संवाद फ़ेलोशिप की शुरुआत और आदिवासी सिनेमा पर सामूहिक चर्चा जैसे कार्यक्रम शामिल रहे। ‘आतिथ्य’ क्यूज़ीन आउटलेट में 12 जनजातियों के 19 होम कुक्स ने पारंपरिक व्यंजन तैयार किए, जिनका आनंद लोग गोपाल मैदान में लगे स्टॉलों और ज़ोमैटो के माध्यम से ले सके। वहीं 18 राज्यों और 30 जनजातियों की 34 अनूठी कला शैलियों वाली प्रदर्शनी ने भारत की आदिवासी विरासत को नए रूप में सामने रखा। पारंपरिक चिकित्सकों ने भी अपनी उपचार पद्धतियों का प्रदर्शन कर लोगों को लुभाया।
संवाद 2025 पूरे सप्ताह चलेगा और देशभर से आए आदिवासी समुदायों को अपनी सांस्कृतिक पहचान साझा करने और परंपराओं को संरक्षित रखने का अवसर प्रदान करता रहेगा।

