लोकसभा चुनाव को लेकर झारखंड में बीजेपी के तमाम विधायकों की अग्नि परीक्षा बाकी है। इस बीच 24 अप्रैल को मुख्यमंत्री रघुवर दास ने गिरिडीह में दो टूक कहा कि अपने क्षेत्र में बढ़त नहीं लेने पर विधानसभा के चुनाव में मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जाहिर है मुख्यमंत्री ने संकेत दे दिया है कि विधायकों के वोट कम पड़े, तो उनके टिकट पर संकट होगा। गिरिडीह में भाजपा कोर कमेटी, चुनाव संचालन समिति के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में रघुवर दास ने यह भी कहा है कि जो काम नहीं कर रहे हैं, वे आराम करें। कमेटी में जगह भी काम देखकर दी जायेगी। मुख्यमंत्री के साथ संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह भी मौजूद थे।
जिस वक्त रघुवर दास भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को खरी- खरी सुना रहे थे, मंच पर नीरा यादव, निर्भय शाहबादी, नागेंद्र महतो सरीखे बीजेपी के विधायक भी मौजूद थे। झारखंड में बीजेपी के विधायकों की संख्या 43 है। कुछ ही महीनों के बाद दिसंबर में विधानसभा चुनाव भी होना है। जाहिर है विधायकों के लिए लोकसभा चुनाव अग्निपरीक्षा से कम नहीं।
इसके अलावा झारखंड में कई लोकसभा सीट में पड़ने वाले विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी का कब्जा ज्यादा है। मसलन कोडरमा लोकसभा क्षेत्र के छह में से पांच विधानसभा क्षेत्र पर बीजेपी का कब्जा है। इसी तरह गिरिडीह लोकसभा के छह विधानसभा क्षेत्र में से चार पर बीजेपी का कब्जा है। रांची लोकसभा में पांच विधानसभा क्षेत्र पर भाजपा का कब्जा है। जमशेदपुर में भी भाजपा विधानसभा वार मजबूत है। खूंटी में भी भाजपा की स्थिति अन्य दलों से अच्छी है। हजारीबाग में भी भाजपा का ही दबदबा है, तो पलामू की चार सीटों पर भाजपा का कब्जा है। अमूमन देखा जाये तो भाजपा हर विधानसभा क्षेत्र में अपनी मजबूत स्थिति अभी दर्शा रही है। धनबाद लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्र में भी पांच पर बीजेपी का कब्जा है। लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र के पांच विधानसभा क्षेत्रों में तीन पर भाजपा का कब्जा है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी के कई विधायकों को प्रभारी बनाया गया है। जाहिर है उनकी रणनीति और सक्रियता को भी लोकसभा चुनाव में तौला जायेगा। रही बात चुनावी कसरत की, तो यह सबसे अधिक भाजपा में होती रही है। मुख्यमंत्री रघुवर दास, भाजपा के प्रभारी और संगठन महामंत्री पूर्व में ही विधायकों के साथ कई दफा बैठक कर चुके हैं। अलग- अलग जगहों में मुख्यमंत्री के दौरे और कार्यक्रमों में भी बीजेपी के विधायक शामिल होते रहे हैं। जाहिर है मुक्यमंत्री रघुवर दास ने विधायकों पर दबाव बढ़ाना तेज किया है। वैसे ही लोकसभा चुनाव में तीन उम्मीदवारों के टिकट काटे जाने और एक को बैठाये जाने के बाद संकेत साफ हैं कि बीजेपी इसी लोकसभा चुनाव के वक्त विधायकों का वजन भी तौलना चाहती है। दूसरा रघुवर दास अगर विधायकों को आगाह करा रहे हैं, तो यह चुनावी रणनीति भी हो सकती है। जिस तरह से चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी के सांसदों और विधायकों के विरोध की आवाज उठती रही है, उससे भी बीजेपी के विधायको की बेचैनी बढ़ी है, जबकि जेएमएम और विरोधी दलों के कई दिग्गजों ने बीजेपी के कब्जे वाले कई विधानसभा क्षेत्रों में दबाव बढ़ा दिया है। विधानसभा चुनाव में कई विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। भले ही मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अभी इस बात को खुल कर कहा है कि लोकसभा चुनाव का परिणाम विधायकों के भाग्य को तय करेगा, लेकिन पिछले एक साल से इस पर काम हो रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने झारखंड दौरे में भी इस बात को स्पष्ट कर दिया था।
इसके बाद राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल ने भी झारखंड दौरे के क्रम में विधायकों के साथ बैठक में इस बात का संकेत दिया था कि लोकसभा चुनाव की जीत और हार ही विधायकों का भविष्य तय करेगा। भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व लगातार इस बात पर मंथन कर रहा है कि किस क्षेत्र में विधायकों और पार्टी कार्यकर्ताओं की उपलब्धि पार्टी हित में है। यही वजह है कि वतंर्मान के कोडरमा सीट से सांसद रविंद्र राय का टिकट कट गया। चतरा में भी काफी जद्दोजहद के बाद सुनील सिंह को फिर से टिकट दिया गया। दरअसल भाजपा जीत के लिए किसी तरह का संशय नहीं रखना चाहती है। विधानसभा चुनाव से पहले हो रहे लोकसभा चुनाव में विधायकों को कसौटी पर कसा जायेगा। पिछले दिनों मुख्यमंत्री के रोड शो के दौरान कांके विधानसभा में एक नजारा देखने को मिला। विधायक जीतूचरण राम के कारण मुख्यमंत्री रघुवर दास को जनता के विरोध का सामना करना पड़ा। कांके में सड़क नहीं बनने से नाराज लोगों ने मुख्यमंत्री के समक्ष शिकायत की। इसके दो दिन के बाद ही मुख्यमंत्री ने गिरिडीह में साफ संकेत दे दिया कि जिसका काम लोकसभा चुनाव में अच्छा नहीं होगा, उस पर गाज गिर सकती है।
दरअसल जनता अब अपने प्रतिनिधि से हर तरह का हिसाब लेती है। लोकतंत्र में यह पहली बार देखा जा रहा है कि जनता खुल कर अपने प्रतिनिधि से विकास की बात कर रही है। इसके उदहारण हैं चतरा के सांसद सुनील सिंह। मनातु में लोगों ने उनसे बीच सड़क पर घेर कर पांच साल का हिसाब मांगा। झारखंड भाजपा के कई विधायकों का रिपोर्ट कार्ड कमजोर है। इसमें मुख्य रूप से विधायक नारायण दास, जीतूचरण राम, आलोक चौरसिया, साधुचरण गोप के अलावा गांडेय विधायक जयप्रकाश वर्मा और सिमरिया विधायक गणेश गंझू शामिल हैं। इन सभी का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जा रहा है। कह सकते हैं कि लोकसभा चुनाव का परिणाम और विधायकों का रिपोर्ट कार्ड ही तय करेगा कि किसे विधानसभा में फिर से पार्टी मौका देगी।
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