रांची में फादर स्टेन स्वामी के घर फिर महाराष्ट्र पुलिस का छापा,
हार्ड डिस्क, मॉडम और अन्य कागजात जब्त
बंद कमरे में हुई घंटों पूछताछ
पिछले साल 28 अगस्त को भी स्वामी के घर पर महाराष्ट्र पुलिस ने की थी छापेमारी
एक साल से सबूत जुटा रही महाराष्ट्र पुलिस और एटीएस की टीम
महाराष्ट्र पुलिस और एटीएस की टीम एक साल से फादर स्टेन स्वामी के आवास से जब्त कागजात का अध्ययन और लैपटॉप के डाटा की पड़ताल कर रही थी। पर्याप्त सबूत जुटाने के बाद महाराष्ट्र की टीम मंगलवार शाम रांची पहुंची और बुधवार सुबह स्वामी के आवास पर छापेमारी शुरू कर दी। इस दौरान स्थानीय पुलिस भी मौके पर मौजूद रही। मीडिया को स्वामी के घर से बाहर रोक दिया गया।
पिछले साल 28 अगस्त को की गयी छापेमारी में पुलिस ने उनके घर से एक लैपटॉप, दो टैब, कुछ सीडी और दस्तावेज जब्त किये थे। उस दौरान पुणे पुलिस ने उन्हें मराठी में सर्च वारंट थमाया, तो उन्होंने हस्ताक्षर से इनकार कर दिया था। बाद में अनुवाद करने के बाद उन्होंने हस्ताक्षर किये थे। फादर स्टेन के खिलाफ देशद्रोह का मामला भी दर्ज किया गया था। उन पर महाराष्ट्र के अलनगर परिषद नक्सली संगठन को समर्थन देने का आरोप है। स्टेन स्वामी हाल के दिनों में झारखंड के विभिन्न जिलों में आदिवासी कैदियों के लिए काम करते रहे हैं। उनके समर्थकों के मुताबिक फादर वैसे आदिवासियों के लिए काम कर रहे हैं, जिन्हें नक्सली बता कर जेल में डाल दिया गया है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र के कोरेगांव के आंदोलन में कई गाड़ियों और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में स्टेन स्वामी पर मुकदमा दर्ज है।
बंद कमरे में पूछताछ
जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र पुलिस की टीम ने फादर से बंद कमरे में पूछताछ घंटों पूछताछ की। इसमें पुलिस को कई अहम जानकारी मिलने की बात कही जा रही है। महाराष्ट्र एटीएस की टीम ने बुधवार सुबह सात बजे स्थानीय थाना की मदद से नामकुम थाना क्षेत्र के बगीचा स्थित फादर स्टेन स्वामी के आवास पर छापा मारा। इस दौरान फादर स्टेन को अलग कमरे में बंद रखा गया।
कौन हैं फादर स्टेन स्वामी
तमिलनाडु में जन्मे और केरल में पले बढ़े स्टेन स्वामी की पहचान एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर है। वह पिछले कई दशकों से झारखंड के आदिवासी क्षेत्र में काम कर रहे हैं। स्वामी का दावा है कि नक्सली के नाम पर जेल में बंद 3000 विचाराधीन लोगों के लिए उन्होंने हाइकोर्ट में पीआइएल दाखिल की है। इसीलिए उन्हें परेशान किया जा रहा है। बीते 50 सालों से झारखंड में रह कर काम कर रहे हैं। पहले चाईबासा में रहकर आदिवासी संगठनों के लिए काम करते रहे। 2004 में रांची आकर आदिवासी अधिकार और विस्थापन के मुद्दे पर काम करते रहे हैं।
पिछले साल रांची, दिल्ली, महाराष्ट्र, गोवा और तेलंगाना में भी हुई थी छापामारी
इसके बाद महाराष्ट्र पुलिस ने देश स्तर पर कार्रवाई शुरू की। रांची समेत महाराष्ट्र, गोवा, तेलंगाना और दिल्ली में एक साथ छापेमारी की गयी। ये सभी छापामारी पुणे पुलिस और स्थानीय पुलिस ने एक साथ की। दिल्ली में गौतम नवलखा की गिरफ्तारी हुई। उनके लैपटॉप और कई कागजात को भी पुलिस ने जब्त कर लिया। दिल्ली के ही बदरपुर में सिविल राइट्स वकील सुधा भारद्वाज को भी हिरासत में लिया गया और उनके लैपटॉप, पेन ड्राइव, मोबाइल फोन जब्त किये गये। इतना ही नहीं, पुलिस ने सुधा की बेटी अनु भारद्वाज के इ-मेल और सोशल मीडिया एकाउंट को भी खंगाला। उधर, हैदराबाद में कवि और वामपंथी विचारक वरवरा राव, मुंबई में वरनेन गोंजाल्विस और सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरिया के घर की तलाशी ली गयी। इसी कड़ी में रांची के नामकुम में बगीचा टोली स्थित फादर स्टेन स्वामी के घर पर भी छापामारी की गयी। पुलिस के मुताबिक, जून 2018 में गिरफ्तार किये गये पांच एक्टिविस्ट्स से पूछताछ के आधार पर इनके नामों के खुलासे हुए थे, जिसके बाद सभी के घरों की तलाशी ली गयी।
पत्र से खुला मोदी, शाह और राजनाथ की हत्या की साजिश का राज
भीमा कोरेगांव हिंसा के बाद पुलिस ने पिछले साल जून में कुछ एक्टिविस्ट्स को गिरफ्तार किया था। तब पुलिस ने खुलासा किया था कि गिरफ्तार किये गये लोगों के पास से माओवादियों की चिट्ठी मिली थी। उस चिट्ठी में नक्सलियों द्वारा पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह और राजनाथ सिंह की हत्या की साजिश रचे जाने की बात लिखी हुई थी। इसमें पीएम मोदी की हत्या की साजिश पर खास फोकस था। पुलिस के अनुसार चिट्ठी में लिखा था कि नक्सली पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तरह ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करना चाहते हैं। पुलिस के मुताबिक, यह चिट्ठी 18 अप्रैल 2018 को रोणा जैकब द्वारा कॉमरेड प्रकाश को लिखी गयी थी। पुलिस के अनुसार इस चिट्ठी में कहा गया था कि हिंदू फासिस्म को हराना अब काफी जरूरी हो गया है। मोदी के नेतृत्व में हिंदू फासिस्ट तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, ऐसे में इन्हें रोकना जरूरी है। मोदी की अगुवाई में भाजपा बंगाल और बिहार को छोड़कर 15 से ज्यादा राज्यों में सत्ता में आ चुकी है। अगर इसी तरह भाजपा की यह रफ्तार बढ़ती रही, तो माओवादी पार्टी को खतरा हो सकता है।
इसलिए इस पर विचार किया जा रहा है कि राजीव गांधी हत्याकांड की तरह एक और घटना की जाये। अगर ऐसा होता है, तो यह एक तरह से सुसाइड अटैक लगेगा। हमें लगता है कि हमारे पास यह चांस है। मोदी के रोड शो को लक्ष्य करना एक अच्छी प्लानिंग हो सकती है।
पत्थलगड़ी मामले में स्वामी समेत 20 पर दर्ज है देशद्रोह का मुकदमा
फादर स्टेन स्वामी के तार पत्थलगड़ी से भी जुड़े हैं। 2018 में 30 जुलाई को खूंटी पुलिस ने फादर स्टेन स्वामी, कांग्रेस के पूर्व विधायक थियोडोर किड़ो सहित 20 अन्य लोगों पर देशद्रोह का केस दर्ज किया था। मामला खूंटी इलाके में पत्थलगड़ी किये जाने से संबंधित है। फादर स्टेन स्वामी एवं अन्य पर पुलिस ने आरोप लगाया था कि वे लोगों को धोखे में रख कर देश की एकता और अखंडता को तोड़ने में लगे हुए हैं। साथ ही इन लोगों पर सोशल मीडिया का सहारा लेकर लोगों को जबरन देशविरोधी गतिविधियों में शामिल करने सहित सांप्रदायिक और जातीय माहौल खराब करने, कानून व्यवस्था में व्यवधान पहुंचाने का आरोप पुलिस ने लगाया है। इन सभी पर आइपीसी की धारा 121 (देश के विरुद्ध युद्ध करना या उसके लिए उकसाना) आइपीसी की धारा 121 ए (देश के विरुद्ध युद्ध की साजिश करना) आइपीसी की धारा 124 ए (देश के खिलाफ बोल कर या लिख कर विद्रोह करना) के तहत एफआइआर दर्ज किया गया है।
एफआइआर में घाघरा कांड का भी जिक्र
पुलिस की एफआइआर में 26 जून के घाघरा कांड का भी जिक्र है। कहा गया है कि उस दिन पत्थलगड़ी समर्थकों ने सांसद कड़िया मुंडा के अंगरक्षकों का अगवा कर लिया था। इसकी सूचना मिलने पर जब पुलिस वहां पहुंची, तो ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया। सभी गुलेल, तीर कमान से लैस थे। पुलिस ने इसे नाजायज मजमा करार दिया। एफआइआर के अनुसार पुलिस जब अंगरक्षकों को छुड़ाने के लिए उनसे वार्ता करने के लिए जा रही थी, तो पुलिस पर हमला कर दिया गया। बाद में पुलिस ने जांच की तो पता चला कि कुछ लोग ग्रामीणों को भड़का रहे हैं। ग्रामीणों पर देश विरोधी कार्य के लिए दबाव डाला जा रहा था।
कई लोग एनजीओ से जुड़े हुए हैं
स्वामी एवं किड़ो के अलावा जिन लोगों पर केस दर्ज किया गया है, उनमें वाल़्टर कंडुलना, थामस रूंडा, बोलेस बबीता कच़्छप, बिरसा नाग, सुकुमार सोरेन, घनश्याम बिरुली, धर्मकिशोर कुल्लू, मुक़्ित तिर्की, अजल कंडुलना, विकास कोड़ा, विनोद कुमार, आलोका कुजूर, विनोद केरकेट्टा, सुमित केरकेट्टा, ए बिरुआ, राकेश रोशन किड़ो, सामु टुडू आदि शामिल हैं। बता दें कि इन लोगों में से कई लोग एनजीओ से जुड़े हुए हैं।
छापेमारी के बाद स्टेन बोले-कानून के तहत ही उठाऊंगा कदम
छापेमारी खत्म होने के बाद स्टेन स्वामी मीडिया के सामने आये। उन्होंने कहा कि पुलिस तलाशी लेने आयी थी। पहले भी उन्होंने मेंरे घर की तलाशी ली थी। अब फिर ली है। मैंने कोई विरोध नहीं किया है। मुझे जो भी करना है, कानून के तहत ही करूंगा। कानून के तहत ही आगे कदम उठाऊंगा।