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    Home»Breaking News»चुनौतियों को अवसर में बदलने का हो रहा प्रयास : हेमंत सोरेन
    Breaking News

    चुनौतियों को अवसर में बदलने का हो रहा प्रयास : हेमंत सोरेन

    azad sipahiBy azad sipahiMay 25, 2020No Comments4 Mins Read
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    आजाद सिपाही संवाददाता

    रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि फेम इंडिया द्वारा जो स्थान दिया गया है, उसके लिए उन्हें धन्यवाद देना चाहते हैं, लेकिन खुशी उस वक्त होगी, जब हमारा राज्य विकास के मुद्दे पर उच्चतम स्थान हासिल करेगा। बता दें कि फेम इंडिया और एशिया पोस्ट द्वारा 2020 में 50 प्रभावशाली व्यक्तियों की सर्वे रिपोर्ट में हेमंत सोरेन 12वें पायदान पर हैं। प्रभावशाली भारतीयों की सूची में शामिल होने की सूचना रविवार को मुख्यमंत्री को मीडिया के माध्यम से मिली।

    इसके बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 को लेकर जो चुनौतियां थीं, उनका आकलन पूर्व में ही कर लिया गया था और चुनौतियों से कैसे निपटना है, उसके लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर ली गयी थी। उन्होंने कहा कि जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास तभी सफल हो सकता है, जब आपकी नीतियों में पारदर्शिता हो और जो व्यवस्थाएं हैं, उनमें बेहतर करने के प्रयास किये जायें। उन्होंने कहा कि जनता की भावनाओं का सम्मान करना हर सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। अब व्यवस्था को गति देनी है, ताकि कोविड-19 जैसी महामारी से उबरा जा सके और वह इसी प्रयास में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि चुनौतियां अभी शुरू हुई हैं। खुशी इस बात की है कि झारखंड पहला राज्य है, जो प्रवासी मजदूरों को बाहर से अपने प्रदेश में लाने में अव्वल रहा है। हमारे संकल्प का यह हिस्सा है कि जो प्रवासी मजदूर हैं, उन्हें फिर से रोजगार के लिए अन्य राज्यों में न जाना पड़े, वे अपने ही घर में रोजगार पायें।

    हेमंत ने कहा कि व्यवस्था के उच्चतम पद पर बैठकर अगर मजदूरों, गरीबों के लिए आप कुछ नहीं कर पाये, तो ऐसे पद का क्या फायदा। हमारी चिंता इस वक्त सबसे अधिक है और उसी के अनुरूप विकास की कार्ययोजना बनायी जा रही है। सभी मजदूरों का डाटाबेस तैयार किया जा रहा है। आर्थिक स्तर पर तथा रोजगार स्तर पर कई गंभीर चुनौतियां हैं, लेकिन यह एक अवसर भी है,  जिसके माध्यम से हम राज्य को आत्मनिर्भर बना सकते हैं। संघर्ष करने की जरूरत है, क्योंकि चाह से ही राह निकलती है। राज्य में संसाधनों की कमी नहीं है। यहां की प्राकृतिक संपदा एवं उपलब्ध संसाधनों में तालमेल बिठा कर विकास की जमीन तैयार की जा सकती है।

    केंद्र सरकार से मांगा बकाया पैसा

    बाद में एक निजी चैनल से बातचीत में मुख्यमंत्री ने झारखंड के अधिकारों को लेकर एक बार फिर आवाज उठायी। उन्होंने केंद्र सरकार से झारखंड का बकाया पैसा जल्द से जल्द देने की मांग की। मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड की माली हालत ठीक नहीं है और राज्य पूरी तरह से केंद्र सरकार पर निर्भर है। केंद्र सरकार को झारखंड का बकाया पैसा जल्द से जल्द जारी करना चाहिए, ताकि यहां की स्थिति सुधर सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संकट के इस दौर में झारखंड सरकार पूरी ताकत से काम कर रही है। किसी को पता नहीं था कि झारखंड के इतने लोग बाहर रहते हैं। अब जब ये लोग लौट रहे हैं, इनके लिए पूरी व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि लौटनेवाले लोगों ने कहा है कि नून-रोटी खायेंगे, लेकिन अब बाहर नहीं जायेंगे। सरकार इस पर ध्यान दे रही है और गंभीरता से रणनीति बना रही है। झारखंड सरकार इन सभी लोगों की रोजी-रोटी की व्यवस्था करने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार के पास संसाधनों की कमी नहीं है, लेकिन हमें सभी का सहयोग चाहिए। यह समय है कि झारखंड का एक-एक व्यक्ति राज्य को संवारने में जुट जाये। जब सभी लोग एक होकर काम करेंगे, तब झारखंड को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकेगा।

    रैयतों को ही दिया जाये खनन पट्टा

    मुख्यमंत्री ने कोयला खनन के क्षेत्र में निजी कंपनियों के प्रवेश की अनुमति दिये जाने के फैसले के बारे में कहा कि केंद्र को उनके द्वारा दिये गये सुझाव पर ध्यान देना चाहिए। वह पहले ही कह चुके हैं कि जिस जमीन पर कोयला का खनन होना है, उसकी अनुमति संबंधित रैयत को ही दिये जाने पर विचार किया जाना चाहिए। इससे उस रैयत को काम भी मिलेगा और उसकी आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी।

    पिछली सरकार ने फिजूलखर्ची की

    मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकार की फिजूलखर्ची के कारण राज्य  का खजाना पूरी तरह खाली हो गया है। इसे भरने के लिए तमाम जरूरी कदम उनकी सरकार उठा रही है। कई योजनाओं को बंद कर दिया गया है, क्योंकि इनसे राज्य का अहित हो रहा था।

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