बेगूसराय। लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में प्रवासियों की घर वापसी को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गरीबों के लिए शुरू किए गए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान में भले ही लोगों को तत्काल 125 दिन का काम मिले। लेकिन इससे बाद होने वाले फायदों की जानकारी मिलने से प्रवासी श्रमिकों में एक नई आशा का संचार हुआ है। लॉकडाउन के दौरान किसी तरह अपने घर वापस आए ढेर सारे श्रमिकों को बिहार सरकार द्वारा शुरू किए गए मनरेगा और जल जीवन हरियाली समेत अन्य योजना में काम मिला। इसके अलावा तमाम बड़ी एजेंसियों और अन्य विभागीय कार्यों में प्रवासी लगाए गए हैं। उसके बाद शुरू हुए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान से भी काम दिलाने की कवायद की जा रही है। इसकी जानकारी जब अब भी देश के विभिन्न शहरों में रह रहे बिहारी कामगारों को मिल रही है तो वह सब गांव की ओर रुख कर चुके हैं। देश के विभिन्न शहरों से लगातार श्रमिकों की घर वापसी से लग रहा है कि अब अपने श्रम शक्ति से बिहार प्रगतिशील बनेगा और श्रमिक बनेंगे आत्मनिर्भर।
प्रधानमंत्री द्वारा आत्मनिर्भर भारत निर्माण के ही एक कड़ी के रूप में शुरू किए गए प्रधान गरीब कल्याण रोजगार अभियान की शुरुआत से लग रहा है कि खाना देखें 73 साल बाद अब देश में कोई ऐसी सरकार आई है जो गरीबों के हित में सोच रही है। विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से समाज के अंतिम पंक्ति तक में बैठे लोगों को राहत पहुंचाए जा रहे हैं। कुछ ऐसा ही कहना है असम से लौटे प्रवासी कामगारों का। 2007 के में आई प्रलयंकारी बाढ़ के बाद से ही असम में रह रहे रोसड़ा के रंजीत पासवान, राम शंकर पासवान, गणेश पासवान, दीपू पासवान आदि ने बेेगूसराय स्टेशन पर बताया कि अपने बिहार में सरकारों ने श्रमिक के लिए कुछ नहीं किया, जिसके कारण हम जैसे लाखों श्रमिक देश के विभिन्न शहरों में दुख दर्द खेलते हुए परिवार के लिए दिन रात एक कर काम करते हैं। लॉकडाउन में परेशानी हुई, इसके बावजूद मजबूरी में रह रहे थे। इसी बीच मोबाइल समेत विभिन्न माध्यम से जानकारी मिली की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा हम गरीबों के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया गया है। घर से भी फोन आया कि प्रधानमंत्री के अभियान में अब सब गरीबों को काम मिलेगा, घर वापस आ जाओ तो हम लोग वापस गांव आ गए हैं। श्रमिकों ने बताया कि मिली जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री का यह अभियान हम लोगों के लिए अच्छे दिन लेकर आया है। मोदी जी ने घर दिया, घर में बल्ब जला दिया, खाना बनाने के लिए गैस दे दिया, लॉकडाउन में परेशानी हुई तो मुफ्त में राशन दिया जा रहा है और अब हम सब काम करने वालों के लिए रोजगार की व्यवस्था की जा रही है। इससे बड़ी बात क्या होगी, अभियान शुरू किया गया है तो जरूर कुछ ना कुछ फायदा होगा। यह अभियान जब हम सब के लिए है तो हम सब क्यों परदेश में रहे। असम में रहकर दिहाड़ी मजदूरी करते थे, काम सब दिन मिलने की कोई गारंटी नहीं थी। अब घर आ गए हैं तो गरीब कल्याण रोजगार अभियान में काम करेंगे, मुखिया जी से कहकर मनरेगा का जॉब कार्ड बनवा लेंगे। पता चला है कि जॉब कार्ड वाले को सब दिन काम मिलता है तो हम लोगों को भी काम मिलेगा। गांव में ही रहकर अपने परिश्रम के बल पर अपने परिवार को आर्थिक रूप से समृद्ध करेंगे। हम लोगों को अब कोई ठग नहीं सकता है, हम लोग भी अब स्क्रीन टच मोबाइल रखते हैं और रात में देश दुनिया की सब जानकारी मिल जाती है।