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    Home»Top Story»केवीके की भूमिका कृषि कोतवाल की: तोमर
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    केवीके की भूमिका कृषि कोतवाल की: तोमर

    sonu kumarBy sonu kumarAugust 1, 2020No Comments4 Mins Read
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    केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र तोमर ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) की 27वीं जोनल कार्यशाला के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे देश के गांवों और किसानों की ताकत को न कोई मुगल खत्म कर पाए, न ही अंग्रेज हिला पाए और न ही अन्य कोई तोड़ पाया। अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी गांवों व किसानों की ही अग्रणी भूमिका रहेगी। उन्होंने शनिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि केवीके की भूमिका कृषि कोतवाल की है, वे आपस में सकारात्मक प्रतिस्पर्धा करें। कृषि की प्रगति- उन्नति का भाव हरेक के मन में हो तो कृषि के विकास के साथ-साथ देश को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकेगा।

    तोमर ने कहा कि आज खेती की दृष्टि से भारत संतुष्टि की स्थिति में है। दूध एवं अन्य खाद्य पदार्थों के उत्पादन के मामले में भी हमारा देश बहुत अच्छी स्थिति में है। यह सब किसानों एवं वैज्ञानिकों की अथक मेहनत का सुफल है। छत्तीसगढ़ जहां धान का कटोरा है, वहीं मध्य प्रदेश देश में दलहन-तिलहन उत्पादन में अग्रणी है और सात साल से कृषि कर्मण अवार्ड पा रहा है।
    उन्होंने कहा कि केवीके कृषि की प्रगति-उन्नति के लिए है, यह भाव हरेक कर्मचारी के मन में होना चाहिए। सभी केवीके को प्रतिस्पर्धी होना चाहिए, ताकि कृषि के विकास के साथ देश और ऊंचाइयों पर पहुंचे। केवीके के परिश्रम से अच्छी उपलब्धियां अर्जित हुई हैं, यह भी सोचा जाए कि कार्यक्षेत्र की कमजोरियां कौन-सी हैं और उन्हें दूर करने का रौडमेप बनाएं। समाज व एनजीओ को जोड़ते हुए बेहतर काम करना चाहिए।
    केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के आह्वान पर किसानों को मृदा स्वास्थ्य परीक्षण कार्ड वितरण का कार्य अच्छे से हुआ। स्थितियों को और अच्छा बनाने पर भी विचार व कार्य होना चाहिए। केवीके कृषि कोतवाल के रूप में है। उन्हें समाज को, युवाओं को जोड़ना होगा जो कृषि विस्तार को कुशलतापूर्वक आगे बढ़ा सकें।
    तोमर ने कहा कि आपदाओं पर विजय प्राप्त करने की ताकत कृषि व्यवस्था और ग्रामीण भारत के पास ही है। कोरोना संकट में तमाम प्रतिकूलताओं के बावजूद फसल कटाई हुई, ग्रीष्म ऋतु की फसलें अच्छे से बोई गईं और उपार्जन भी बेहतर हुआ। प्रधानमंत्री ने लोकल फॉर वोकल का नारा दिया, जो ग्रामीण व्यवस्था से ही जुड़ा है। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की बात जब आती है तो ग्रामीण, किसान, गरीब आदमी, कर्मचारी, कृषि वैज्ञानिक, सबके कंधों पर जवाबदारी है। गांव व किसान, मुख्यतः इन दो के परिश्रम से ही भारत आत्मनिर्भर बनने वाला है।
    उन्होंने कहा कि हमारे वैज्ञानिक बहुत विजनरी हैं, सिर्फ खेती ही नहीं अन्य क्षेत्रों में भी उनकी महारत है। खेती में उत्पादन व उत्पादकता बढ़े, साथ ही आने वाले कल में खेती के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़े, यह बहुत जरूरी है। अन्यथा भविष्य में जो चुनौतियां आएंगी, उससे निपटना मुश्किल होगा। शहरीकरण बढ़ रहा है, ऐसे में कुछ किसान सोचते हैं कि वे अच्छे दामों पर जमीन बेच दें। इससे खेती का रकबा कम होगा, ऐसे में केवीके योजनाबद्ध ढंग से सुनिश्चित कर सकता है कि छोटे रकबे में भी खेती कैसे लाभप्रद हो और अन्य कार्य कर रहे पढ़े-लिखे तबके में भी खेती के प्रति आकर्षण पैदा करें।
    तोमर ने जैविक व प्राकृतिक खेती पर बल देते हुए कहा कि जैविक खेती कोई एक रस्म नहीं है, यह तो हमारी जरूरत है। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी और धरती को ठीक रखने के लिए भी। वहीं यह पशुपालन तथा किसानों की अच्छी आमदनी एवं निर्यात बढ़ाने के लिए भी आवश्यक है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में आदिवासी बड़ी संख्या में है। वे जो खेती करते हैं, वह जैविक होती है, क्योंकि वे कोई केमिकल-फर्टिलाइजर उपयोग नहीं करते। ऐसी खेती चिन्हित कर उस पर फोकस करते- समझाते हुए उन्हें बेहतर तरीके बताएं, जो आय बढ़ाने में मददगार हो। इससे देश में आर्गेनिक खेती का रकबा बढ़ेगा और पशुधन भी लाभप्रद होगा।
    तोमर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती हम सभी के सामने है। इस मामले में केवीके क्षेत्रवार पूरी तैयारी करे। मृदा स्वास्थ्य के लिए जागरुकता कार्यक्रम चलाए, सरकार इसके लिए धनराशि देगी।
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    sonu kumar

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