देश के विभिन्न राज्यों से परेशान होकर घर वापस लौटे श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न विभागों द्वारा बड़े पैमाने पर योजनाएं चलाई जा रही है। श्रमिकों को काम देने के लिए शुरू किए गए गरीब कल्याण रोजगार अभियान का जबरदस्त असर हुआ। इस अभियान के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार द्वारा शुरू किए गए आत्मनिर्भर भारत अभियान ने परदेस से घर लौटे और परदेस में रह रहे कुशल कामगारों को एक नया हौसला दिया है। देश के विभिन्न शहर में रह रहे कामगारों के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत अभियान ने गांव में रहकर रोजगार की तलाश कर रहे शिक्षित बेरोजगारों को भी एक हौसला दिया है तथा लोग बड़ी संख्या में स्वरोजगार के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
उद्योग विभाग एवं श्रम संसाधन विभाग से जानकारी लेकर प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम का लाभ लेने के प्रयास में जुट गए हैं। जब बड़ी संख्या में प्रवासी अपने घर वापस लौटे तो यहां रोजगार शुरू करने की उम्मीद पाले लोगों को राहत मिली है कि अब कुशल श्रमिक की कमी नहीं होगी। जब गांव-गांव में कुशल श्रमिक उपलब्ध हैं तो हर इलाका औद्योगिक रूप से समृद्ध हो सकता है। गांव को समृद्ध बनाने के लिए शासन-प्रशासन के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक संगठन भी आगे आए हैं तथा ऐसी हालत फिर नहीं हो इसके लिए महिलाओं को भी प्रेरित कर रहे हैं।
सरकार की योजना और प्रशासनिक सहयोग की कार्य योजना कुछ ऐसी है की रोज ब रोज देश के विभिन्न हिस्सों से अभी भी घर लौट रहे श्रमिक सब कुछ भूल कर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से कदम कदम आगे बढ़ा रहे हैं।
केरल के तिरुवनंतपुरम एवं कोच्चि से लौटे संजय महतों, सुरेश महतों, राजीव महतों, विवेक कुमार, रामसेवक कुमार तथा राजू महतों आदि ने बताया कि वे लोग करीब दस वर्षों से तेल, आयुर्वेदिक दवा एवं औषधीय रसायन बनाने की फैक्ट्री में काम कर रहे थे। इस दौरान गांव के, अपने इलाके के जान पहचान वाले 25 से अधिक लोगों को अपने कंपनी के साथ बगल के अन्य कंपनियों में काम दिलवाया। अभी पता चला कि बिहारी श्रम शक्ति का उपयोग कर बिहार को औद्योगिक और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया है। जिसके कारण हम लोग प्राइवेट नौकरी छोड़कर गांव आ गए हैं, गांव आने से पहले प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के लिए ऑनलाइन आवेदन कर दिया है। इस योजना के तहत सरकारी सहायता लेकर अपने इलाके में ही सुगंधित ठंडा तेल और आयुर्वेदिक दवा बनाने की शुरुआत करेंगे। आसपास के जंगलों में दर्जनों प्रकार के ऐसे पौधे हैं जिनका आयुर्वेदिक दवा के रूप में उपयोग होता है। हम लोगों को केरल में इसका प्रशिक्षण दिया गया, उसी प्रशिक्षण का फायदा उठाकर यहां आयुर्वेदिक दवा पैक करेंगे। हमारी दवा गुणवत्ता पूर्ण होगी, उसमें कोई केमिकल नहीं रहेगा तो लोगों के स्वास्थ्य में सुधार होगा। हमारी दवा का जब फायदा होगा तो बिक्री बढ़ेगी। इससे हम खुद आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ अन्य शिक्षित बेरोजगारों को भी निर्णय आत्मनिर्भर करेंगे। ऐसा प्रण कर गांव आ गए हैं और अब किसी हालत में परदेस नहीं जाएंगे।