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    Home»दुनिया»पाकिस्तानी अखबारों सेः चुनावों सुधारों को लेकर सरकार और इलेक्शन कमीशन आमने-सामने
    दुनिया

    पाकिस्तानी अखबारों सेः चुनावों सुधारों को लेकर सरकार और इलेक्शन कमीशन आमने-सामने

    sonu kumarBy sonu kumarJune 23, 2021Updated:June 23, 2021No Comments5 Mins Read
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    पाकिस्तान से बुधवार को प्रकाशित अधिकांश समाचारपत्रों ने सरकार और चुनाव आयोग के आमने-सामने आने की खबरें प्रकाशित की है। अखबारों ने लिखा है कि सरकार की तरफ से चुनाव सुधारों के लिए संसद में चुनाव सुधार विधेयक पेश करने की तैयारी की जा रही है जिसका चुनाव आयोग विरोध कर रहा है। सरकार का कहना है कि चुनाव आयोग संसद से यह सवाल नहीं कर सकता कि कानून संवैधानिक है या नहीं। चुनाव आयोग का काम है कि संसद जो भी कानून पास करे, उस पर पाबंद रहे। सरकार की तरफ से चुनाव सुधारों के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के इस्तेमाल के साथ-साथ विदेशों में रहने वाले पाकिस्तानियों को वोट देने का अधिकार देने की तैयारी की जा रही है।
    अखबारों ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज के लीडर शहबाज शरीफ के जरिए एफआईए में पेश होने और उनसे एक घंटा पूछताछ किए जाने की खबरें भी दी हैं। अखबारों ने लिखा है कि  एफआईए के अधिकारियों ने उन्हें दोबारा गाड़ी से उतारकर भी पूछताछ की है। एफआईए शहबाज शरीफ से रमजान शुगर मिल्स के कर्मचारियों के खातों में भेजे गए 25 अरब रुपये डालने पर जवाब तलब किया है।
    अखबारों ने संसद में बजट पर चर्चा के दौरान सत्तापक्ष के सदस्यों के आपस में भिड़ने की भी खबर दी है। अखबारों ने लिखा है कि सत्तापक्ष के सदस्य बजट पर चर्चा के दौरान आपस में उलझ पड़े और एक दूसरे को धक्के और धमकियां देने लगे। चर्चा के दौरान सत्तापक्ष के सदस्यों के जरिए सरकार पर और प्रधानमंत्री इमरान खान पर टीका टिप्पणी किए जाने पर हंगामा किया गया है।
    अखबारों ने प्रधानमंत्री इमरान खान के जरिए अमेरिकी टेलीविजन को दिए गए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी से सम्बंधित की गई बातों को सेंसर किए जाने की खबरें भी दी हैं। अखबारों ने लिखा है कि इमरान खान के जरिए प्रधानमंत्री मोदी के बारे में कुछ बातें कहीं गई थी जिसे टीवी चैनल ने बाद में सेंसर कर दिया है। अखबारों ने प्रधानमंत्री इमरान खान के जरिए अमेरिकी टेलीविजन पर महिलाओं के प्रति की गई टिप्पणी का पाकिस्तान में विरोध शुरू होने के बाद सत्ताधारी तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की महिला नेताओं ने सामने आकर इमरान खान का बचाव किया है और कहां है कि जो लोग इमरान खान की इस टिप्पणी का विरोध इस टिप्पणी का विरोध कर रहे हैं, उन्हें इमरान खान का पूरा इंटरव्यू सुनना चाहिए।
    अखबारों ने अफगानिस्तान समस्या को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति के जरिए इमरान खान को फोन नहीं किए जाने पर एक सीनेटर के जरिए उनको निशाना बनाए जाने की खबरें भी दी है। अमेरिकी सीनेटर का कहना है कि राष्ट्रपति जो-बाइडन को अफगानिस्तान से निकलने से पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से बात करनी चाहिए थी और इस समस्या के समाधान का हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए थी।
    अखबारों ने कतर के जरिए पाकिस्तान को 10 लाख कोरोना वैक्सीन दिए जाने की भी खबर दी है। अखबारों ने लिखा है कि नेशनल असेंबली स्पीकर असद कैसर ने कतर के राजदूत शेख सऊद बिन अब्दुल रहमान से मुलाकात की है। इस मुलाकात के दौरान ही राजदूत ने कतर के फैसले से उन्हें अवगत कराया है। यह सभी खबरें रोजनामा पाकिस्तान, नवाएवक्त, औसाफ, रोजनामा खबरें, रोजनामा जंग, एक्सप्रेस न्यूज और रोजनामा दुनिया ने अपने पहले पन्ने पर छापी हैं।
    रोजनामा एक्सप्रेस न्यूज में जम्मू-कश्मीर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कल आयोजित होने वाली सर्वदलीय बैठक के सम्बंध में एक खबर छापी है जिसमें बताया गया है कि कश्मीर की राजनीतिक दलों ने एकमत होकर कल की बैठक के लिए रणनीति बनाई है। उस पर खुलकर वो प्रधानमंत्री से बात करेंगे। अखबार ने लिखा है कि प्रधानमंत्री की तरफ से भेजे गए दावतनामे में बैठक के एजेंडा के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है। अखबार ने जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का एक बयान भी छापा है जिसमें उन्होंने कहा है कि बेहतर होता कि बातचीत से पहले देश के विभिन्न जेलों में बंद कश्मीरी कैदियों को रिहा किया जाता। अखबार का कहना है कि फारूक अब्दुल्लाह का कहना है कि इस मीटिंग से कुछ ना कुछ जरूर निकलेगा। अखबार में कश्मीरी विशेषज्ञों का भी एक बयान छपा है जिसमें कहा गया है कि यह मीटिंग भारत सरकार की कश्मीर की पॉलिसी का ही हिस्सा है।
    रोजनामा नवाएवक्त ने विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का एक बयान छापा है जिसमें उन्होंने कहा है कि भारत कश्मीर में रेफरेंडम कराए। कुरैशी का कहना है कि 5 अगस्त 2019 को लिए गए फैसले पर भारत को दुनियाभर में फैले कश्मीरियों में रेफरेंडम कराना चाहिए। अगर दुनिया भर के कश्मीरी इस फैसले को रद्द कर दे तो भारत को भी अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। उनका कहना है कि भारत में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करके एकतरफा कार्रवाई की है जिसका विरोध कश्मीरी कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि दुनिया के देशों को भारत के जरिए की गई इस कार्रवाई का नोटिस लेकर सवाल जवाब करना चाहिए क्योंकि कश्मीर एक अंतरराष्ट्रीय समस्या के तौर पर दुनिया के सामने मौजूद हैं।
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