2019 में चीन के वुहान में पहली बार मिला कोरोना वायरस ने लगभग दो सालों में पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। इस वायरस ने न सिर्फ तेजी से अपना विस्तार किया बल्कि उतनी ही तेजी से इसमें म्यूटेशन भी हुआ। वायरस अब तक इतने रूप बदल चुका है कि इसकी जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को ग्रीक वर्णमाना के अक्षरों के आधार पर इसका नामकरण करना पड़ा। वायरस में लगातार हो रही उत्परिवर्तन ने विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा रखी है क्योंकि इसके नए वेरिएंट में प्रतिरोधी कार्यप्रणाली से लड़ने की क्षमता विकसित होने से चिंता बढ़ती जा रही है। इसी साल गर्मियों में डेल्टा वेरिएंट ने भारत में जमकर तबाही मचाई थी और दुनिया के कई देशों में यह पहुंच चुका है। हम ऐसे ही कुछ वेरिएंट के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जो दुनिया में प्रमुख बने हुए हैं।
अभी भी डेल्टा सबसे प्रमुख
भारत में पहली बार पहचाना गया डेल्टा वेरिएंट इस समय पूरी दुनिया में चिंता का विषय बना हुआ है। वायरस का यह वेरिएंट कई देशों में आबादी को प्रभावित कर रहा है और पिछले वेरिएंट की तुलना में टीकाकरण वाले लोगों को अधिक मात्रा में संक्रमित करने में सक्षम है।
डब्ल्यूएचओ ने डेल्टा वेरिएंट को चिंता के एक प्रकार के रूप में वर्गीकृत किया है जिसके मायने हैं कि यह वेरिएंट संक्रमण को फैलाने, अधिक गंभीर बीमारी पैदा करने और टीकों से मिलने वाली सुरक्षा को भेदने में सक्षम है।
डेल्टा की सबसे बड़ी ताकत इसकी तेजी से संचरण होना है। चीनी शोधकर्ताओं ने पाया कि डेल्टा से संक्रमित लोगों की नाक में कोरोना वायरस के मूल वेरिएंट की तुलना में 1260 गुना अधिक वायरस होते हैं। जबकि कुछ अमेरिकी शोध में ये कहा गया है कि डेल्टा से संक्रमित होने वाली टीकाकरण वाले व्यक्तियों में वायरल लोड उन लोगों के बराबर है जिन्हें टीका नहीं लगाया गया है।
लैम्ब्डा वेरिएंट
दिसम्बर में पेरू में पहली बार पहचाने गए लैम्ब्डा वेरिएंट ने संभावित खतरे के रूप में लोगों का ध्यान आकर्षित किया था लेकिन यह वेरिएंट धीरे-धीरे कम हो रहा है। हालांकि जुलाई में लैम्ब्डा से जुड़े मामले बढ़े थे लेकिन पिछले चार सप्ताह से वैश्विक स्तर पर इस वेरिएंट के मामलों में कमी देखी जा रही है।
डब्ल्यूएचओ ने लैम्ब्डा को वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के रूप में वर्गीकृत किया है। जिसका अर्थ है कि इसमें उत्परिवर्तन होने या अधिक गंभीर होने का संदेह है लेकिन यह अभी जांच के अधीन है। लैब के अध्ययनों से पता चलता है कि इसका उत्परिवर्तन टीकों से बनने वाली एंटीबॉडी का विरोध करता है।
एमयू- निगरानी में शामिल
एमयू वैरिएंट, जिसे पहले बी.1.621 के नाम से जाना जाता था, को पहली बार जनवरी में कोलंबिया में पहचाना गया था। कई म्यूटेशन की पहचान के बाद डब्ल्यूएचओ ने 30 अगस्त को इसे वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के रूप में नामित किया।
एमयू वेरिएंट ई484के, एन501वाई और डी614जी सहित प्रमुख उत्परिवर्तन करता है, जिन्हें बढ़ी हुई संप्रेषणीयता और कम प्रतिरक्षा सुरक्षा के लिए जिम्मेदार माना गया है।
डब्ल्यूएचओ ने पिछले सप्ताह बताया था कि एमयू ने दक्षिण अमेरिका और यूरोप में कई जगहों पर बड़ा असर किया है। एमयू कोलंबिया में वेरिएंट अनुक्रमण में 39% वेरिएंट और इक्वाडोर में 13% का प्रतिनिधित्व करता है। जहां इसकी व्यापकता “लगातार वृद्धि हुई है।
विश्व स्वास्थ्य संस्था दक्षिण अमेरिका में बदलाव के लिए एमयू पर नजर बनाए हुए हैं। खासतौर पर उन क्षेत्रों में जहां पर डेल्टा वेरिएंट की भी मौजूदगी देखी गई है। पिछले हफ्ते एक प्रेस वार्ता में, व्हाइट हाउस के मुख्य चिकित्सा सलाहकार डॉ. एंथनी फाउची ने भी कहा कि अमेरिकी अधिकारी इसे देख रहे हैं, लेकिन अभी तक एयू को तत्काल खतरा नहीं माना जा रहा है।
कई और वेरिएंट आ रहे
कोविड-19 का वायरस तेजी से फैलने और म्यूटेशन के लिए जाना जाता है यही वजह है कि सभी लोगों को टीका लगवाना अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि गरीब देशों की आबादी के बीच वायरस के अनियंत्रित उभार से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मदद को बढ़ाया जाना चाहिए जिससे अधिक से अधिक लोगों को टीका लगाया जा सके।
चूंकि टीके गंभीर बीमारी और मौत से बचाव में सक्षम लेकिन फिर वह संक्रमण को पूरी तरह से रोक पाने में प्रभावी नहीं हो पा रहे हैं हमें अभी सावधानी बरतने की जरूरत है।