रांची के डोरंडा स्थित जोनल आइजी पंकज कंबोज के कार्यालय में मंगलवार को झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ के अधिकारियों के सामने जोनल कमांडर 10 लाख के इनामी नक्सली सुरेश सिंह मुंडा और उसके सहयोगी दो लाख के इनामी लोदरो लोहार ने आत्मसमर्पण कर दिया। सुरेश ने बेटी की बातों से प्रभावित होकर यह निर्णय किया।
सुरेश सिंह मुंडा रांची के बुंडू थाना अंतर्गत बाराहातू का रहने वाला है। सुरेश सिंह मुंडा के गांव में कुंदन पाहन के दस्ते का आना-जाना था। वर्ष 1998 में कुंदन पाहन दस्ता उसे साथ ले गया। चांडिल-बुंडू जोन में स्थित जनमिलिशिया गांव का काम दिया। सुरेश सिंह मुंडा का काम था पुलिस की गतिविधि की सूचना पार्टी तक पहुंचाना। सुरेश सिंह मुंडा 25 वर्ष तक संगठन में शामिल रहा। हाल के दिनों में सुरेश सिंह मुंडा की 14 साल की नाबालिग बेटी ने चिट्ठी भेजी थी। बेटी की चिट्ठी से प्रभावित होकर सुरेश सिंह मुंडा ने हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्य धारा से जुड़ने का प्लान बनाया था।
नाबालिग बेटी की चिट्ठी ने मुख्य धारा में लौटने को प्रेरित किया। दिसम्बर 2021 में सुरेश सिंह मुंडा ने सहयोगी लोदरो लोहरा के साथ संगठन छोड़ दिया। इसके बाद पुलिस से संपर्क बनाया। सरेंडर के वक्त सुरेश सिंह मुंडा की नाबालिग बेटी भी मौजूद थी। सुरेश सिंह मुंडा की बेटी नौंवी कक्षा की छात्रा है। पहली बार अपने पिता से मिलने स्कूटी से रांची पहुंची थी। वर्ष 2007 में बीमारी की वजह से सुरेश सिंह मुंडा की पत्नी की मौत हो गयी है।
सुरेश सिंह मुंडा का एक भाई गुलशन मुंडा भी नक्सली संगठन से जुड़ा है। सुरेश सिंह मुंडा ने बताया कि माओवादी के पोलित ब्यूरो सदस्य मिसिर बेसरा इन दिनों कोल्हान इलाके में सक्रिय है, जबकि अनल उर्फ तूफान उर्फ पतिराम मांझी उर्फ पतिराम मरांडी उर्फ रमेश सक्रिय है।