Author: azad sipahi desk

रांची। बूटी बस्ती में बीटेक की छात्रा के साथ दुष्कर्म के बाद जलाकर उसकी हत्या करने के मामले में सीबीआइ कोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाया। सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एके मिश्र की कोर्ट ने आरोपी राहुल राज उर्फ रॉकी राज उर्फ अंकित उर्फ राज श्रीवास्तव उर्फ आर्यन को दोषी ठहराया। कोर्ट ने अभियुक्त को सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए शनिवार की तिथि निर्धारित की है। सीबीआइ ने राहुल के खिलाफ 30 अक्तूबर को आरोप तय किया था। जांच अधिकारी ने 19 सितंबर को चार्जशीट दाखिल की थी। सीबीआइ ने 23 वर्षीय आरोपी को लखनऊ जेल से प्रोडक्शन…

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झारखंड की पांचवीं विधानसभा के लिए पांच चरणों में संपन्न चुनाव कई मायनों में खास रहा। सबसे खास बात यह रही कि यह पूरा चुनाव चक्र दो नेताओं के इर्द-गिर्द घूमता रहा। पहला चेहरा स्वाभाविक तौर पर पहली बार राज्य में पांच साल तक सरकार चलानेवाले रघुवर दास का था, तो दूसरा चेहरा झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन का था। भाजपा ने जहां रघुवर दास को अगले सीएम के रूप में पेश किया, वहीं झामुमो के नेतृत्व में कांग्रेस और राजद ने हेमंत सोरेन को अपना नेता घोषित किया था। यही कारण है कि इस चुनाव के परिणाम से इन दोनों का राजनीतिक भविष्य तय होगा। यदि जीते, तो जय-जय होगी और यदि हार हुई, तो उसकी जिम्मेदारी भी इन दोनों को ही लेनी होगी। यही कारण है कि इन दोनों के दिन का चैन और रातों की नींद गायब हो गयी है। सोते-जागते उनके ख्यालों में विधानसभा चुनाव का परिणाम और उसका असर घूमता है। संथाल की 16 सीटें तो उनके लिए खासतौर पर निर्णायक हैं। यही वजह है कि दोनों नेताओं ने इन सीटों को अपनी-अपनी पार्टियों की झोली में डालने के लिए खुद को जुनून की हद तक चुनाव के मैदान में झोंक कर रख दिया। हालांकि संथाल के चुनावी दंगल में झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी, आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो और कांग्रेस समेत दूसरे दलों के साथ निर्दलीयों ने भी अपना दमखम दिखाया, पर यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और झामुमो के बीच ही माना जा रहा है। इन दोनों नेताओं की रस्साकशी और उनकी राजनीति की पड़ताल करती दयानंद राय की रिपोर्ट।

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New Delhi: नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली की जामा मस्जिद में नमाज के बाद प्रदर्शनकारी विरोध मार्च निकाल रहे हैं। गुरुवार को दिल्ली से लेकर केरल तक प्रदर्शन किए गए थे। यूपी के लखनऊ और संभल में प्रदर्शन के दौरान हिंसा और आगजनी भी हुई। हाइलाइट्स उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में भी उपद्रवियों ने नागरिकता कानून को लेकर प्रदर्शन शुरू कर दिया है। यहां पर उपद्रवियों ने पुलिस की करीब 10 गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। पुलिस इन उपद्रवियों पर काबू पाने की हर संभव कोशिश में जुटी हुई है। अलीगढ़ शाह जमाल ईदगाह पर प्रदर्शनकारियों…

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रांची। माओवादियों के शीर्ष कमांडर रामन्ना की मौत हो गयी है। माओवादियों के प्रवक्ता विकल्प ने इसकी पुष्टि की है। रामन्ना पर 1.37 करोड़ का इनाम था। झारखंड में वह 12 लाख का इनामी था। इसके अलावा महाराष्टÑ सरकार ने 60 लाख, छत्तीसगढ़ ने 40 लाख और तेलंगाना सरकार ने 25 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। विकल्प के अनुसार रामन्ना की मौत छत्तीसगढ़ में लंबी बीमारी के बाद हुई। रामन्ना माओवादियों के पोलित ब्यूरो का सदस्य था और दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सचिव था। उसका असली नाम रावला श्रीनिवास था। माओवादी प्रवक्ता ने रामन्ना के निधन को…

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रांची। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा है कि 20 दिसंबर को पांचवें चरण के साथ ही मतदान प्रक्रिया का पूरा अध्याय समाप्त हो जायेगा, लेकिन संपूर्ण चुनाव अभियान के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सभी केंद्रीय मंत्रियों एवं भाजपा नेताओं ने जिस प्रकार तथ्यहीन बातें करते हुए भावनात्मक मुद्दों को उछाला और रघुवर सरकार की उपलब्धियों पर बात करने से परहेज किया है, उससे जाहिर है कि भाजपा सरकार ने विकास का कोई काम नहीं किया है। झारखंड चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष श्री सहाय ने कहा कि संथाल परगना के सभी 16 विधानसभा क्षेत्रों के मतदाता भावनात्मक…

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इरादे बुलंद हों, तो लक्ष्य आसान हो जाता है। झारखंड विधानसभा चुनाव में बुलंद इरादों के साथ उतरी आजसू सुदेश के नेतृत्व में झारखंड में तीसरी बड़ी ताकत के रूप में उभरी है। संथाल की जिन 16 सीटों पर 20 दिसंबर को वोटिंग होगी, उनमें से एक दर्जन सीटों पर आजसू ने उम्मीदवार उतारे हैं। बोरियो, पाकुड़ ,जामा और अन्य दो सीटों पर तो आजसू उम्मीदवार बेहद मजबूत हैं। इनमें से बोरियो से विधायक ताला मरांडी तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ है। वहीं पाकुड़ सीट से पार्टी उम्मीदवार अकील अख्तर यहां से विधायक रह चुके हैं और यहां के वर्तमान विधायक तथा कांग्रेस प्रत्याशी आलमगीर आलम को तगड़ी चुनौती दे रहे हैं। जामा सीट पर स्टेफी टेरेसा मुर्मू आजसू उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं और अपनी पैठ क्षेत्र में बनाने की कोशिश कर रही हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि आजसू संथाल में बड़ी ताकत बनकर उभरी है और अपनी रणनीति से इसने विरोधियों को चौंका दिया है। संथाल में आजसू के उभार और उसके उम्मीदवारों की राजनीति पर प्रकाश डालती दयानंद राय की रिपोर्ट।

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