Author: azad sipahi desk

राजनीतिक रूप से झारखंड एक रोमांचक प्रदेश है। यहां की राजनीति अलग और मौलिक मानी जाती है। शायद यही कारण है कि 19 साल में इसने 10 मुख्यमंत्री देख लिया और तीन बार राष्टÑपति शासन भी झेल लिया। अभी झारखंड में पांचवीं विधानसभा के गठन के लिए चुनाव हो रहे हैं। इस चुनाव में लोगों की खास नजर उन सीटों पर है, जिन पर पिछले 15 साल से एक ही पार्टी का कब्जा रहा है। चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, झामुमो हो या कोई दूसरा दल, सभी ने अपने इन किलों को अभेद्य बना कर रखा है। लोग इस बात को लेकर उत्सुक हैं कि क्या इस बार इन अभेद्य दुर्गों में सेंध लग सकेगी और दूसरे दलों के प्रत्याशी यहां से जीत सकेंगे। आखिर क्या है इन सीटों की खासियत और क्यों यहां के मतदाता एक ही पार्टी को समर्थन देते आये हैं, इन सवालों का जवाब तलाशती दीपेश कुमार की खास रिपोर्ट।

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मुंबई: महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस ने गठबंधन कर सरकार बनाने की तैयारी कर ली है। लेकिन इस पूरे ऐपिसोड में सबसे ज्यादा किरकिरी किसी दल की हुई है तो वह है बीजेपी। बीजेपी ने आखिर किस बूते एनसीपी नेता अजित पवार पर भरोसा किया और सरकार बनाई? बीजेपी के नेता इस सवाल का जवाब बेहद घुमाकर दे रहे हैं। जहां एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ‘सही समय पर सही बात’ करने की बात कहकर इस सवाल से कन्नी काट ली, वहीं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी घुमा-फिराकर इस सवाल का जवाब दिया। एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में…

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ढाका: बांग्लादेश की राजधानी ढाका में 2016 में हुए भीषण आतंकी हमले के मामले में कोर्ट ने 7 आतंकियों को फांसी की सजा सुनाई है। 1 जुलाई, 2016 को एक कैफे पर हुए हमले में 22 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें ज्यादातर विदेशी नागरिक शामिल थे। कोर्ट के फैसले की जानकारी देते हुए सरकारी वकील गोलम सरवर खान ने रिपोर्ट्स को बताया कि आतंकियों के खिलाफ तमाम सबूत थे और अदालत ने उन्हें सबसे बड़ी सजा दी है।

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मेदिनीनगर। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मंगलवार को हरिहरगंज- हुसैनाबाद विधानसभा क्षेत्र के भाजपा समर्थित प्रत्याशी विनोद कुमार सिंह के समर्थन में चुनावी सभाओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जब से केंद्र और राज्य में भाजपा की स्थायी और मजबूत सरकार बनी है, तब से हमने विकास क्या होता है, यह करके दिखा दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पिछले 67 साल से देश और राज्य की जनता को छला है। विकास नहीं किया। रघुवर ने कहा कि 2022 तक राज्य के सभी बेघरों और गरीबों को पीएम आवास दिया जायेगा। सरकार ने 90 प्रतिशत घरों में गैस पहुंचाया…

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विश्रामपुर। अपने दम पर राज्य की सभी 81 सीटों पर चुनाव लड़ रहे झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी मंगलवार को विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार करने पहुंचे। इस दौरान आयोजित जनसभाओं में उन्होंने कहा कि केवल सरकार ही चल रही है। विकास समेत बाकी सब कुछ ठहर गया है। चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। लोग आतंकित हैं। गरीब भुखमरी के शिकार बन रहे हैं। सरकारी महकमों में भ्रष्टाचार बेलगाम हो गया है। पिछले पांच साल में दो दर्जन से भी ज्यादा लोग भूख से मर गये हैं। आधा दर्जन किसान आत्महत्या कर चुके हैं। रोजगार के नाम पर हाथी…

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रांची। भाजपा ने कहा है कि झारखंड में नक्सलियों को विपक्ष का संरक्षण हासिल है। पार्टी के सह प्रभारी राम विचार नेताम ने मंगलवार को यहां मीडिया से बातचीत में यह गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने विपक्ष को घेरते हुए कहा कि राज्य में जहां भाजपा मजबूत है, वहीं विपक्ष की सारी कोशिशें इसी बात पर केंद्रित हैं कि उसे कैसे क्षति पहुंचायी जाये और छवि खराब की जाये। नेताम ने कहा कि हाल ही में राज्य में हुईं नक्सली घटनाओं से साफ हो गया है कि यह भाजपा की साफ-सुथरी छवि को नुकसान पहुंचाने की विपक्ष की साजिश है। ऐन…

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लोहरदगा। आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने कहा है कि उनकी पार्टी की सरकार में चौपाल का फैसला ही सरकार का फैसला होगा। लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र के कई स्थानों में अपनी पार्टी की उम्मीदवार नीरू शांति भगत के पक्ष में मंगलवार को आयोजित चुनावी सभाओं में उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी गांव की सरकार बनाएगी। गांव की सरकार का तात्पर्य यह है कि चौपाल का निर्णय ही सरकार का निर्णय होगा। सुदेश ने प्रतिद्वंद्वी पार्टियों पर महात्मा गांधी को पोस्टरों और नारों में बांधने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केवल आजसू पार्टी ने ही बापू के सपनों का प्रदेश बनाने…

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झारखंड विधानसभा का पहले चरण का चुनाव महज चार दिन बाद होना है। कुल 13 सीटों पर होनेवाले इस चुनाव में क्या होगा या हो सकता है, इसको लेकर राजनीतिक पंडित बेहद परेशान हैं, क्योंकि उन्हें न तो मतदाताओं के मन-मिजाज की भनक मिल रही है और न ही राजनीतिक परिस्थितियों का मतलब समझ में आ रहा है। बहुकोणीय मुकाबले के इस चुनाव में कहां किसका पलड़ा भारी है या हो सकता है, इस बारे में कोई टिप्पणी करने के लिए तैयार नहीं है। आखिर पहले चरण के चुनाव को लेकर इतना कन्फ्यूजन क्यों है और इसकी वजह क्या है, इस बात को जानना जरूरी है। चुनाव के माहौल में राजनीतिक बहसबाजी और विश्लेषणों से अलग इन 13 सीटों की हकीकत यह है कि यहां चुनावी अखाड़े में उतरा हर शख्स परेशान है। उम्मीदवारों की तो हालत यह है कि किसी के सामने सीट बचाने की चुनौती है, तो कोई वापसी के लिए जमीन-आसमान एक किये हुए है। किसी के सामने अपनी पार्टी को स्थापित करने की चैलेंज है, तो किसी के समक्ष सहयोगी दलों का वोट ट्रांसफर कराने के साथ मतों के बिखराव को रोकने की चुनौती। इन तमाम कारणों से पहले चरण का चुनाव बेहद दिलचस्प और रोमांचक हो गया है। इसी रोमांच और दिलचस्पी को रेखांकित करती आजाद सिपाही पॉलिटिकल ब्यूरो की विशेष रिपोर्ट।

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