Author: azad sipahi desk

गढ़वा/रंका। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने विधानसभा के पहले चरण के चुनाव के लिए धुआंधार प्रचार अभियान रविवार को भी जारी रखा। उन्होंने गढ़वा और रंका में चुनावी सभाओं को संबोधित करते हुए झामुमो और कांग्रेस पर करारा प्रहार किया। उन्होंने झामुमो नेता हेमंत सोरेन को भी निशाने पर लिया। रघुवर दास ने कहा कि झामुमो और कांग्रेस ने झारखंड को अपना चारागाह बना दिया था। यहां की संपदा को लूट कर ये दोनों पार्टियां मालामाल होती रहीं और इनके नेता अपना घर भरते रहे। आदिवासियों के नाम पर राजनीति करने वाला झारखंड मुक्ति मोर्चा सिर्फ मुद्रा मोचन पार्टी बनकर रह…

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वाटरलू की लड़ाई वर्ष 1815 में लड़ी गयी थी। इसमें एक तरफ फ्रांस था तो दूसरी ओर ब्रिटेन, रूस, प्रशा, आॅस्ट्रिया और हंगरी की सेना थी। इस लड़ाई में मिली हार ने नेपोलियन का चैप्टर हमेशा के लिए क्लोज कर दिया था। इस लड़ाई की तरह झारखंड विधानसभा चुनाव में पहले चरण की 13 सीटों मेें से कई सीटें ऐसी हैं, जिनमें मुकाबला कमोबेश वाटरलू की लड़ाई की तरह ही है। इन सीटों में लोहरदगा, विश्रामपुर और भवनाथपुर जैसी सीटें शामिल हैं। इन सीटों पर मिलनेवाली हार-जीत कई प्रत्याशियों का राजनीतिक भविष्य तय करेगी। इस चुनाव का नतीजा भविष्य के गर्भ में है और यह देखना दिलचस्प होगा कि मुकाबले में किसकी नियति में नेपोलियन बनना लिखा है और किसके हिस्से में विजयश्री। झारखंड विधानसभा की 13 सीटों में से मुख्य सीटों पर कड़े मुकाबले और उनके संभावित असर पर नजर डालती दयानंद राय की रिपोर्ट।

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नई दिल्ली: एक महीने से सरकार गठन को लेकर चल रही सुगबुगाहट शनिवार की सुबह अचानक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम में तब्दील हो गई। सुबह ही देवेंद्र फडणवीस ने सीएम और एनसीपी के नेता अजित पवार ने डेप्युटी सीएम पद की शपथ ली तो महाराष्ट्र समेत पूरे देश की राजनीति में भूचाल सा आ गया। अब तक शिवसेना, कांग्रेस के साथ सरकार का हिस्सा का बनने की योजना बना रही एनसीपी के लिए यह सबसे बड़ा झटका था। यह इसलिए भी चिंता की बात थी क्योंकि फूट सिर्फ पार्टी में ही नहीं बल्कि पवार फैमिली में भी थी। शरद पवार के भतीजे…

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