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केंद्र सरकार के उपक्रम दामोदर घाटी निगम, यानी डीवीसी ने झारखंड सरकार से बकाया वसूलने के लिए इसके सात जिलों की बिजली काटने की चेतावनी दी है। जाहिर है कि इस चेतावनी के बाद चिंता बढ़ी है, क्योंकि इससे पहले मार्च में भी डीवीसी इस तरह की हरकत कर चुका है। झारखंड सरकार पर डीवीसी का करीब पांच हजार करोड़ रुपये बकाया है। यह बकाया नवं

कृषि कानून वापस लेने की मांग को लेकर बुलाये गये भारत बंद का झारखंड में व्यापक असर दिख रहा है। बंद के समर्थन में राजद, कांग्रेस और झामुमो के कार्यकर्ता सड़क पर उतरे। एक ओर जहां गिरिडीह में दुकानदार और बंद समर्थकों के बीच झड़प हुई। वहीं राजधानी रांची में भी समर्थक सड़क पर उतरे और कृषि कानून वापस लेने की मांग को लेकर नारेबाजी भी

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि जनोपयोगी योजनाओं को प्राथमिकता के तौर पर लागू करें। वैसी योजनाएं जिनका रिजल्ट संतोषजनक नही है, उन योजनाओं की समीक्षा कर उनकी कार्य पद्धति में बदलाव लायें। अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के तहत संचालित स्कूलों में शिक्षकों की रिक्तियां को भरने के लिए नियमावली बनायें।

जमशेदपुर पूर्वी विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर राज्य में हुए सुनियोजित खनन घोटाले की जांच सीबीआइ या एसीबी से कराने की मांग की है। इसके अलावा उन्होंने राज्य में लौह अयस्क के अवैध उत्खनन के दोषियों पर कार्रवाई करने की मां

राज्य भर के पंचायत सचिव स्वयंसेवकों ने सोमवार को रांची की सड़कों पर प्रदर्शन किया। ये मोरहाबादी में जमा होकर वहां से सीएम हाउस का घेराव करने जा रहे थे। रास्ते में राजभवन के पास ही पुलिस ने इन्हें रोक दिया।
संघ के अध्यक्ष चंद्रदीप कुमार ने कहा

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से निदेशक सैनिक कल्याण निदेशालय के ब्रिगेडियर बीजी पाठक ने सोमवार को मुलाकात की। मुख्यमंत्री को श्री पाठक ने सशस्त्र सेना झंडा दिवस के अवसर पर सांकेतिक झंडा लगाया। मुख्यमंत्री ने सशस्त्र सेना दिवस के अवसर पर भारतीय सेना के सभी कार्यरत एवं अवकाश प्राप्त सैनिकों, उनके परिवार के सदस्यों को शुभकामनाएं दी।

अच्छा रिसीवर वही होता है जो कमजोर सिग्नल भी मजबूती से पकड़े। और झारखंड में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बयानों से जो सिग्नल मिल रहा है, उससे साफ है कि राज्य की हेमंत सरकार के एक साल पूरे होने पर मुख्य विपक्षी दल भाजपा सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़नेवाली।

नये कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन को खत्म कराने के लिए शनिवार को हुई बातचीत का कोई हल नहीं निकला। सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच पांचवें दौर की बातचीत बिना किसी नतीजे के खत्म हो गयी। इसके बाद किसानों ने आठ दिसंबर को भारत बंद करने का फैसला किया, जबकि उसके अगले दिन सरकार के बातचीत