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पत्थर को जमीन पर दे मारिये तो वह टूट कर बिखर जाता है, वहीं रबड़ की गेंद के साथ यही कवायद करने पर वह आसानी से उछलती रहती है और उसकी सेहत पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता। तो जीवन में जितना महत्वपूर्ण रवैया है उतना ही राजनीति में भी। और झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन का अड़ियल रवैया भी उनकी राह में मुसीबतें पैदा कर रहा है। राजद के प्रदेश के नेता जब उनसे सीट शेयरिंग पर बात करने गये तो पहले दिन हेमंत ने उन्हें नजरअंदाज किया। वे यह भूल गये कि झारखंड में राजद टूटी है लालू यादव नहीं टूटे हैं और अब भी किंग मेकर से कुछ कम स्वीकार करने के मूड में लालू यादव नहीं हैं चाहे उनका स्वास्थ्य बेहतर न हो, पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। झाविमो पहले ही झामुमो से किनारा कर चुका है। कांग्रेस आलाकमान भी अलग से हेमंत को बहुत भाव नहीं दे रहा है। माले भी उनके बारे में अपना विचार व्यक्त कर चुका है। हां, सीपीआइ और सीपीएम को छोड़ दिया जाये तो हेमंत के साथ उनकी पार्टी के विधायक और कार्यकर्ता ही साथ खड़े दिखायी दे रहे हैं। झारखंड की राजनीति में खुद को और अपनी पार्टी को प्रासंगिक बनाये रखने के लिए हेमंत सोरेन को अपने व्यवहार में परिवर्तन लाना होगा। यह जरूरत हाल के दिनों में आत्ममंथन करते समय वे महसूस भी कर रहे होंगे। विधानसभा चुनाव नजदीक आने पर झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी की चुनौतियों को रेखांकित करती दयानंद राय की रिपोर्ट।

रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण का नामांकन बुधवार से होगा। इसे लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां रेस हो गयी हैं। दलों की बैठकें शुरू हैं और प्रत्याशियों के नामों पर मंथन हो रहा है। लगभग सभी दलों ने आठ से नौ नवंबर तक प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करने की घोषणा कर दी है। इसे लेकर हर दल प्रत्याशियों की सूची तैयार करने में जुटा है। सोमवार को भाजपा के बूथ प्रभारियों की बैठक हुई। उधर, कांग्रेस की चुनाव कोर कमेटी की बैठक हुई, जिसमें सीटवार प्रत्याशियों के नामों पर मंथन किया गया। वहीं, हेमंत सोरेन महागठबंधन को अंतिम रूप देने के लिए दिल्ली पहुंच चुके हैं, जहां पहले दौर की बैठक भी हो चुकी हैं। इधर, झाविमो ने भी प्रभारी समिति का गठन कर प्रत्याशियों का चयन शुरू कर दिया है, जबकि आजसू पार्टी ने इस बीच तेजी से अपना कद बढ़ाया है। दूसरे दलों के कद्दावर नेताओं को पार्टी में शामिल करा कर अपनी ताकत बढ़ाने में जुटी है।

झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है और इसके साथ ही गहमा-गहमी शुरू हो गयी है। छठ के बाद इसमें तेजी आयेगी। हरेक दल अपने-अपने हिसाब से चुनावी तैयारियों में लगा हुआ है। इन तैयारियों के साथ दूसरे दलों की रणनीतियों पर भी नजदीकी नजर रखी जा रही है। इसके लिए राजनीतिक कार्यकर्ताओं के साथ-साथ दूसरे स्रोतों से भी जानकारी जुटायी जा रही है। इसके लिए बाकायदा टीम बनायी गयी है। इस राजनीतिक हलचल में यह बात छन कर सामने आ रही है कि आज की तारीख में हर दल झाविमो और आजसू के कदमों पर नजरें गड़ाये हुए है। बाबूलाल मरांडी और सुदेश महतो की रणनीति के आधार पर ही दूसरे दल फैसले कर रहे हैं। इन दोनों नेताओं के इस लाइम लाइट में आने और इसके संभावित परिणामों पर आजाद सिपाही पॉलिटिकल ब्यूरो की खास रिपोर्ट।