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झारखंड विधानसभा चुनाव के पांचवें और अंतिम चरण के चुनाव में संथाल में किसकी गोटी होगी लाल, यह लाख टके का सवाल बनकर उभरा है। यह सवाल इसलिए, क्योंकि भाजपा में इस चुनाव में बहुत उलटफेर हुए हैं और झामुमो और कांग्रेस ने भी भाजपा की संथाल में सघन घेराबंदी को देखते हुए अपनी रणनीति बदल दी है। झाविमो संथाल मेें सभी सीटों पर चुनाव लड़ रहा है और आजसू ने अपने पाले में झामुमो के टिकट पर पाकुड़ से विधायक रहे अकील अख्तर को लाकर पाकुड़ सीट पर कब्जा जमाने की कोशिश की है। अकील के अलावा आजसू ने स्टेफी टेरेसा मुर्मू पर भी भरोसा जताया है। जाहिर है कि आजसू संथाल में अपने पैर जमाने में पूरी तरह जुटी हुई है। बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा और झामुमो के बीच यहां कांटे की टक्कर हुई थी और मुकाबला लगभग बराबरी का रहा था। इस बार बदले समीकरणों में चुनाव लड़ रहे सभी प्रत्याशियों और दलों के समक्ष चुनौती खड़ी हो गयी है। इन सीटों पर 20 दिसंबर को मतदान होगा। संथाल की 16 विधानसभा सीटों पर विभिन्न दलों के उम्मीदवारों और उनकी चुनौतियोें पर प्रकाश डालती दयानंद राय की रिपोर्ट।

राजनीति में चर्चित चेहरों और सीटों की चर्चा स्वाभाविक रूप से हर चुनाव में होती रहती है। झारखंड विधानसभा चुनाव में इस दफा कोयलांचल की झरिया सीट एक ही परिवार की दो बहुओं के बीच चुनावी लड़ाई के लिए चर्चा में है। यहां मुकाबला दिलचस्प और रोमांचक दोनों है। वर्ष 2014 के चुनाव में यह सीट दो भाइयों के संघर्ष के कारण चर्चा में थी। यूं तो इस सीट पर 17 उम्मीदवार चुनाव के मैदान में हैं, पर सिंह मेंशन और रघुकुल की चुनावी टक्कर में इनकी चर्चा कम ही होती है। सिंह मेंशन सूर्यदेव सिंह की विरासत का किला है, तो रघुकुल राजन सिंह के बेटों की आरामगाह। इस बार यहां चुनावी लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच या यूं कहें कि एक ही परिवार से ताल्लुक रखनेवाली दो महिला नेत्रियों के बीच है। इस लड़ाई में जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा और किसके हाथ हार आयेगी, यह 23 दिसंबर को पता चलेगा, पर अभी इतना तो दिख रहा है कि इस सीट पर दो बहुओं की लड़ाई हर दिन दिलचस्प होती जा रही है। झरिया सीट पर दो बहुओं की लड़ाई और सिंह मेंशन तथा रघुकुल के अस्तित्व में आने की कहानी बयां करती दयानंद राय की रिपोर्ट।