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झारखंड विधानसभा में 65 प्लस का लक्ष्य लेकर उतरने की तैयारी कर रही सत्तारूढ़ भाजपा इस बार कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है। पार्टी ने लोकसभा चुनाव में बंपर जीत हासिल करने के बाद विधानसभा चुनाव में इस रिकॉर्ड को तोड़ने की तैयारी में है। ऐसे में स्वाभाविक तौर पर पार्टी नेतृत्व एक-एक सीट और एक-एक बूथ पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। पार्टी की चुनाव तैयारियों का अंदाजा इसी बात से मिल जाता है कि इसने एक-एक बूथ की मैपिंग कर ली है और एक-एक विधायकों के कामकाज के बारे में एक सर्वे रिपोर्ट तैयार कर ली है। इस सर्वे रिपोर्ट पर केंद्रीय चुनाव समिति मंथन कर रही है। पार्टी ने ऐसा ही सर्वे लोकसभा चुनाव से पहले भी किया था। चूंकि विधानसभा में सीटें अधिक हैं और चुनाव राज्य के मुद्दों पर होना है, इसलिए भाजपा इस सर्वे को तवज्जो दे रही है। इस सर्वे में भाजपा के कई विधायकों के कामकाज को असंतोषजनक पाया गया है। इसलिए पार्टी के विधायकों की नींद उड़ गयी है। भाजपा की सर्वे रिपोर्ट और इसके संभावित परिणाम पर नजर डालती दयानंद राय की खास पेशकश।

रांची। धनबाद के बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो की मुश्किलें बढ़नेवाली हैं। झारखंड हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति एके गुप्ता की कोर्ट ने…

रांची। रघुवर दास सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत झारखंड में तीसरी, चौथी और क्लास टू के अराजपत्रित…

विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रमेश शरण और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बीच गहराता जा रहा है। सोमवार को रांची विश्वविद्यालय परिसर में जो भी हुआ, उससे शिक्षा और उससे जुड़ी मर्यादाएं ही तार-तार नहीं हुईं, बल्कि गुरु-शिष्य का रिश्ता कलंकित हुआ तथा गुरुकुल की परंपरा की हंसी भी उड़ी। कौन गलत है, कौन सही, यह तो सक्षम लोग ही तय कर सकते हैं, पर जो बीज बोये जा रहे हैं, वे छात्र और देश के भविष्य के लिए कहीं से भी उचित नहीं है। मामला अब सिर्फ विवाद भर नहीं रह गया है। पानी सिर से ऊपर जा चुका है। ऐसे में अब सक्षम पदाधिकारियों को यह देखने की जरूरत है कि आखिर चूक कहां है। यदि कुलपति कहीं से भी गलत हैं, तो राज्यपाल को कार्रवाई करनी चाहिए। यदि छात्र गलत हैं, तो भाजपा को उन्हें रोकने की पहल करनी चाहिए। इतना ही नहीं, यदि कुलपति प्रो रमेश शरण को लगता है कि उन्हें विवादों में धसीटा जा रहा है और उनमें स्वाभिमान है, तो आगे बढ़ कर पद छोड़ क्यों नहीं देते। एक महीने से चल रहे इस विवाद पर राजभवन की चुप्पी भी समझ से परे है। कुल मिला कर इस मामले से पूरे देश में झारखंड की ही छवि धूमिल हो रही है। पेश है आजाद सिपाही की विशेष रिपोर्ट।